TEN-DAY MBA- A Step By
Step Guide To Mastering …
Steven Silbiger
इंट्रोडक्शन
एमबीए का मतलब है मास्टर ऑफ़ बिजनेस
एडमिनिस्ट्रेशन. ये एक डिग्री है जिसे दुनिया भर में
मान्यता मिली हुई है. इसमें मुख्य रूप से बिजनेस और
मैनेजमेंट के बारे में पढ़ाया जाता है.
स्टीवन सिल्बिगर दुनिया के टॉप एमबीए डिग्री होल्डर
में से एक है. वो एमबीए के डिफिकल्ट कॉन्सेप्ट्स को
एक सिंपल और क्लियर मेथड के ज़रिए समझाने के
लिए जाने जाते है.
उनकी किताब “टेन डे एमबीए” को पढ़कर आपको
एमबीए कोर्स से जुड़ी हर जानकारी मिल जायेगी और
अपनी बुक में ऑथर ने बेहद आसान और सिंपल तरीके
से एक्जाम्पल देकर सारे कॉन्सेप्ट्स क्लियर किये है. ये
किताब आपको मार्केटिंग, एथिक्स, ओर्गेनाईजेशनल
बिहेवियर, quantitative एनालिसिस, फाइनेंस और
स्ट्रेटेज़ी से जुड़ी हर जानकारी देगी.
इस किताब में दिए कुछ टॉपिक्स बेशक थोड़े मुश्किल
लगते है पर स्टीवन ने काफी अच्छे ढंग से रीडर्स को
समझाने के लिए कॉम्प्लेक्स टॉपिक्स को बड़े ही सिंपल
डेफिनेशन देकर समझाने की कोशिश की है.
अगर आप भी एमबीए कोर्स करने के बारे में सोच रहे
है तो ये किताब आपको इस कोर्स की बहुत बढिया
-ना
है तो ये किताब आपको इस कोर्स की बहुत बढिया
जानकारी देने वाली है.
Marketing
जब हम एमबीए की बात करते है तो सबसे पहले
मार्केटिंग आती है जिसके बारे में हर एमबीए स्टूडेंट को
पता होना चाहिए. मार्केटिंग एक ऐसा सब्जेक्ट है जो
उन सारी स्किल्स को कनेक्ट करता है जो आप किसी
भी एमबीए कोर्स के दौरान सीखते है क्योंकि ये सारी
थ्योरीज़ रियल लाइफ मार्केट्स में अप्लाई करता है.
मार्केटिंग का मेन गोल है अपने कस्टमर्स को जानना
और समझना और एडवरटीज़मेंट्स, सेल्स पिचेस और
इसी तरह की दूसरी स्ट्रेटेज़ी के जरिये कस्टमर्स के
साथ जुड़ने की कोशिश करना. आप अपनी एक्सीलेंट
इंट्यूशन के जरिये और साइंटिफक मेथड्स के श्रू एक
के
अच्छे मार्केटर बन सकते है.
एक एमबीए होने के नाते एक मार्केटर के तौर पर
आपकी ड्यूटी बनती है कि आप ऐसी साइंटिफक और
क्रिएटिव मार्केटिंग स्ट्रेटेज़ीज़ क्रिएट करे जो आपकी
कंपनी को सक्सेस दिला सके. और अपने मार्केटिंग
स्ट्रेटेज़ी बनाने के लिए आपको कुछ स्पेसिफिक स्टेप्स
फॉलो करने होंगे. ये स्टेप्स लीनियर नहीं है और
जरूरी नहीं है कि आप उन्हें ऑर्डर के हिसाब से ही
फॉलो करो. आपको सिर्फ अपने क्लाइंट की करंट
सिचुएशन को स्टडी करना है, तभी आप डिसाइड कर
पाएंगे कि आपको कौन से स्टेप्स लेने है.
इन मार्किंग स्टेप्स का एक एक्क्साम्प्ल है कस्टमर
A .
इन मार्किंग स्टेप्स का एक एक्क्साम्प्ल है कस्टमर
एनालिसिस. इस स्टेप के दौरान आपको अपने कस्टमर्स
को स्टडी करना होगा और उन स्पेशल ग्रुप्स को
पहचानना होगा जिन्हें आप अपने मार्केटिंग कैम्पेन के
लिए टारगेट कर सकते है.
हर कस्टमर कोई भी प्रोडक्ट खरीदने से पहले पांच
अलग-अलग स्टेज से गुजरता है, फिर डिसीजन लेता
है. और इन स्टेजेस को जानकर आप अपने कस्टमर
का बिहेवियर analyze कर सकते हो और वेळीड
स्ट्रेटेज़ी पर बेस्ड मार्केटिंग प्लान बना सकते हो.
मान लो किसी आदमी के पास साबुन खत्म हो गया तो
वो साबुन लेने जाएगा लेकिन खरीदने से पहले कस्टमर
पहले स्टेज से गुजरेगा जो है अवेयरनेस, इस स्टेज में
आदमी को एहसास होता है कि उसे साबुन की जरूरत
है.
दूसरी स्टेज है इन्फोर्मेशन सर्च करना. जैसे कि ये
आदमी अपनी वाइफ से किसी अच्छी क्वालिटी के
साबुन का ब्रांड पूछेगा या नेट पर सर्च करेगा.
अब इस आदमी के पास कई सारे ऑप्शन है, तो अब
तीसरा स्टेज है: वो सारे ऑप्शन्स को चेक करेगा,
अलग-अलग ब्रांड के साबुनों की क्वालिटी,
प्राइस कम्पेयर करने के बाद ही किसी डिसीजन पर
पहुंचेगा.
उसके बाद कोई एक ब्रांड पसंद करके वो आदमी
साबुन खरीद लेगा. तो एक खास ब्रांड का साबुन
खरीदकर वो आदमी चौथे स्टेज पर पहुंचा जो है
टिगीतन किंग रेत
खुशबू और
दूसरी स्टेज है इन्फोर्मेशन सर्च करना. जैसे कि ये
आदमी अपनी वाइफ से किसी अच्छी क्वालिटी के
साबुन का ब्रांड पूछेगा या नेट पर सर्च करेगा.
अब इस आदमी के पास कई सारे ऑप्शन है, तो अब
तीसरा स्टेज है: वो सारे ऑप्शन्स को चेक करेगा,
अलग-अलग ब्रांड के साबुनों की क्वालिटी, खुशबू और
प्राइस कम्पेयर करने के बाद ही किसी डिसीजन पर
पहुंचेगा.
उसके बाद कोई एक ब्रांड पसंद करके वो आदमी
साबुन खरीद लेगा. तो एक खास ब्रांड का साबुन
खरीदकर वो आदमी चौथे स्टेज पर पहुंचा जो है
डिसीजन मेकिंग स्टेज.
पांचवा और अगला स्टेज है इवैल्यूएशन स्टेज. यहाँ
कस्टमर घर पर साबुन को इस्तेमाल करता है और
उसकी खुशबू, फीलिंग, क्वालिटी या कलर को अपनी
रेटिंग देता है.
अब अगर उस आदमी को ये साबुन अच्छा लगा तो
ज़ाहिर है अगली बार भी यही साबुन खरीदेगा.
तो इस तरह डिफरेंट स्ट्रेटेज़ीज़ को समझकर जो आप
एक मार्केटर के तौर पर इस्तेमाल कर सकते आप
अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेज़ी बना सकते है और एडजस्ट
कर सकते है जब तक कि आप एक ऐसे क्लियर और
प्रैक्टिकल कोर्स ऑफ़ एक्शन पर ना पहुँच जाओ जो
आपके क्लाइंट के लिए फायदेमंद साबित हो.
A 5
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Ethics
दूसरे एमबीए कोर्स से हटकर एथिक्स एक न्यू
एडिशन है जो कई सारे नए एमबीए टीचिंग प्रोग्राम में
शामिल किया गया है. पहले एथिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट
हुआ करता था जो एमबीए स्टूडेंट्स खुद चूज़ करते थे
कि उन्हें स्टडी करना है या नहीं लेकिन आजकल कई
फेमस यूनिवरसिटी जैसे कि हार्वर्ड ने इस टॉपिक को
अपने एमबीए कोर्स का एक इम्पोर्टेन्ट पार्ट बना लिया
है.
जब हम एथिक्स की बात करते है तो मन में ये खयाल
आता है कि शायद ये कोर्स इसलिए डिजाईन किया
गया है ताकि एमबीए स्टूडेंट्स को एक बेहतर इंसान
बनने में मदद मिल सके. लेकिन ये कोर्स स्टूडेंट्स के
बारे में नहीं है बल्कि उन एथिकल मुद्दों के बारे में है
जो वो अपने वर्कप्लेस में फेस कर सकते है.
इन एमबीए स्टूडेंट्स को आमतौर पर role-play और
केसवर्क के थू सिखाया जाता है ताकि एथिकल इश्यूज
श्रू
पर उनकी अवेयरनेस बढ़े और वो सीख पाएँ कि फ्यूचर
में उन्हें किस तरह से डील करना है.
इन एथिकल मामलों में एनवायरनमेंट के इश्यू जैसे
पोल्यूशन, सेक्सुअल हैरसमेंट या रिश्वतखोरी जैसे
टॉपिक्स आते है.
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पोल्यूशन, सेक्सुअल हैरसमेंट या रिश्वतखोरी जैसे
टॉपिक्स आते है.
अगर आप अपने एमबीए कोर्स में एथिक्स ले रहे है
तो आपको इसमें दो मेजर टॉपिक्स पढ़ने को मिलेंगे.
पहला, आप स्टेकहोल्डर एनालिसिस के बारे में सीखेंगे
जो उन अनएथिकल डिसीजंस से रिलेटेड है जो अक्सर
कंपनीज लेती है.
ये डिसाइड करने से पहले कि कंपनी का डिसीजन
एथिकल है या नहीं , आपको कुछ स्टेप्स फॉलो करने
होंगे ताकि आप सिचुएशन को एनालाइज कर सके.
आपको एक लिस्ट बनानी होगी कि किस पर सिचुएशन
का असर पड़ा रहा है और किसे इसका फायदा मिल
रहा है, फिर आप हर पार्टी के राईट्स और ड्यूटीज़
साथ इस रीजल्ट को कम्प्येर करो.
इस प्रोसेस को फॉलो करके आपको पता चल जाएगा
कि वो डिसीजन एथिकल है या उससे किसी को
नुकसान पहुंच रहा है.
दूसरी चीज़ : आप रिलेटीविज्म के बारे में पढ़ेंगे.
रिलेटीविज्म स्टडी करता है कि आखिर अनएथिकल
डिसीजन्स लिए ही क्यों जाते है. कुछ कंपनीज़ ये
मानती है कि हर चीज़ रिलेटिव है. जैसे एक्जाम्पल
के लिए, अगर कोई कंपनी इस बात पर जोर देती है
कि कंपनी के अंदर कंपनी का कल्चर फॉलो करना
जरूरी है तो वो आपको ये सोचने पर मजबूर कर रही
है कि कोई भी उन्हें जज नहीं कर सकता, चाहे वो
एथिकल डिसीजन ले या अनएथिकल, क्योंकि उनके
हिसाब से तो वो जो करेंगे एकदम लीगल है.
कि कंपनी के अंदर कंपनी का कल्चर फॉलो करना
जरूरी है तो वो आपको ये सोचने पर मजबूर कर रही
है कि कोई भी उन्हें जज नहीं कर सकता, चाहे वो
एथिकल डिसीजन ले या अनएथिकल, क्योंकि उनके
हिसाब से तो वो जो करेंगे एकदम लीगल है.
अब जैसे रिश्वतखोरी किसी देश में इललीगल मानी
जाती है जबकि किसी दूसरे देश में एक एकदम
लीगल हो सकती है. तो कुछ कंपनीज क़ानून के चंगुल
से बचने के लिए इसे एक लूपहोल की तरह यूज़ करके
ऐसी जगह मूव कर सकती है जहाँ अनएथिकल इश्यूज
लीगल हो.
कई बार यू.एस, कंपनीज़ के केस में ऐसा होता है कि
उनके कुछ बिजनेस होस्ट देश के कल्चरल लॉ के
हिसाब से गैरकानूनी होते है, ऐसे में ये कंपनीज़ अगर
किसी डेवलपिंग कंट्री में भी बिजनेस करती है तो भी
वहां के हिसाब से रिश्वत लेना इललीगल माना जायेगा.
कई बार ऐसा भी होता है कि ये कंपनीज़ अपने होस्ट
कंट्री के लॉ के हिसाब से चलती है और रिश्वत देकर
उस देश में अपना गैरकानूनी धंधा चलाती रहती है और
कानून के चंगुल से भी बची रहती है.
एक एमबीए के तौर पर आपको इन सारे इश्यूज की
जानकारी होनी चाहिए और ये भी मालूम होना चाहिए
कि इस तरह के इश्यूज से कैसे निपटना है.
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Organizational Behaviour
क्योंकि एमबीए कोर्स कुछ इस तरह डिजाईन किये
गये होते है कि आपको कंपनीज़ के इश्यूज को सोल्व
करने में हेल्प मिल सके इसलिए ह्यूमन प्रॉब्लम को
समझना और सोल्व करना हर एमबीए कोर्स का एक
अहम हिस्सा होता है. जो आपको एक एमबीए कोर्स
के लिए मालूम होनी चाहिए, वो सारी स्किल्स और
नॉलेज हासिल करने के बाद आपको ये सीखना है
कि वर्कप्लेस में कैसे हम अपने कलीग्स के प्रति एक
बिहेवियर और सेंसिटिव अप्रोच रखे.
कोर्स के दौरान एमबीए के स्टूडेंट आमतौर पर अपना
टेलेंट और असली रंग दिखा ही देते है. जैसे कि अगर
आप एक सेक्सिस्ट, लालची और भेदभाव करने वाले
इंसान है आपके प्रॉब्लम सोल्व करने के तरीको से
ही आपका ये नैचर झलक जाएगा.
इस कोर्स के लिए एमबीए स्टूडेंट्स को कोई
साइंटिफिक एनालिसिस या किसी तरह की कोई
रीसर्च नहीं करनी पड़ती है. उन्हें सिर्फ अच्छी
vocabulary सीखने की जरूरत होती है जो उन्हें
एक स्मार्ट और क्रिएटिव ढंग से इस्तेमाल करनी आनी
चाहिए.
एमबीए स्टूडेंट्स को ऑर्गेनाईजेशनल बिहेवियर सीखना
या ननि 11 नोगों ने की है
एमबीए स्टूडेंट्स को ऑर्गेनाईजेशनल बिहेवियर सीखना
जरूरी है क्योंकि अगर आपको लोगों से डील करने
का तरीका नहीं मालूम होगा तो आप ना तो मार्केटिंग
में और ना ही किसी दूसरे एमबीए सब्जेक्ट में सफल
हो पायेंगे.
अगर आपको वर्कप्लेस में दिक्कते आ रही है तो आप
इन तीन स्टेप्स को फॉलो करके सोल्यूशन निकाल
सकते हो. सबसे पहले प्रॉब्लम की जड़ तक पहुँचो.
बाहरी सिम्पटम्स पर ज्यादा फोकस मत करो, बल्कि
प्रॉब्लम की असली वजह पता करने की कोशिश
करो.
दूसरा, जब आपको प्रॉब्लम की वजह पता चल जाए
तो ये समझने की कोशिश करो कि किन वजहों से वो
प्रॉब्लम आ रही है, कौन से फैक्टर है जो प्रॉब्लम
क्रिएट कर रहे है.
तीसरा स्टेप है: प्लान ऑफ़ एक्शन डिजाईन करना.
एक एमबीए होने के नाते आपके अंदर सिचुएशन के
हिसाब से तुरंत डिसीजन लेने की काबिलियत होनी
चाहिए.
चलिए एक मैनेजर का एक्जाम्पल लेते है जो अपने
टीम मेंबर्स की क्रिएटीविटी बूस्ट करना चाहता था. वो
पास्ट में भी सारे क्रिएटिव डिसीजन उसी ने लिए थे
क्योंकि उसे लगता था कि उसके वर्कर्स को सिर्फ डेटा
एंटर करना और थोडा-बहुत एनालिसिस करना ही
आता है और कुछ नहीं.
अब अपने वर्कर्स के बिहेवियर में आये नए बदलाव को
२.
17 DA
-….
आता है और कुछ नहीं.
अब अपने वर्कर्स के बिहेवियर में आये नए बदलाव को
देखते हुए मैनेजर को एक प्लान बनाने की जरूरत थी.
तो सबसे पहले उसने सोचा कि क्रिएटिव माइंडस को
ट्रेन करने के लिए उसे टीम को काफी पेशंस के साथ
हैंडल करना होगा.
पहले मैनेजर किसी को भी गलती होने पर जॉब से
निकाल देता था. उसकी इस आदत की वजह से
टीम मेंबर्स कोई भी गलती करने से डरते थे क्योंकि
उन्हें जॉब से निकाले जाने का डर लगा रहता था,
इसलिए क्रिएटीविटी बूस्ट करने वाले इस नए प्लान में
पार्टीसिपेट करने से वो डर रहे थे.
तो मैनेजर ने अपने वर्कर्स का डर दूर करके उन्हें अपने
क्रिएटिव थॉट को एक्सप्रेस करने में हेल्प की और
अपने टीम मेंबर्स का विशवास फिर से हासिल करने के
लिए मैनेजर तब उन्हें कुछ रिवॉर्ड वगैरह भी देता था
जब कोई मेंबर कंपनी के फायदे के लिए कोई क्रिएटिव
थॉट लेकर आता था.
अगर आप अपने वर्कर्स का बिहेवियर चेंज करना
चाहते हो तो पहले आपको उन्हें मोटिवेट करना होगा
कि वो अपने काम में इम्प्रूवमेंट लेकर आये. और यही
चीज़ उस मैनेजर को भी अपनी टीम के मन में बैठे डर
को स्टडी करने के बाद realize हुई.
एक इफेक्टिव एमबीए बनने के लिए आपको अपनी
पर्सनेलिटी में भी इम्प्रूवमेंट लानी होंगी, अगर आप एक
क्रिएटिव लीडर बनना चाहते है.
एमबीए कोर्स आपके अंदर वो स्किल्स डेवलप करते है
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लिए मैनेजर तब उन्हें कुछ रिवॉर्ड वगैरह भी देता था
जब कोई मेंबर कंपनी के फायदे के लिए कोई क्रिएटिव
थॉट लेकर आता था.
अगर आप अपने वर्कर्स का बिहेवियर चेंज करना
चाहते हो तो पहले आपको उन्हें मोटिवेट करना होगा
कि वो अपने काम में इम्प्रूवमेंट लेकर आये. और यही
चीज़ उस मैनेजर को भी अपनी टीम के मन में बैठे डर
को स्टडी करने के बाद realize हुई.
एक इफेक्टिव एमबीए बनने के लिए आपको अपनी
पर्सनेलिटी में भी इम्प्रूवमेंट लानी होंगी, अगर आप एक
क्रिएटिव लीडर बनना चाहते है.
एमबीए कोर्स आपके अंदर वो स्किल्स डेवलप करते है
जो आप में अपने टीम मेंबर्स का बिहेवियर चेंज करने
के लिए होने चाहिए. लेकिन दूसरो को चेंज करने से
पहले आपको खुद में बदलाव लाने पड़ेंगे.
एक मैनेजर के तौर पर अपनी फुल पोटेंशियल अचीव
करने के लिए आपको अपनी पर्सनेलिटी को हमेशा
इम्प्रूव करने रहना होगा. इसलिए हमेशा अपनी
लीडरशिप स्किल्स और क्रिएटिविटी को इम्प्रूव करते
रहिये. जैसा हमने ऊपर आपको एक्जाम्पल दिया,
मैनेजर को एह्सास हुआ कि अपनी टीम का बिहेवियर
चेंज करने से पहले उसे खुद का बिहेवियर चेंज करना
होगा. और ये हम तभी कर सकते है जब हम अपनी
गलतियों को स्वीकार करेंगे और अपने टीम वर्कर्स को
डराकर रखने के बजाए उन्हें मोटिवेट करना शुरू करेंगे.
लिए मैनेजर तब उन्हें कुछ रिवॉर्ड वगैरह भी देता था
जब कोई मेंबर कंपनी के फायदे के लिए कोई क्रिएटिव
थॉट लेकर आता था.
अगर आप अपने वर्कर्स का बिहेवियर चेंज करना
चाहते हो तो पहले आपको उन्हें मोटिवेट करना होगा
कि वो अपने काम में इम्प्रूवमेंट लेकर आये. और यही
चीज़ उस मैनेजर को भी अपनी टीम के मन में बैठे डर
को स्टडी करने के बाद realize हुई.
एक इफेक्टिव एमबीए बनने के लिए आपको अपनी
पर्सनेलिटी में भी इम्प्रूवमेंट लानी होंगी, अगर आप एक
क्रिएटिव लीडर बनना चाहते है.
एमबीए कोर्स आपके अंदर वो स्किल्स डेवलप करते है
जो आप में अपने टीम मेंबर्स का बिहेवियर चेंज करने
के लिए होने चाहिए. लेकिन दूसरो को चेंज करने से
पहले आपको खुद में बदलाव लाने पड़ेंगे.
एक मैनेजर के तौर पर अपनी फुल पोटेंशियल अचीव
करने के लिए आपको अपनी पर्सनेलिटी को हमेशा
इम्प्रूव करने रहना होगा. इसलिए हमेशा अपनी
लीडरशिप स्किल्स और क्रिएटिविटी को इम्प्रूव करते
रहिये. जैसा हमने ऊपर आपको एक्जाम्पल दिया,
मैनेजर को एह्सास हुआ कि अपनी टीम का बिहेवियर
चेंज करने से पहले उसे खुद का बिहेवियर चेंज करना
होगा. और ये हम तभी कर सकते है जब हम अपनी
गलतियों को स्वीकार करेंगे और अपने टीम वर्कर्स को
डराकर रखने के बजाए उन्हें मोटिवेट करना शुरू करेंगे.
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Steven Silbiger
Quantitative Analysis
इससे पहले के चैप्टर्स में हमने मार्केटिंग स्ट्रेटेजी,
एथिकल इश्यूज और वर्कर्स के बिहेवियर पर चर्चा
की थी. इन डिसप्लींस को जिन टूल्स की जरूरत
होती है जो सिर्फ quantitative एनालिसिस ही
प्रोवाइड करा सकती है. इसलिए quantitative
एनालिसिस एक इम्पोर्टेट सब्जेक्ट है जो आप एमबीए
में स्टडी कर सकते हो.
बेशक आपको नंबर्स और एनालिसिस स्टडी करना
मुश्किल लगता होगा लेकिन इसे स्किप ना ही करे तो
अच्छा होगा. इसलिए पूरी कोशिश करो कि आपको
इसका बेसिक्स समझ आ जाए.
Quantitative एनालिसिस के मास्टर बनकर आप
अपने बॉस अपने मार्केटिंग प्लान्स दिखाकर इम्प्रेस कर
सकते हो. जैसे कि मान लो आप ने मार्केटिंग प्लान में
चार्ट्स और ग्राफ भी बनाये है तो उसे समझने में और
भी आसानी हो जायेगी. जब आप एक एमबीए होने के
नाते अपनी जॉब में फैक्ट्स यूज़ करते हो तो आपकी
बातों में एक क्रेडिबीलिटी नजर आती है क्योंकि
आपका रिजल्ट हमेशा ऑब्जेक्टिव रहता है.
एक एमबीए होने के नाते quantitative
एनालिसिस टूल्स में से एक टूल जो आप यूज़ कर
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TT साउन
A ८
एनालिसिस टूल्स में से एक टूल जो आप यूज़ कर
सकते हो, वो है आपकी डिसीजन थ्योरी. आप इस टूल
को अपनी टीम की प्रोब्लम को साइंटिफिक मेथड जैसे
डिसीजन ट्री डायग्राम की मदद से फिक्स करने में यूज़
कर सकते हो.
जैसे मान लो मिस्टर सैम हॉस्टन Texas के रहने वाले
है जोकि एक एंटप्रेन्योर है और आपको इसलिए हायर
करते है कि आप उन्हें बता सके कि आयल के लिए
ड्रिल किया जाये या नहीं. अब आपकी जॉब है उन्हें
एक ट्री डायग्राम की मदद से ये समझाना कि इस काम
में कितने परसेंट सक्सेस मिल सकती है या नहीं मिल
सकती.
तो आपका पहला काम है’ ये पता करना कि oil
ड्रिलिंग में कितना रिस्क है और कितना पॉसिबल
आउटकम मिल सकता है. मिस्टर सैम ने अपनी रिसर्च
कर ली है और उनके पास कुछ ऑप्शन्स है. तो आपका
काम है इन ऑप्शन्स को जज करना और जो ज़्यादा
काम के ना हों उसे हटा देना.
मिस्टर सैम के पास दो आप्शन है. ड्रिलिंग से पहले वो
किसी एक्सपर्ट को बुलाकर उस एरिया को चेक करवा
सकते है, मान लो उन्होंने पहले ही ड्रिलिंग करवा ली
और वहां कुछ नहीं निकला तो उनका पैसा और वक्त
दोनों बर्बाद जाएगा.
अगर मिस्टर सैम ड्रिलिंग से पहले हर एरिया को टेस्ट
करवाते है तो उन्हें एक्सपर्ट को कम पैसा देना पड़ेगा
पर इसके बावजूद हो सकता है कि जमीन से oil ना
निकले. ऐसी सूरत में भी मिस्टर सैम का पैसा बर्बाद
पर इसके बावजूद हो सकता है कि जमीन से oil ना
निकले. ऐसी सूरत में भी मिस्टर सैम का पैसा बर्बाद
ही होगा. पर अगर जो एरिया उन्होंने टेस्ट करवाए,
पोजिटिव निकले तो मिस्टर सैम तुरंत ड्रिलिंग प्रोसेस
शुरू करवा सकते है और खूब सारा पैसा कमा सकते
है.
एक बार आपने इन सारे ऑप्शन्स को लिखकर एक ट्री
डायग्राम बना लिया तो सारी चीज़े वेल ऑर्गेनाईज हो
जायेंगी और मिस्टर सैम को भी पता लग जाएगा कि वो
किस तरह का रिस्क उठा सकते है और किस टाइप का
उन्हें अवॉयड करना चाहिए.
तो इस तरह quantitative एनालिसिस के जो
टूल्स आपने सीखे है, वो आपको आपनी एमबीए
जॉब में हेल्प कर सकते है. आपको इंडीविजुअल या
कंपनीज़ की प्रोब्लम्स सोल्व करने के लिए हायर किया
जा सकता है और आप साइंटिफिक मेथड्स के श्रू
फैक्ट्स चेक और कण्ट्रोल करके अपने क्लाइंट्स को
ऐसे डिसीजन लेने में हेल्प कर सकते है जिससे उन्हें
फायदा पहुंचे.
Quantitative मेथड असल में बेस्ट टूल्स है जो
आप एक एमबीए के तौर पर अपनी जॉब में यूज़ कर
सकते है. पर सबसे बढ़कर है आपकी खुद की जजमेंट
जो आप सिचुएशन के हिसाब से डिसाइड करते हो.
इसलिए फील्ड में जाने की कोशिश करो और खुद के
अनुभवों से सीख कर अपनी स्किल्स इम्प्रूव करो.
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Finance
1980 के दशक में फाइनेंस बड़ा पोपुलर सब्जेक्ट हुआ
करता था. सबका बस एक ही सपना था” कि वो वाल
स्ट्रीट जाए और खूब सारे पैसे कमाए.हालांकि सात
साल बाद जब स्टॉक मार्केट क्रेश हुआ तो एमबीए
स्टूडेंट्स ने भी सपने देखना छोड़कर रेगुलर एम्प्लोएमेंट
की तरफ ध्यान देना शुरू किया और बैंक्स और
छोटी-मोटी कंपनीज़ में जॉब करना शुरू कर दिया.
लेकिन जब 2004 में स्टॉक मार्केट फिर से अपने
पैरो पर खड़ी हुई तो एमबीए स्टूडेंट्स को एक बार फिर
से फाइनेंस डिपार्टमेंट में हाई पेईंग जॉब मिलने लगी.
आप शायद सोच रहे होंगे कि फाइनेंस का मतलब सिर्फ
नंबर्स और केलकुलेश्न तक सीमित है, लेकिन बाकि
सब्जेक्ट जैसे मार्केटिंग भी आपके फाइनेंस स्किल्स को
इम्प्रूव करती है.
अगर आपने फाइनेंस में एमबीए किया है तो आपकी
जॉब होगी’ अपनी कंपनी को और ज्यादा प्रॉफिट कमाने
में मदद करना.
एमबीए कोर्स के दौरान एक फाइनेंस टॉपिक जो आप
पढ़ेंगे वो है आप्शंस मार्केट यानी एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट
जो दो पार्टी के बीच साईन होता है जो इस बात की
गारंटी देता है कि सेलर ने बायर को किसी एसेट का
यातायात साल 17
जादा पाटाकबाचसाइन हाता ह जा इस बात का
गारंटी देता है कि सेलर ने बायर को किसी एसेट का
एक फिक्स्ड प्राइस दिया है. ये फिक्स्ड प्राइस या तो
अभी पे किया जा सकता है या फिर फ्यूचर में जब तक
कि कॉन्ट्रैक्ट चलता रहेगा.
अब जैसे एक्जाम्पल के लिए जी. आर. क्विक को एक
घर खरीदना था. उन्हें लगता था कि बेवर्ली हिल्स में
प्रॉपर्टी के प्राइस बढने वाले है. लेकिन अभी उनके पास
फुल पेमेंट करने लायक पैसे नहीं थे.
इस घर का प्राइस अभी $7000,000 है और अगर
क्विक ने अभी इसे नहीं खरीदा तो शायद अगले कुछ
महीनों में इस घर का प्राइस डबल हो सकता है.
ये सोचकर कि कहीं घर हाथ से ना निकल जाए क्विक
ने डिसाइड किया कि वो सेलर को $5,000 एडवांस
दे देगा ताकि वो उस घर को कम से कम छह महीने
तक किसी दूसरे को ना बेच सके. और इस छेह महीने
में अगर क्विक ने बाकी पैसे का इंतजाम कर लिया तो
भी उसे वो घर $1,000,000 में ही मिलेगा चाहे इस
दौरान प्राइस डबल ही क्यों ना हो जाए.
हालांकि अगर छह महीने के अन्दर क्विक पैसे का
इंतजाम नहीं कर पाया तो घर तो उसके हाथ से जाएगा
ही साथ ही $5000 का आप्शन भी नहीं रहेगा.
फाईनेंशियल इश्यू की जानकारी आपको समझने में
हेल्प करती है कि आप किस तरह की जॉब में डील कर
रहे हो. जब आपको पता होता है कि आप किस तरह
के बिजनेस स्ट्रक्चर को हेल्प करने के लिए हायर किये
गए हो, तो आपको ये समझने में आसानी रहती है कि
–11 I
mf
अब जैसे एक्जाम्पल के लिए जी. आर. क्विक को एक
घर खरीदना था. उन्हें लगता था कि बेवर्ली हिल्स में
प्रॉपर्टी के प्राइस बढ़ने वाले है. लेकिन अभी उनके पास
फुल पेमेंट करने लायक पैसे नहीं थे.
इस घर का प्राइस अभी $7000,000 है और अगर
क्विक ने अभी इसे नहीं खरीदा तो शायद अगले कुछ
महीनों में इस घर का प्राइस डबल हो सकता है.
ये सोचकर कि कहीं घर हाथ से ना निकल जाए क्विक
ने डिसाइड किया कि वो सेलर को $5,000 एडवांस
दे देगा ताकि वो उस घर को कम से कम छह महीने
तक किसी दूसरे को ना बेच सके. और इस छेह महीने
में अगर क्विक ने बाकी पैसे का इंतजाम कर लिया तो
भी उसे वो घर $1,000,000 में ही मिलेगा चाहे इस
दौरान प्राइस डबल ही क्यों ना हो जाए.
हालांकि अगर छह महीने के अन्दर क्विक पैसे का
इंतजाम नहीं कर पाया तो घर तो उसके हाथ से जाएगा
ही साथ ही $5000 का आप्शन भी नहीं रहेगा.
फाईनेंशियल इश्यू की जानकारी आपको समझने में
हेल्प करती है कि आप किस तरह की जॉब में डील कर
रहे हो. जब आपको पता होता है कि आप किस तरह
के बिजनेस स्ट्रक्चर को हेल्प करने के
गए हो, तो आपको ये समझने में आसानी रहती है कि
एक कॉन्ट्रैक्ट के अंदर गवर्नमेंट या अलग-अलग पार्टी
के साथ किस तरह प्रोफिट, लीगल इश्यू, राईट्स और
ड्यूटीज़ एक्स्पेक्ट की जा सकती है.
हायर किये
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Strategy
अब तक हमने जो थ्योरी और सब्जेक्ट डिस्कस किये
है, अगर आप उन्हें लेकर नर्वस है तो ये एक टॉपिक
आपको एक एमबीए होने पर प्राउड फील करने में हेल्प
करेगा. स्ट्रेटेज़ी वो पार्ट है जहाँ आपको उन चीजों को
प्रैक्टिस करने का मौका मिलता है जो आपने अब तक
सीखी है और इसके श्रू आप खुद को आगे बढ़ता हुआ
देख सकते है.
स्ट्रेटेज़िक बनने के लिए आपको स्मार्ट बनना पड़ेगा
ताकि आप किसी बिजनेस को उसकी इंडस्ट्री,
कॉम्पटीशन, करंट और फ्यूचर एनवायरमेंट के टर्न्स
में स्टडी कर सके. एक एमबीए के तौर पर आपका
गोल होना चाहिए एक ऐसा प्लान डिजाईन करना जो
आपकी कंपनी को अपना अल्टीमेट विजन और गोल्स
अचीव करने में हेल्प कर सके.
आपको शायद लगता होगा कि ज़्यादातर बिजनेस
अपने विजन या गोल्स के बारे में जानते है पर हर कुछ
बिजनेस के साथ ऐसा नहीं होता. कुछ बिजनेस ऐसे
भी होते है जो अपना गोल्स ही भल जाते है. उन्हें पता
All Done?
Finished
A८
बिजनेस के साथ ऐसा नहीं होता. कुछ बिजनेस ऐसे
भी होते है जो अपना गोल्स ही भूल जाते है, उन्हें पता
ही नहीं होता कि वो किस डायरेक्शन में जा रहे है या
क्या कर रहे है या उन्हें फ्यूचर में क्या अचीव करना
है. ऐसे में एक एमबीए के तौर पर इन सारे सवालों के
जवाब ढूंढना आपकी ड्यूटी है. अगर आप उनकी हेल्प
नहीं करेंगे तो हो सकता है कि कोई और कंपनी उन्हें
टेकओवर कर ले या फिर आपकी कंपनी लोस में भी
जा सकती है.
स्ट्रेटेज़िक प्लानिंग में आपको दो स्टेज फॉलो करने
होते है. पहला, आपको अपने plans बनाने होंगे और
एक्शनेबल स्टेप्स को इम्प्लीमेंट करना होगा.
थॉमस जे, पीटर्स ने सेवन एस. (Seven S) मॉडल
बनाया है जो आपको कंपनी के हिसाब से उसकी
प्रोब्लम ढूंढ कर और उन प्रोब्लम्स को सोल्व करने के
लिए अपनी स्ट्रेटेज़ी सेट करने में हेल्प करेंगे.
ये सेवन स्टेप्स कोई फिक्स्ड अप्रोच नहीं है. आप
अपनी कंपनी के बिजनेस को देखते हुए हेल्प करने
की कोशिश करते है और करंट सिचुएशन के हिसाब से
बेस्ट स्टेप लेने से शुरुवात करते है.
यहाँ पहले S का मतलब है स्ट्रक्चर. आपके बिजनेस
का स्ट्रक्चर उस प्लान के साथ इंटरफेयर कर सकता
है जो आप डिजाईन करना चाहते हो. कुछ कंपनीज़
शिकायमार्ग ता की ननतिळाची
का स्ट्रक्चर उस प्लान क साथ इटरफयर कर सकता
है जो आप डिजाईन करना चाहते हो. कुछ कंपनीज़
सिर्फ कस्टमर्स पर फोकस करती है जबकि कुछ अपनी
जियोग्राफी पर. अब जैसे एक्जाम्पल के लिए, एक
कंपनी जो जियोग्राफी पर बेस्ड है अचानक डिसाइड
करती है कि वो अपनी डायरेक्शन चेंज करके कस्टमर्स
पर ज्यादा फोकस करेगी. इसलिए आपको एक ऐसा
प्लान डिजाईन करना होगा जो उनके कस्टमर्स की
नीड्स पूरी कर सके.
दूसरा S है स्ट्रेटेजी. स्ट्रेटेज़ी वो कोर्स ऑफ़ एक्शन होता
है जो कंपनी फॉलो करने की कोशिश करती है ताकि
वो अपने कस्टमर्स चेंज, एनवायरमेंट और कॉम्पटीशन
में आये बदलाव के साथ एडजस्ट कर सके.
तीसरा है स्टाइल. स्टाइल से हमारा मतलब है किसी
कंपनी का कल्चर जो वो सेट करती है. स्ट्रेटेज़ी बनाते
वक्त आपको अपने टारगेटेड कस्टमर्स के बिलिफ्स,
नोर्स, बिहेवियर और थिंकिंग पैटर्न को ध्यान में लेकर
चलना होगा.
चौथा S है स्टाफ यानी आपके ह्यूमन रिसोर्स यानी
आपको अपने वर्कर्स की प्रोमोशन, अवार्ड, ट्रेनिंग,
मोटिवेशन को ध्यान में रखना होगा और उनके एटीट्यूड
को भी मोनिटर करना होगा..
पांचवा S है सिस्टम यानी फॉर्मल और इनफॉर्मल स्टेप्स
जो आपको जानकारी जटाने और अपनी स्टेजी बनाने
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Finished
पांचवा S है सिस्टम यानी फॉर्मल और इनफॉर्मल स्टेप्स
जो आपको जानकारी जुटाने और अपनी स्ट्रेटेज़ी बनाने
के लिए उठाते है.
छठा S है Superordinate गोल्स यानी वो
अनलिखे विजन, गोल्स और इच्छा जो फाउंडर्स अचीव
करने का सपना देखते है.
और फाइनल S है मिशन स्टेटमेंट यानी वो शोर्ट सेंटेंस
जिनसे किसी कंपनी के गोल, पैशन और विजन
झलकते है.
अब जबकि आप सेवन एस मॉडल के सारे
example समझ गए है तो आप इन रूल्स को
प्रेक्टिकल में अप्लाई कर सकते हो.
कंपनी एक बार आपको हायर कर ले तो उसके बाद
आप इन सेवन एस को फुल एनालिसिस करके एक
पेपर पर लिख लो. अब जब सारे फैक्ट्स आपके सामने
है तो अब आपको एक ऐसी सॉलिड स्ट्रेटेजी प्लान
करनी है जो आपको कंपनी को ग्रो करने में हेल्प कर
सके.
Conclusion
एक एमबीए ग्रेजुएट होना उन स्टूडेंट्स के लिए बड़े गर्व
की बात है जो किसी बड़ी कंपनी में एक हाई-रैंकिंग
जॉब करना चाहते है पर इससे पहले कि आप एमबीए
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Finished
एक एमबीए ग्रेजुएट होना उन स्टूडेंट्स के लिए बड़े गर्व
की बात है जो किसी बड़ी कंपनी में एक हाई-रैंकिंग
जॉब करना चाहते है पर इससे पहले कि आप एमबीए
कोर्स में दाखिला लेने के बारे में सोचे, इस किताब
को पढ़कर आपको ये तो पता चल ही गया होगा कि
आखिर एमबीए कोर्स होता क्या है और इसकी क्या
इम्पोर्टेस है.
इस किताब में स्टीवन सिल्बिगर ने एमबीए के कुछ
सबसे मुश्किल कॉन्सेप्ट्स को आसान तरीके से सिंपल
और क्लियर भाषा में समझाने की कोशिश की है.
ऑथर ने इस किताब में कुछ इस तरह के एक्जाम्पल
में
दिए है जिससे आपको एमबीए कोर्स के बारे में सारी
जानकारी मिल जाएगी और आपको ये भी आईडिया
लग जाएगा कि आपको इस कोर्स के दौरान कौन-कौन
से सब्जेक्ट पढने होंगे.
आपने इस किताब से सीखा कि एक एमबीए बनने
के लिए आपको मार्केटिंग, एथिक्स, ओर्गेनाईजेशन
बिहेवियर और quantitative एनालिसिस,
फाइनेंस और स्ट्रेटेज़ी वगैरह के बारे में सीखना पड़ेगा.
हालांकि एक एमबीए के तौर पर अपना करियर शुरू
करने के लिए इन सभी सब्जेक्ट्स के बारे में जानना
बेहद जरूरी है पर साथ ही बिजनेस की रियल दुनिया
All Done?
Finished
और क्लियर भाषा में समझाने की कोशिश की है.
ऑथर ने इस किताब में कुछ इस तरह के
एक्जाम्पल
दिए है जिससे आपको एमबीए कोर्स के बारे में सारी
जानकारी मिल जाएगी और आपको ये भी आईडिया
लग जाएगा कि आपको इस कोर्स के दौरान कौन-कौन
से सब्जेक्ट पढने होंगे.
आपने इस किताब से सीखा कि एक एमबीए बनने
के लिए आपको मार्केटिंग, एथिक्स, ओर्गेनाईजेशन
बिहेवियर और quantitative एनालिसिस,
फाइनेंस और स्ट्रेटेज़ी वगैरह के बारे में सीखना पड़ेगा.
हालांकि एक एमबीए के तौर पर अपना करियर शुरू
करने के लिए इन सभी सब्जेक्ट्स के बारे में जानना
बेहद जरूरी है पर साथ ही बिजनेस की रियल दुनिया
का अनुभव होना और भी ज्यादा जरूरी है.
एक बार अगर आपने वो सारी स्किल्स सीख ली जो
एक एमबीए होने के लिए जरूरी है तो उसके बाद
अगला स्टेप आता है इन स्किल्स को रियल लाइफ में
प्रेक्टिस करने का और अपना टेलेंट, क्रिएटिविटी और
reputation बनाने का.