RICHER, WISER, HAPPIER: HOW THE WORLD’S GRE… WILLIAM GREEN Books In Hindi Summary

RICHER, WISER, HAPPIER:
HOW THE WORLD’S GRE…
WILLIAM GREEN
इंट्रोडक्शन

दुनिया के सभी ग्रेट इंवेस्टर दूसरे ग्रेट इंवेस्टर से इन्फ्लुयेंस्ड रहते हैं. इसलिए अगर आप भी एक ग्रेट
इंवेस्टर बनना चाहते हो तो आपको भी कुछ ग्रेट इंवेस्टर के बारे में जानना चाहिए! ये समरी आपको
इस सेंचुरी के कुछ बेस्ट इंवेस्टर से रूबरू कराएगी जैसे कि चार्ली मंगर , सर जॉन टेम्पलटन और पीटर
लिंच और साथ ही उनकी टीचिंग्स और फाईनेंशीयल प्रिंसिपल्स से भी आपको इंट्रोड्यूस कराएगी. तो आइए
शुरू करते है ये समरी और मिलते है ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी के कुछ बेस्ट इंवेस्टरसे. The Man Who Cloned Warren Buffett सुबह 7 बजे मैं मोहनीष पाबराई के साथ इण्डिया के वेस्टर्न कोस्ट पर ड्राइव कर रहा था. मोहनीष पाबराई एक जाने-माने इंवेस्टर है जो कैलिफोर्निया से इण्डिया 40 छोटी लड़कियों से मिलने आए थे. तो प्रोग्राम कुछ ऐसा था कि एक चैरिटेबल फाउंडेशन “दक्षिणा” के लिए हम इन लड़कियों से मिल रहे थे.
ये चैरिटेबल ट्रस्ट ऐसे परिवारों के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाती है जो बेहद गरीब होते है. इन बच्चों की
पढाई-लिखाई का जिम्मा उठाकर इन्हें आईआईटी के मश्किल एंटेंस एक्जाम के लिए तैयार किया जाता है


अब तक कोई एक मिलियन से भी ज्यादा स्टूडेंट्स इस एग्जाम के लिए अप्लाई कर चुके है पर सिलेक्टसिर्फ
2% हुए है. पाबराई इन लड़कियों की क्लास रूम में गए और उन्हें एक सवाल हल करने के लिए दिया.
उन्होंने ब्लैक बोर्ड पर एक equation लिखा: n is a prime number >= 5. Prove that n^2 –
1 is always divisible by 24. दस मिनट बाद एक छोटी लड़की अलीसा ने अपना
हाथ उठाया और बोली” ये सिर्फ एक थ्योरी है. अलीसा को आंसर एक्सप्लेन करने को कहा गया तो उसने
ब्लैक बोर्ड पर अपना सोल्यूशन एक्सप्लेन करके दिखाया. पाबराई ने बाद में मुझे बताया कि उस
लड़की में पोटेंशियल है और वो आईआईटी एक्जाम में टॉप 200 में आ सकती है. उसी दिन दोपहर के वक्त
छोटे-छोटे बच्चों ने पाबराई को घेर लिया और उन पर सवालों की बौछार कर दी. एक बच्चे ने पूछा, “सर, आप इतना पैसा कैसे कमा लेते हैं?” इस पर पाबराई ने जवाब दिया कि वो पैसे को कम्पाउंड करते है.
अपनी बात को एक्सप्लेन करने के लिए उन्होंने बताया कि उनकी अठारह साल की बेटी ने समर जॉब
से $4,800 कमाए थे. पाबराई ने वो पैसे उसके रिटायरमेंट अकाउंट में जमा करवा दिए. पाबराई ने बच्चों से पूछा बताओ साल के 75% के हिसाब से अगले 60 सालों में ये पैसा कितना हो जाएगा?”

और मिनटों में ही बच्चों ने आंसर दे दिया”$21 मिलियन”. उन्होंने बच्चों से पूछा तो बताओ बच्चों , अब कभी
तुम पॉवर ऑफ़ कम्पाउंडिंग भूलोगे?” गाँव के बच्चों ने ज़ोर से जवाब दिया”नहीं सर.” पाबराई कोई खानदानी अमीर नहीं थे. वो एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे. उनकी फेमिली को आए दिन पैसों की तंगी का सामना करना पड़ता था. कई बार तो उन लोगों के पास घर का राशन ख़रीदने के भी पैसे नहीं होते थे. पाबराई जब स्कूल में थे तो पढने लिखने में कुछ ख़ास नहीं थे. 65 बच्चों की क्लास में वो 62 वें नंबर पर आते थे. एक दिन उनका आई क्यू टेस्ट हुआ जिसमें उन्हें काफी अच्छे स्कोर मिले थे. उस दिन से उनका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ गया. पहले उन्हें लगता था कि इंवेस्टर सबसे बेवकूफ़ लोग होते है. उन्होंने इन्वेस्टिंग क्लास लेनी शुरू की और एवरेज़ 106% लेकर फाईनल में पहुंचे. उनके प्रोफ़ेसर ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें इंजिनियरिंग मेजर छोड़कर फाईनेंस लेना चाहिए. लेकिन पाबराई को लगता था फाईनेंस  एक बेवकूफ़ सब्जेक्ट है जिसमें कोई भी पास हो सकता है. उनका मानना था कि फाईनेंस की उनका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ गया.

पहले उन्हें लगता था कि इंवेस्टर सबसे बेवकूफ़ लोग होते है. उन्होंने इन्वेस्टिंग क्लास लेनी शुरू की और
एवरेज़ ]06% लेकर फाईनल में पहुंचे. उनके प्रोफेसर ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें इंजिनियरिंग मेजर छोड़कर
फाईनेंस लेना चाहिए. लेकिन पाबराई को लगता था फाईनेंस एक बेवकूफ़ सब्जेक्ट है जिसमें कोई भी
पास हो सकता है. उनका मानना था कि फाईनेंस की पढ़ाई उनकी इंजीनियरिंग मैं केनिक्स की सिलेबस
के हाफ़ जितनी भी मुश्किल नहीं है. फिर एक दिन उन्होंने पीटर लिंच की वन अप ऑन द wal| स्ट्रीट”
बुक खरीदी जिसमें उन्होंने वॉरेन बफ़ेट के बारे में पढ़ा. उन्होंने पढ़ा कि 1950 में इंवेस्ट किया गया एक डॉलर
1994 में $744,523 तक पहुंच सकता है और तब उन्हें एहसास हुआ कि नहीं, वॉरेन बफ़ेट बेवकूफ़ तो
बिलकुल नहीं थे. उन्होंने अपनी स्ट्रेटेज़ी नहीं बनाई बल्कि सबसे skillful इंवेस्टर को ढूँढा और एनालाईज़ करने की कोशिश की कि वो इतने सक्सेसफुल क्यों है और उसकी इसी अप्रोच को उन्होंने कॉपी कर लिया.
पाबराई ने अपने एक मिलियन को मल्टीप्लाई करके बिलियन में तब्दील कर दिया था! हुबहू वॉरेन बफ़ेट
की तरह बनकर पाबराई ने अपने लिए दौलत के दरवाजे खोल लिए थे.

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The Willingness to Be Lonely

20th सेंचुरी के सबसे सक्सेसफुल और ग्रेटेस्ट इंटरनेशनल इंवेस्टर सर जॉन टेम्पलटन का इंटरव्यू
लेने मैं बहामास गया था. टेम्पलटन का रिकॉर्ड हमेशा से ही शानदार रहा है. टेम्पलटन ग्रोथ फंड ने 38 सालों
से भी ज्यादा के वक्त में 14.5% रिटर्न कमाकर दिखाया है. जिस इंसान ने ज़ीरो से शुरुवात की थी, वो आज एक billionaire है. टेम्पलटन 1960 के दशक में बहामास चले गए थे. उनके पास यू.एस. पासपोर्ट है, वो एक ब्रिटिश सिटिज़न बने और लेफोर्ड के (Lyford Cay) में अपना घर लिया. जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने बताया कि वो पहले से कहीं ज्यादा बिजी रहते है. उन्होंने कई सौ मिलियन डॉलर में अपनी इंवेस्टमेंट फर्म बेच दी और अब अपना सारा टाइम सोशल वर्क और चैरिटी के कामों को देते है. जब वो छोटे थे तो उनके पेरेंट्स ने उन्हें हमेशा इंडिपेंडेंट बनने की सीख दी. वो कभी उन्हें ऑर्डर नहीं देते थे. एक बार फेमिली जब एक ट्रिप पर गई तो टेम्पलटन को मैप पढ़कर रास्ता ढूंढने का काम मिला. लेकिन उन्होंने गलती से मैप गलत रीड कर दिया जिस वजह से उन्हें अपनी मंज़िल तक पहुँचने में दो घंटे ज्यादा लग  गये लेकिन किसी ने भी उन्हें टोका नहीं . उन्हें लगता है कि इस घटना से उन्हें जो सीखने को मिला वो ये कि इंडिपेंडेंट बनना लाइफ के सबसे इम्पोर्टेट लेंसन है जो उनके पेरेंट्स उन्हें सिखाने की कोशिश कर रहे थे.

वो पढने में अच्छे थे इसलिए येल में उन्हें एडमिशन मिल गया. लेकिन उन दिनों उनके पिता बड़ी फाईनेंशीयल प्रॉब्लम से गुजर रहे थे तो टेम्पलटन को पार्ट टाइम जॉब पकडनी पड़ी. येल में ही उन्होंने
डिसाइड कर लिया था कि वो इंवेस्टर बनेंगे. उन्हें मैथ्स करने में और प्रॉब्लम को सोल्व करने में मजा आता
था. वो खुद से पूछते थे कि हम एक स्टॉक को उसकी वैल्यू के फ्रैक्शन के हिसाब से कैसे खरीद सकते है.
1939 तक टेम्पलटन ने $30000 सेव कर लिए थे. ये जंग का वक़्त था और टेम्पलटन ने सोचा कि
अगर जंग होती है तो कौन-कौन सी कंपनी मुनाफे में रहेगी. उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल खोला और ऐसी 104
अमेरीकन कंपनी की लिस्ट बनाई जो ग्रेट डिप्रेशन सर्वाइव कर चुकी थी. उन्होंने एक स्टॉक ब्रोकर को
कॉल किया और उससे इन कंपनियों में से हर एक में $700 इंवेस्ट करने को कहा. स्टॉक ब्रोकर को उनकी
बात थोड़ी अटपटी लगी. लेकिन जैसा टेम्पलटन ने उसे कहा था उसने वैसा ही किया सिवाए 37 कंपनी के
जो उसने छोड़ दी थी. उसका कहना था कि ये कंपनी दिवालिया है पर टेम्प्टलेटन ने उसे ये कहते हुए रोक लिया कि शायद ये रीकवर कर जाएं . उन्होंने काफी बड़ा रिस्क लिया था और पांच साल बाद टेम्पलटन ने अपनी टोटल वर्थ का करीब पांच गुना ज्यादा कमा लिया था. 104 में से 100 कंपनी से उन्होंने प्रॉफिट कमाया था. हालाँकि उन्हें इस बात का अफ़सोस भी था कि उन्होंने सिर्फ पांच साल ही पैसा इंवेस्ट किया.

एक कम्पनी जिसमें उन्होंने सिर्फ 25% शेयर लिए थे उसके प्राइस अब 5 डॉलर तक हो चुके थे. अगर वो
उसे बेचते नहीं तो शायद कुछ सालों में यही शेयर 100 डॉलर हो सकते थे. उनकी सक्सेस में टैलेंट से ज्यादा
स्किल का रोल था. उन्होंने बोल्ड डिसीजन लिए क्योंकि वो रिस्क लेने से डरते नहीं थे. अपनी लाइफ में उन्होंने काफी फाईनेंशीयल प्रॉब्लम देखी थी इसलिए एक सबक उनके दिलो-दिमाग में छप गया था: उस वक्त खरीदने की कोशिश करो जब सारे लोग बेचने के लिए उतावले हो रहे हो. वो इसे”द पॉइंट ऑफ़ मैक्सिमम पैशीमिज्म” कहते है. ये रहे वो छह प्रिंसिपल जिन्होंने टेम्पलटन को उनकी पूरी इंवेस्टमेंट की जर्नी में गाईड किया है:
1. Beware of emotion यानी भावनाओं से सावधान रहें. इंवेस्टमेंट एक ट्रिकी बिजनेस है जहाँ कुछ भी सेम नहीं रहता. किसी बड़े नुक्सान की वजह से अगर आप नेगेटिव या निराश फील कर रहे है तो इस चीज़ को खुद पर हावी ना होने दे और अगर कोई बड़ा प्रॉफिट हो गया तो overconfidence में आकर कोई डिसीजन ना ले. कहने का मतलब है कि अपने ईमोश्न्स को खुद पर हावी ना होने दे.

2. अपनी नॉलेज की कमी या नादानी से बचकर रहे. किसी भी कंपनी या इंडस्ट्री के बारे में अगर आपकी
नॉलेज लिमिटेड तो उस लिमिटेड नॉलेज के बेसिस पर इंवेस्टमेंट डिसीजन कभी मत लेना.

3. आपको डाइवर्सीफिकेशन सीखना होगा, यानि अपना सारा पैसा एक ही स्टॉक में मत लगाओ. अगर
हम एक बास्केट में सारे पैसे डालते है तो नुक्सान होने पर सारा पैसा डूब जायेगा. इसलिए डाइवर्सीफ़िकेशन
ही बेस्ट पॉलिसी है.

4. किसी भी सक्सेसफुल इंवेस्टमेंट के लिए पेशंस रखने की जरूरत पड़ती है. टेम्पलटन ने जब चीप
स्टॉक्स लिए थे तब उन्हें नहीं पता था कि इन स्टॉक्स के प्राइस कब तक बढ़ेंगे. अगर आप सही समय पर
सब्र से काम नहीं लेंगे तो हो सकता है कि आगे ज़बरदस्त रिटर्न मिलने के चांस आपके हाथ से निकल
जाए.

5. बार्गेन करने का बेस्ट तरीका है कि उन एसेस्ट्स को स्टडी करो जिनकी परफोर्मेंस पिछले पांच सालों में काफी बुरी रही है और फिर ये पता लगाओ कि जिस वजह से परफोर्मेंस ख़राब हुई है वो टेम्परेरी है या परमानेंट. ज्यादातर लोग ऐसे इंवेस्टमेंट ढूंढते है जिनके स्टॉक्स ऊपर उड़ रहे हो लेकिन आप उन स्टॉक्स से भला कैसे कमा सकते हो जो पहले से ही ऊपर चढ़े हुए है? इसलिए बैटर यही होगा कि ऐसे स्टॉक्स देखे जाएं जो अभी खराब परफोर्म कर रहे है और ये भी पता लगाओ कि इसके पीछे कारण परमानेंट है या टेम्परेरी. अगर टेम्परेरी कारण है और कंपनी के फ्यूचर में बैटर फंक्शन करने की उम्मीद है तो ऐसी कंपनी में इंवेस्ट करना एकदम राईट चॉइस है क्योंकि ये आगे चलकर आपको बहुत अच्छे रिटर्न देंगी.

6. एक इंवेस्टर होने के नाते सबसे इम्पोर्टेट चीज़ जो आपको ध्यान में रखनी चाहिए वो ये कि कभी ट्रेंडके
पीछे मत भागो. अगर आप भी उन्हीं स्टॉक्स के पीछे है जो हर कोई ले रहा है तो पक्का आगे चलकर आपको
नुक्सान उठाना पड़ेगा. ऐसी कंपनी में कभी इंवेस्ट मत करो जिनमें सब कर रहे हो. एक पॉइंट के बाद
ऐसी कंपनी ओवरवैल्यूड हो जाती है इसलिए आपको ऐसे शेयर्स से बचकर रहना चाहिए.

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Everything Changes

मार्क हॉवर्ड जब कॉलेज में थे तो उन्होंने आर्ट स्टूडियो की क्लास ज्वाइन की थी. हालाँकि उनका मेजर
सब्जेक्ट ईनेंस था तो भी उन्होंने आर्ट में अपना हाथ आजमाने की कोशिश की. उनके टीचर को कुछ
स्टूडेंट्स छोड़ने भी पड़े क्योंकि बहुत सारे लोगों ने अप्लाई किया था. टीचर ने क्लास में सबको अपना
नाम और मेजर सब्जेक्ट बताने के लिए कहा. जब मार्क की बारी आई तो उन्होंने अपना नाम बताते हुए अपनी एजुकेशन के बैकग्राउंड के बारे में बताया. बस इतना सुनते ही उन्हें क्लास से जाने को कहा गया.
उनका कोई आर्टिस्टिक बैकग्राउंड तो था नहीं इसलिए वो तुरंत क्लास से बाहर कर दिए गए. फिर उन्होंने
कोई दूसरा सब्जेक्ट लेने की सोचो और जैपनीज़ लिटरेचर को चुना. उन्हें मुजो या इमपर्मानेंस के बारे
में पढ़ना अच्छा लगता था. इमपरमानेंस का मतलब है अनसर्टेनिटी और यही कांसेप्ट उन्होंने अपने
फाईनेंशियल करियर में भी हमेशा अप्लाई किया क्योंकि इंवेस्टमेंट में भी कुछ सन यानी पक्का नहीं होता.
जैसे ज़िंदगी एकदम नया मोड़ ले सकती है वैसे ही स्टॉक मार्केट में कभी भी कुछ भी हो सकता हो
सकता है कि जो स्टॉक शात सोतरतैलगाट है तो कल दिवालिया हो जाए.

आज मार्क के पास $120 बिलियन की एसेट है. फ़ोल मैगजीन ने उनकी नेट वर्थ का खुलासा करते हुए इसे
$2.2 बिलियन बताया है. Wharton से पढाई करने के बाद उन्होंने हार्वर्ड में एमबीए प्रोग्राम के लिए अप्लाई किया था जहाँ वो रिजेक्ट कर दिए गए थे पर 1967 में उन्हें शिकागो यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल में एडमिशन मिल गया. ग्रेजुएशन के बाद मार्क को सिटीबैंक में जॉब मिली. यहाँ पर वो एक स्टॉक एनालिस्ट और डायरेक्टर ऑफ़ रिसर्च के तौर पर काम करने लगे. सिटीबैंक में मार्क ने लम्बे अरसे तक काम किया और बाद में उन्होंने एक इंवेस्टमेंट फर्म, टीसीडब्ल्यू ग्रुप को ज्वाइन कर लिया. मार्क इस बात पर पूरी तरह से यकीन रखते है कि आज वो जिस मुकाम पर है, वहां तक पहुँचने के लिए सिर्फ उनका टैलेंट काफी नहीं था. वो सारा क्रेडिट उस नॉलेज को देते है जो उन्होंने हासिल की और अपने पूरे करियर में यूज़ की. मार्क
कहते है इंवेस्टमेंट का पहला रुल है कि हम अपनी कमियों और खूबियों को लेकर खुद के साथ इमानदार
रहे क्योंकि वो जानते है कि घमंड के क्या-क्या नुकसान हो सकते है. इसलिए वो हमेशा इस बात का
ध्यान रखते है कि कहीं वो अपने टैलेंट को लेकर ओवरकॉफिडेंट तो नहीं हो रहे और जब उन्हें जीत का भरोसा होता है तो वो चैलेंज लेने से भी डरते नहीं है. दुनिया में जहाँ कुछ भी constant यानी स्थिर नहीं है, इस समरी का फर्स्ट रुल हमें यही सिखाता है कि हम अपनी लिमिटेशन को लेकर हमेशा इमानदार रहे.

इसलिए मार्क खुद को अपनी लिमिटेशन याद दिलाते रहते है और उन्हें ये भी लगता है कि उनकी लाइफ
में किस्मत का भी बड़ा हाथ रहा है. जहाँ तक उनके इंवेस्टमेंट स्टाइल का सवाल है तो मार्क एफिशिएंट
मार्केट को अवॉयड करते है और उनका पूरा फ़ोकस कम एफिशिएंट मार्केटकी तरफ रहता है. अगर किसी
मार्केट को फॉलो किया जाए, उसकी स्टडी की जाए और उसे पॉपुलर किया जाए तो ऐसी मार्केट में
bargain के चांस कम रहते है. इसके बजाए वो ऐसी कंपनी में इंवेस्ट करना पसंद करते है जो कर्ज में डूबी हो. वो सबसे कम पॉपुलर बांड्स को चूज़ करते है: जंक बांड्स. जंक बांड उसे कहते है जब कोई इंवेस्टर किसी कंपनी पर पैसे लगाता है जो कंपनी को इंटरेस्ट के साथ बाद में रिटर्न करना होता है लेकिन वो कभी रिटर्न नहीं कर पाती. मार्क ऐसी कंपनी में पैसा लगाते है क्योंकि कोई भी जंक बांड्स में इंवेस्ट नहीं करता इसलिए उन्हें बड़ी आसानी से बार्गेन प्राइस मिल जाता है और मार्के का अमीर बनने का फ़ॉर्मूला है “बाय चीप” यानी सस्ते में ख़रीदो.

The Resilience Investor
जीन मैरी एवीलार्ड (Jean-Marie Eveillard) ने अपनी इंवेस्टमेंट जर्नी 1960 के दशक में शुरू की थी.
अब ये उनकी बदकिस्मती थी कि तब उन्हें पता नहीं था कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं . उनके
जो बॉस थे उन्होंने उन्हें इंडेक्स के सबसे बड़े स्टॉक्स में ट्रेड करना सिखाया था इसलिए वो एकदम वही कर रहे थे जो उन्होंने सीखा था. वो बस अपने बॉस के ऑर्डर को फॉलो करते रहते थे. उन्हें इस बात की ज्यादा टेंशन नहीं थी कि वो क्या कर रहे है और क्यों कर रहे है. 1968 में जिस बैंक के लिए वो काम करते थे, उसकी तरफ से उन्हें न्यू यॉर्क भेजा गया. न्यू यॉर्क में उनकी मुलाक़ात दो फ्रेंच बिजनेस स्टूडेंट से हुई जिनके साथ जीन बाईकिंग पर जाया करते थे. उन्हीं दोनों ने उन्हें बेंजामिन ग्राहम के बारे में बताया. एविलार्ड ने ग्राहम की बुक्स पढ़ी और उन्हें काफ़ी कुछ सीखने समझने को मिला.

एविलार्ड का बचपन खुशहाल नहीं कहा जा सकता था इसलिए वो रिस्क लेने का नतीज़ा काफी अच्छे से
समझते थे. एविलार्ड लंदन में जन्मे थे. किसी ज़माने में उनका परिवार अमीर हुआ करता था पर उनके पिता
सिर्फ 35 की उम्र में गुज़र गए तो परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. फेमिली बिजनेस में घाटा होने की
वजह से परिवार का सब कुछ नीलामी में बिक गया था. उनकी माँ ने स्टॉक मार्केट में पैसा लगाया पर वहां भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा और उनका सारा पैसा डूब गया

नौबत यहाँ तक आ गई थी कि परिवार को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया था. उनके पास बस
एक मकान रह गया था जिसे उन्होंने बोर्डिंग स्कूल बना लिया था पर ये भी एक घाटे का सौदा निकला. ग्राहम की बुक्स पढ़कर एविलार्ड को इन्वेस्टिंग के बारे में एक नया नजरिया सीखने को मिली. उनकी स्ट्रेटेज़ी काम कर गई और उन्हें कम से कम रिस्क में हाई रिटर्नअचीव करने की reputation मिली. उन्होंने मार्जिन सेफ्टी के बारे में पढ़ा था जैसा कि ग्राहम की बुक्स में बताया गया था और यही उन्होंने अपनी इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी में भी अप्लाई किया. 1997 में उन्होंने एक रिकॉर्ड बना लिया था, 17 सालों से लगातार मार्केट बीट करने का और उनकी एसेट $6 बिलियन तक पहुंच चुकी थी. इस दौर के बाद टेक कंपनियाँ ग्रो होनी शुरू हो गई थी. लेकिन एविलार्ड की इंवेस्टमेंट स्टाइल औरों से अलग थी. वो उन टेक कंपनीज़ में इंवेस्ट नहीं करना चाहते थे. इस तरह 3 सालों में उनकी एसेट घटकर $2 बिलियन रह गई. लेकिन 2000 में टेक बबल बर्स्ट हो गया. एविलार्ड का पोर्टफोलियो काफी अच्छा परफोर्म कर रहा था. 2001 में मॉर्निंगस्टार ने उन्हें इंटरनेशनल स्टॉक फंड मैनेजर ऑफ़ द ईयर अनाउंस किया था.
उनकी एसेट अब तक $100 बिलियन पहुँच चुकी थी. 2008 में वो फाइनली एक फंड मैनेजर बनकर
रिटायर हुए. उनकी इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेज़ी एक इम्पोर्टेट रुल  पर बेस्ड थी: क्योंकि फ्यूचर के बारे में पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है तो आप रिस्क भी कम से कम लेना चाहोगे. उनकी कहानी हमें पांच इम्पोर्टेट लेसन सिखाती है जो हमें याद रखनी चाहिए-

1. अनसर्टेनिटी की रिस्पेक्ट करो. क्योंकि मार्केट हमेशा चेंज होती रहेगी और इंवेस्टमेंट बिजनेस कभी स्टेबल नहीं रहता. जो कल हुआ था क्या पता कल हो या ना हो इसलिए स्टॉक मार्केट में ट्रेंड को फॉलो करना बेकार है. किसी कंपनी के रिजल्ट पिछले कुछ सालों के दौरान अच्छे रहे थे तो इसका ये मतलब नहीं है कि आगे भी ये ग्रो करते रहेंगे.

2. अपने पोर्टफोलियो में फ्लेक्सिबिलिटी और मज़बूती अचीव करने के लिए हमें डेट यानी उधार से सबसे
पहले छुटकारा पाना होगा. अगर आप कर्ज में डूबे है तो कभी ग्रो नहीं कर पाएँगे. एक स्टेबल और इंटेलीजेंट
इंवेस्टर इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि उस पर कोई कर्जा बाकि ना रहे और वो दिवालिया ना हो जाए.
इसलिए पहली स्ट्रेटेज़ी है अपने सारे डेट्स को क्लियर कर देना.

3. शोर्ट टर्म में इंवेस्ट करने के बजायेहमें लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के बारे में गौर करना चाहिए. अगर आपने
टाइम से पहले पैसे निकाले तो समझो आपने ग्रो करने का चांस खो दिया. इसलिए उसी बिजनेस में इंवेस्ट
करो जिसमें आपको लॉन्ग टाइम तक पैसा इंवेस्ट करने का भरोसा हो. 

4. ओवरकॉन्फिडेंस से बचकर रहो. एक या दो बार लक काम कर भी गया तो इसका ये मतलब नहीं है कि आगे भी करेगा. इसलिए ओवरकॉन्फिडेंस में कभी मत आना. किसी भी परचेज से पहले स्टॉक्स के बारे में पूरी जांच-पड़ताल कर के तभी इंवेस्ट करो.

5. रिस्क फैक्टर से बचा नहीं जा सकता है इसलिए रिस्क तो हमेशा बना रहेगा और ना ही आप मार्केट को
चेंज होने से रोक सकते हो. ऊंट किस करवट बैठेगा, ये कोई नहीं बता सकता. इसलिए रिस्क फैक्टर को
एक्सेप्ट करते हुए हमेशा अपने पोर्टफोलियो में एक सेफ्टी मार्जिन लेकर चलो.

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Simplicity is the Ultimate
Sophistication

जोएल ग्रीनब्लैट (Joel Greenblatt) से मेरी मुलाक़ात तब हुई थी जब उनका सांठवा बर्थडे आने
वाला था. उनके मेंट रिटर्न्स का तो कोई जवाब ही नहीं है. 1985 में सताईस साल की उम्र में उन्होंने
गोथम कैपिटल की फाउंडेशन रखी थी. बीस सालों में ही उन्हें 40% का एवरेज रिटर्न मिलना शुरू हो गया
था! और आज देख लो वो अपनी वाइफ, पांच बच्चों और दो कुत्तों के साथ एक आलिशान जिंदगी के मज़े ले रहे है. इतना ही नहीं, इंवेस्टमेंट पर उनकी तीन किताबें भी पब्लिश हो चुकी है. अपनी पहली बुक उन्होंने
जनरल ऑडियंस को टारगेट करते हुए लिखी थी पर उन्हें नहीं पता था कि ये बुक हेज फंड मैनेजर्स में
इतनी पॉपुलर हो जायेगी. उनकी जो दूसरी बुक छपी उसकी तीन हजार से भी ज्यादा कॉपी बिकी थी और
लोगों को काफी पसंद आई थी. हालाँकि उनकी तीसरी बुक उतना कमाल नहीं कर पाई पर उन्हें इस
बात का ज्यादा मलाल भी नहीं है बल्कि वो खुद इस बात का मज़ाक उड़ाते है. बुक वगैरह लिखने के
अलावा वो कोलंबिया बिजनेस स्कूल में एक कोर्स भी सिखाते है

ग्रीनब्लैट चैरिटी में बड़ा यकीन रखते है और उन्होंने 45 फ्री पब्लिक स्कूल का एक नेटवर्क क्रिएट किया है
जिसके ज़रिए न्यू यॉर्क के करीब 18,000 स्टूडेंट्स को फायदा मिलता है. अब वो अपना फाईनेंशीयल एम्पायर और बढाना नहीं चाहते क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने काफी दौलत कमा ली है. वो अब अपनी लाइफ से सेटिसफाईड है. उन्होंने जितना कमाया है उनके लिए काफी है, इससे ज्यादा उन्हें नहीं चाहिए. बल्कि उनका सारा ध्यान अब चैरीटी में रहता है. उन्हें याद है 1970 के दशक में सिर्फ तीन टीवी चैनल हुआ करते थे जो वो देखते थे और आज जब सौ से भी ज्यादा चैनल है तो उनके पास टीवी देखने का टाइम ही नहीं है. वो कहते है”लोगों को लगता है कि अगर उनकी लाइफ में ज़्यादा चॉइस होगी तो वो ज्यादा खुश रहेंगे लेकिन हकीकत में ऐसा कभी नहीं होता.”
कॉलेज में उन्होंने सीखा था कि मार्केट को बीट करना नामुमकिन है. उनकी एजुकेशन इतनी अच्छी नहीं थी कि वो मार्केट के राज़ समझ पाते जो उनके माइंड में थी. लेकिन उन्हें एक छोटे से अर्टिकल ने बचा लिया जो बेन ग्राहम और सही स्टॉक्स खरीदने को लेकर उनकी स्ट्रेटेजी के बारे में था. मेरी उनसे जो बातचीत हुई उसे मैं चार सिंपल लेसन में बता रहा हूँ-

1. आपको किसी बेस्ट स्ट्रेटेज़ी की नहीं बल्कि एक सेंसिबल स्ट्रेटेजी की जरूरत है. ऐसा जरूरी नहीं है
कि आपको हमेशा बेस्ट रिटर्न्स मिलेंगे और कभी नुक्सान नहीं होगा बल्कि आपको सिर्फ एक सेंसिबल
स्ट्रेटेज़ी की जरूरत है जो आपको बेस्ट नहीं तो अच्छे प्रॉफिट देगी. ये जरूरी नहीं है कि आप जो भी ख़रीदें वो आपको बहुत ज़्यादा प्रॉफिट कमाकर दे. इंवेस्टमेंट बिजनेस में प्रॉफिट |OSS चलता रहता है. बस इतना ध्यान रहे कि आपकी स्ट्रेटेज़ी सेंसिबल हो.

2. आपकी स्ट्रेटेज़ी इतनी सिंपल होनी चाहिए कि ये आपकी समझ में आ सके और आप इस पर यकीन कर सके. आप सिर्फ तभी किसी स्ट्रेटेजी को पूरी तरह से अप्लाई कर पायेंगे जब आपको उस पर पूरा विश्वास होगा. इसलिए आपको अपनी स्ट्रेटेजी में भरोसा होना जरूरी है. जिस बिजनेस की आपको पूरी नॉलेज है, उसी में पैसा लगाएं और वही करे जो आपका दिल कहता है. अगर आपको अपनी स्ट्रेटेज़ी पर भरोसा नहीं है तो मुमकिन है कि आप हार मान लेंगे और गोल्डन अपोयूँनिटी गँवा बैठेंगे.

3. आपको खुद से पूछना होगा कि क्या आप में वो स्किल्स है कि जो आप बनना चाहते है वो बन सके.
ओवरकॉन्फिडेंस कभी अच्छा नहीं होता. अपनी स्किल्स को कभी हद ज़े ज़्यादा मत आँकों. वही करो
जो आपकी पहुँच के अंदर हो.

4. आप भी अमीर और सक्सेसफुल इंवेस्टर बन सकते है वो भी मार्केट को बीट किये बिना. इसलिए
फाईनेंशीगल इंडेक्स को भल जाओ और अपने अच्छे प्रॉफिट देगी. ये जरूरी नहीं है कि आप जो भी ख़रीदें वो आपको बहुत ज़्यादा प्रॉफिट कमाकर दे. इंवेस्टमेंट बिजनेस में प्रॉफिट loss चलता रहता है. बस इतना ध्यान रहे कि आपकी स्ट्रेटेज़ी सेंसिबल हो.


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Nick and Zak’s Excellent Adventure

निक स्लीप आर्किटेक्ट बनने के सपने देखता था. एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद वो एक
लोकल फर्म में लैंडस्केपिंग का काम करने लगा था. फिर कुछ ही महीनों बाद फर्म ने अपने 10 एम्प्लोईज़
निकाल दिए जिनमें से निक भी एक था. अब निक ने सोचा कि वो लैंडस्केपिंग के अलावा और क्या-क्या कर सकता है. तो उसे पहला आईडिया आया कि किसी टेक कंपनी में जॉब ढूंढी जाए. बाद में उसे पता चला
कि एडिनबर्ग फंड मैनेजमेंट के लिए जाना जाता है तो उसने एक बुक पढ़ी जिसका टाईटल था Trusts
Explained. जल्द ही उसे एक स्कॉटिश फंड कंपनी में जॉब मिल गई. हालाँकि उसका फंडिंग का बैकग्राउंड
नहीं था. उसने कॉलेज में जियोग्राफी और जियोलोज़ी पढ़ी थी. फंडिंग उसके लिए एकदम नई फील्ड थी जिसका उसे कोई एक्सपीरिएंस नहीं था लेकिन किस्मत ने उसके लिए कुछ और ही प्लान कर रखा था. 2007 में निक और उसका फ्रेंड कैस जकारिया ने नोमाड इंवेस्टमेंट पार्टनरशिप नाम से एक फंड क्रिएट किया और उनके इस फंड ने तेरह सालों में करीब 921.1% रिटर्न करके दिया ! नोमाद में इंवेस्ट किया गया उनका $7 मिलियन $10.27 मिलियन तक पहुंच गया था! 2014 में स्लीप और जकारिया जब काम से रिटायर हुए तो उनकी उम्र थी पैंतालिस साल. तब से आज तक दोनों अपना पैसा मैनेज कर रहे है और उनकी वेल्थ इन पांच सालों के अंदर करीब तीन गुना बढ़ी है. जकारिया 1969 में ईराक़ में पैदा हुए थे. वो एक अमीर खानदान से थे.

जकारिया के पिता ईराक़ी सेन्ट्रल बैंक में काम करते थे. उनके ईलाके में पॉलिटिकल टेंशन के चलते उनका परिवार यू.के. भाग आया था. यू.के. आकर उनके परिवार को ज़ीरो से एक नई शुरुवात करनी पड़ी क्योंकि उन्होंने जो कुछ कमाया था सब पीछे छूट गया था. जकारिया के पिता ने अपने लिए एक जूनियर असिस्टेंट की जॉब ढूंढ ली थी. फिर उन्होंने खुद का बिजनेस स्टार्ट किया. ये लोग ईराक़ को मशीन एक्सपोर्ट किया करते थे. जकारिया की फेमिली चाहती थी कि वो फेमिली बिजनेस को आगे बढाए पर जकारिया के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. उन्होंने मैथ्स पढ़ने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी
ज्वाइन की. पर उसी साल उनके पिता को बिजनेस में घाटा हुआ और वो दिवालिया हो गए. अब जकारिया
के हाथ से फेमिली बिजनेस ज्वाइन करने का मौका भी निकल चुका था. ऊपर से जिस कंपनी में वो जॉब कर रहे थे, वो भी दिवालिया हो गई थी. ज़कारिया के भाई डॉक्टर थे लेकिन जकारिया को खून देखते ही चक्कर आने लगते थे इसलिए वो इस प्रोफेशन के लायक भी नहीं थे. उस वक्त उनकी हालत ऐसी थी कि वो कोई भी काम करने को तैयार थे चाहे कोई छोटा-मोटा काम ही क्यों ना हो. उन्होंने जॉब के लिए एक फ्रेंड को फोन किया तब जाकर बड़ी मुश्किल से उन्हें साइड ऐनालिस्ट की जॉब मिली. ये काम उन्हें जरा भी पसंद नहीं आया था फिर भी उन्होंने चार साल तक जॉब की. फिर जैक और निक की मुलाक़ात हुई. दोनों ही वॉरेन बफ़ेट और चार्ली मंगर से इंस्पायर्ड थे और उनके जैसा ही कुछ करना चाहते थे.

इस तरह दोनों ने मिलकर एक इंवेस्टमेंट फंड की शुरुवात की और उनकी किस्मत का ताला खुल गया.
नोमाद इंवेस्टमेंट पार्टनरशिप रिटर्न में इतना अमाउंट देता है जो वर्ल्ड इंडेक्स भी नहीं दे सकता!
– उनकी इस अमेजिंग कहानी से हम 5 की-लेसन सीख सकते हैं

1. उन्होंने एक एक्जाम्पल दिया कि quality को सबसे ऊपर रखने का नतीज़ा क्या होता है. उन्होंने
कभी अपने बिजनेस की quality के साथ समझौता नहीं किया. पैसा कमाना उनका गोल नहीं था बल्कि
quality बिजनेस करना था.

2. उन्होंने उस चीज़ पर फ़ोकस किया जो लंबे समय तक चल सके या टिक सके. उन्होंने कंपनियों को इस
बेसिस पर फेवर किया कि वो लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के लिए अच्छे हैं या शोर्ट टर्म इंवेस्टमेंट के लिए. लिए अच्छह या शाम इवस्टमर क लिए.

3. उन्होंने एक बिजनेस मॉडल क्रिएट किया जिससे उन्हें लंबे समय तक पैसा कमाने में हेल्प मिली. वो
ज़्यादा स्टॉक्स के बजाए कम स्टॉक लेना पसंद करते थे.

4. चाहे हालात कैसे भी रहे हो, उन्होंने गलत तरीके से पैसे कमाने के बारे में कभी नहीं सोचा. उन्होंने
अपने कस्टमर्स को कभी धोखा नहीं दिया और हमेशा अच्छी रेपूटेशन कमाई.

5. वो कभी भी तुरंत मिलने वाली खुशियों के पीछे नहीं भागे, ना तो बिजनेस में और ना ही पर्सनल
लाइफ में, बल्कि पेशेंस के साथ चलते हुए अपने बिजनेस को आगे बढ़ाया.

High-Performance Habits
1990 में टॉम गेनर को वर्जिनिया बेस्ड एक इंश्योरेंस फर्म में जॉब मिली. लेकिन उनके साथ एक प्रॉब्लम
थी कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनका वज़न काफ़ी बढ़ रहा था. यहाँ तक कि उनका वेट दो सौ पौंड पहुँच
गया था. तब उन्होंने कसम खाई कि अब और वज़न नहीं बढने देंगे. उन्होंने अपने एक दोस्त से कहा कि
अगले दस सालों में वो हर साल एक पौंड वज़न कम करेंगे. लेकिन एक्सरसाईंज़ में उन्हें ज्यादा इंटरेस्ट नहीं
था. वो खुद बोलते थे कि एथलेटिक्स में वो कभी अच्छे नहीं रहे. एक बार एयरप्लेन से ट्रेवल करते वक्त
उन्होंने न्यूज़पेपर में एक हेडलाइन पढ़ी”क्या आपको दौड़ना पसंद नहीं है?” टॉम ने सोचा “हाँ, मझे तो रनिंग जरा भी पसंद नहीं “.

उस अर्टिकल में 28 दिनों का एक प्रोग्राम दिया गया था तो टॉम ने सोचा क्यों ना इसे try किया जाए. शुरू
के पहले वीक में उन्हें रोज़ पांच मिनट दौड़ना था. सेकंड वीक के लिए उन्हें डेली दस मिनट दौड़ना था
और फोर्थ वीक के एंड में उन्हें डेली 20 मिनटदौड़ना था. तो इस तरह टॉम ने एक हैबिट डेवलप कर ली
जो अगले पांच साल तक वो लगातार फॉलो करते रहे. बेशक वो एथलीट नहीं थे पर टॉम $27 बिलियन
डॉलर के स्टॉक और बांड के बिजनेस से जुड़े थे. उनकी सारी हैबिटएक सिंपल लेकिन इम्पोर्टेट पॉइंट
 पर ख़त्म होती थी यानि एक लम्बे टाइम तक लगातार छोटी-छोटी कोशिशों से ही हम इम्प्रूवमेंट ला सकते है और बड़ी जीत हासिल कर सकते है. इसलिए हमारी यही कोशिश होनी चाहिए कि आने वाला कल बीते हुए कल से बेहतर हो. दूसरे कई सक्सेसफुल इंवेस्टर की तरह ही टॉम भी वॉरेन बफ़ेट से बेहद इंस्पायर्ड थे. वो कहते थे कि अगर किसी से येसीखना हो कि लॉन्ग टर्म तक धीरे-धीरे कैसे इम्प्रूवमेंट की जाए तो वॉरेन बफ़ेट से अच्छा एक्जाम्पल नहीं हो सकता. उन्होंने इन्वेस्टिंग में शुरुवात चीप स्टॉक्स से की थी और उसके बाद लगातार इम्प्रूवमेंट करते चले गए और अपना बिजनेस बेहतर से बेहतर बनाते गए.

ऐसी ही कुछ खास बात टॉम के अंदर भी थी. उनका सारा फ़ोकस उस चीज़ पर रहता है जो चीज़ उनके लिए सबसे ज्यादा मैटर करती है. उनकी सक्सेस का राज है उनके मजबूत ईरादे और गज़ब की concentration पॉवर. चाहे कुछ भी हो जाये उनका ध्यान अपने गोल से कभी नहीं हटता. अगर टॉम ने ठान लिया कि उन्हें वज़न कम करना है तो उनका सारा ध्यान उसी पर रहेगा चाहे कुछ भी हो जाए. वो सुबह छह बजे उठते है और तीन मील तक दौड़ते है! उनकी एक हैबिट है अपनी लाइफ को बैटर बनाने के लिए वो लगातार खुद में इम्प्रूवमेंट लाते रहते है.

RICHER, WISER, HAPPIER:
HOW THE WORLD’S GRE…
WILLIAM GREEN
Don’t Be a Fool

चार्ली मंगर के साथ 10 मिनट का इंटरव्यू लेने के लिए मुझे कोई तीन हज़ार मील ट्रेवल करके जाना पड़ा था. चार्ली बर्कशायर हैथवे के billionaire वाईस चेयरमैन के तौर पर जाने जाते थे जो 40 से भी ज्यादा सालों से वॉरेन बफेट के पार्टनर थे. लेकिन उनसे मिलने से पहले मैं थोडा नर्वस भी था क्योंकि मैंने सुना था कि कई बार वो थोडा रुड बिहेव करते है. बिल मिलर ने बताया था कि एक बार चार्ली उन्हें न्यू यॉर्क की किसी गली में दिखे तो उन्होंने चार्ली को नाम से पुकारा. चार्ली ने पलटकर जवाब दिया “तुम हो कौन?”
इस पर बिल को उन्हें याद दिलाना पड़ा कि उनसे उनकी पहले भी मुलाक़ात हो चुकी है. लेकिन सब
कहते है कि जितना चार्ली के बारे में बोला जाता है, वो उससे कहीं ज्यादा दयालु और नरमदिल है. बाहर से
वो बड़े सख्त और रीज़र्व टाइप के लगते है पर अंदर से बेहद केयरिंग और परवाह करने वाले है. जब मैं उनसे
मिला तो जाते ही मैंने उनका इंटरव्यू लिया. उन्होंने मुझे inversion के प्रिंसिपल के बारे में बताया जिन पर चलते थे और भरोसा करते थे.

मंगर जो स्ट्रेटेज़ी फॉलो करना पसंद करते है वो है सही वक्त का इंतज़ार करना, जब नुक्सान से ज्यादा प्रॉफिट की उम्मीद हो. हालाँकि उन्हें गैम्बलिंग में यकीन नहीं है. हालात अगर उनके खिलाफ हो तो वो चांस नहीं लेते और ना ही वो डावर्सीफिकेशन के प्रिंसिप्ल को पसंद करते है. चार्ली का मंत्र है कि वो बस सही समय पर सही मौके को लपकना जानते है. मंगर के लिए “हर कीमत पर जीतना ही है” जैसा गोल कभी था ही नहीं. वो जीत में यकीन रखते है पर सम्मान के साथ. वो कभी किसी का फायदा नहीं उठाते. उनसे बात करके मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी महान आदमी की मौजूदगी में बैठा हूँ.

Conclusion
जॉन टेम्पलटन और पीटर लिंच जैसे ग्रेट इंवेस्टर भी बेंजामिन ग्राहम जैसे दूसरे ग्रेट इंवेस्टर से इंस्पायर
होते है. कहने का मतलब ये है कि हर कोई अपनी फील्ड में अपने से ग्रेट और सक्सेसफुल लोगों से मोटिवेशन लेता है. उन सभी की इंस्पायर करने वाली पर्सनेलिटी थी जिनसे उन्होंने सीखा . इस समरी ने आपको कुछ ऐसे ही ख़ास शख्सियत से मिलवाया जो आपको बेहद इंस्पायर कर सकते है! इसमें आपने अलग-अलग इंवेस्टर के अलग-अलग इंवेस्टमेंट स्टाइल और उनके नज़रिए के बारे में जाना. आपने कई नई स्ट्रेटेज़ी और लाइफ लेसन सीखे जो आपको अपनी इंवेस्टमेंट जर्नी में काफी आगे तक लेकर जायेंगे.

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