Insanely Simple: The Obsession That Drives A… Ken Segall Think Casual. Books In Hindi Summary Pdf

Insanely Simple: The Obsession That Drives A… Ken Segall Think Casual Apple से निकलने के पांच मिनट बाद ही केन एक रेंटल कार में बैठकर एयरपोर्ट की तरफ जा रहे थे, जहाँ से उन्हें अपने घर लोस एंजेल्स के लिए फ्लाईट लेनी थी. तभी उनका फोन बजा तो उन्होंने देखा कि स्टीव जॉब्स कॉल कर रहे है. स्टीव फोन पर बोले” मुझे नहीं पता वो आदमी कौन था या फिर तुम उसे क्यों लेकर आये. लेकिन उसने जो कुछ भी किया, उसके लिए मै एक कौड़ी भी नहीं देने वाला और हाँ मुझे दोबारा Apple में नजर नहीं आना चाहिए स्टीव क्रिएटिव एजेंसी के प्लानर की बात कर रहे थे जिसका नाम हैंक था. प्लानर्स को कस्टमर्स के पॉइंट ऑफ़ व्यू रीप्रेजेंट करने को बोला गया था, जिसे कि कंपनी के या क्रिएटिव एजेंसी के पॉइंट ऑफ़ व्यू से कम्पेयर करना था. प्लानर्स की जिम्मेदारी थी ये पता लगाना कि कंपनी के प्रोडक्ट्स के लेकर कंज्यूमर्स क्या सोचते है. कंपनी का मकसद कस्टमर्स की पसंद-नापसंद जानना था ताकि कस्टमर्स उनके प्रोडक्ट्स खरीदे. प्लानर्स को वो सारी इन्फोर्मेशन जो उन्होंने कलेक्ट की थी, एक प्लान बनाकर क्रिएटिव एजेंसी के सामने प्रेजेंट पानि नो 11 पा 27T17 A < प्लानर्स को वो सारी इन्फोर्मेशन जो उन्होंने कलेक्ट की थी, एक प्लान बनाकर क्रिएटिव एजेंसी के सामने प्रेजेंट करनी थी ताकि वो उस पर काम कर सके. दरअसल उन्हें प्लानर के रीजल्ट के हिसाब से मार्केटिंग स्ट्रेटेज़ी बनानी थी. हैंक उन दिनों Apple की क्रिएटिव एजेंसी Chiat/ Day में नया-नया अपोइन्ट हुआ था. वैसे हैंक काफी स्मार्ट था. इससे पहले वो एक बड़ी क्रिएटिव एजेंसी के लिए और एक बड़े आइकोनिक ब्रैड पर लिए भी काम कर चुका था. तो हैंक का काम था” Apple ब्रैड की इमेज डिफरेंट डेमोग्राफिक ग्रुप्स और एथनेसिटीज़ तक पहुँचाना. और ये उसके लिए एक बड़ी अपोर्चुनिटी बन सकती थी क्योंकि एक तरह से वो खुद पर्सनली स्टीव जॉब्स को रीप्रेजेंट कर रहा था. हैंक को अपना काम पूरा करने में दो हफ्ते का वक्त लगा. उसने सारी जरूरी रिसर्च कर ली थी. वो स्टीव जॉब्स को एकदम इम्प्रेस कर देना चाहता था. मीटिंग के एक हफ्ते पहले हैंक ने केन सीगल पूछा कि क्या वो उसकी प्रेजेंटेशन देखकर उसे कुछ सलाह देना चाहेगा” क्योंकि केन काफी अच्छे से जानता था कि स्टीव जॉब्स को इन्फोर्मेशन प्रेजेंट करने का बेस्ट तरीका क्या है. लेकिन हुआ ये कि केन अपने बिजी शेड्यूल के चलते हैंक की प्रेजेंटेशन के लिए ज़रा भी वक्त नहीं निकाल पाया. इस तरह कई दिन गुजर गए पर केन हैंक का काम नहीं देख पाया. फिर प्रेजेंटेशन वाले दिन ही उसे हैंक का काम देखने को पर केन हैंक का काम नहीं देख पाया. फिर प्रेजेंटेशन वाले दिन ही उसे हैंक का काम देखने को मिला. केन सीगल , हैंक और Chiat/Day के बाकि लोग उस दिन मीटिंग रूम में कुछ जल्दी ही पहुँच गए थे. हैंक ने अपना पोर्टफोलियो सेट करना स्टार्ट किया और हैंक का बड़ा पोर्टफोलियो देखकर केन पहले से ही परेशान हो गए. केन ने देखा कि हैंक ने एक बड़ा सा ग्राफ तैयार कर रखा था, और उसने एक चार्ट भी बना रखा था जिसमे कई सारे नंबर्स और डिफरेंट टाइप के कस्टमर्स की पिक्चर्स लगी थी. केन ये सब देखते ही टेंशन में आ गए क्योंकि उन्हें अच्छे से मालूम था कि स्टीव जॉब्स इस टाइप की प्रेजेंटेशंस पसंद नहीं है. जब तक हैंक का काम पूरा हुआ, पूरा दीवार उसके visual material से भर चुका था. जब स्टीव जॉब्स मीटिंग रूम में आये तो उन्हें हैंक से इंट्रोड्यूस कराते हुए उसकी काबिलियत के बारे में बताया गया. वो दीवार जहाँ हैंक अपनी प्रेजेंटेशन शो कर रहा था, स्टीव की चेयर की पीछे थी इसलिए स्टीव को प्रेजेंटेशन देखने के लिए अपनी चेयर घुमानी पड़ी. शुरू में तो स्टीव ने काफी ध्यान से सब कुछ देखा और सुना. पर जैसे-जैसे टाइम बीत रहा था वो अपनी कुर्सी पर धंसते जा रहे थे. साफ पता चल रहा था कि स्टीव जॉब्स बोर हो रहे है. वो हैंक को बीच में टोकते हुए उससे सवाल पूछने लगे. लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे हैंक के जवाब उन्हें कन्विंसड नहीं कर पा रहे थे. उससे सवाल पूछने लगे. लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे हैंक के जवाब उन्हें कन्विंसड नहीं कर पा रहे थे. हैंक डिफरेंट डेमोग्राफिक ग्रुप्स के बारे में बता रहा था जो उसने डिफरेंट शहरों में स्टडी किये थे. उसने कहा” हम तो घेटो हर्लेम भी गये थे, वहां जो बच्चे बास्केटबाल गेम खेल रहे थे, उनसे हमने Apple के प्रोडक्ट्स के बारे में पूछा” ” तभी स्टीव ने उसे बीच में टोकते हुए कहा” तुमने उनसे क्यों पूछा? उनके पास तो खाने के भी पैसे नहीं है.” हैंक की बातो से स्टीव जॉब्स और ज्यादा चिढ़ गए थे क्योंकि उसकी प्रेजेंटेशन से कोई भी काम की बात निकल कर नहीं आई थी. स्टीव ने उसे टोकते हुए कहा “मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, ओके, खैर जो भी हो, चलो कुछ एड्स देख लेते है” हालाँकि हैंक की प्रेजेंटेशन अभी बाकि थी पर स्टीव ने उसे बीच में खत्म कर दिया था. हैंक ने 20 स्लाइड तैयार की थी लेकिन अगर वो कोशिश करता तो सिर्फ 3 सेंटेंस में अपनी बात रख सकता था जो सबको क्लियर समझ आती. इस लंबी-चौड़ी प्रेजेटेशन से ज्यादा स्टीव जॉब एक व्हाईटबोर्ड, टेबल और कुछ क्लियर आईडिया शेयर करना ज्यादा पसंद करते. उन्हें पसंद नहीं था कि Apple किसी टिपिकल बड़ी ऑर्गेनाईजेशन की तरह फ़ॉर्मल वे में एक्ट करे. उन्हें अपनी कंपनी में एक कैजुअल माहौल चाहिए था जहाँ अगर उनका मन करे तो वो नंगे पाँव ऑफिस आ उन्हें अपनी कंपनी में एक कैजुअल माहौल चाहिए था जहाँ अगर उनका मन करे तो वो नंगे पाँव ऑफिस आ जाए. स्टीव जॉब्स को जब मीटिंग में कुछ प्रेजेंट करना होता था तो ना तो उनके पास कोई स्लाइड शो होते थे ना ही कोई स्क्रिप्ट और ना ही कोई फॉर्मल स्ट्रेटेजी. वो बस प्रोडक्ट के बारे में डिस्कस करते कि उस प्रोडक्ट में क्या खूबी है वगैरह-वगैरह. अगर उन्हें कुछ क्लियर करना होता तो सीधा व्हाईटबोर्ड पर लिख देते थे. कुल मिलाकर स्टीव जॉब्स अपने एम्प्लोईज़ के साथ स्ट्रेटफॉरवर्ड और सिंपल तरीके से इंटरएक्ट करना पसंद करते थे. एक बार एक ऐसी ही मीटिंग में केन ने डिसाइड किया कि उन्हें पहले अपनी स्ट्रेटेजी पर एक रीकैप कर लेना चाहिए.. उन्होंने अभी 3 सेंटेंस ही बोले थे कि स्टीव जॉब्स ने उन्हें बीच में टोक दिया. स्टीव केन से बोले” क्या तुम मुझे अब वो सारी खबरे सुनाने वाले हो जो आज सुबह तुमने वाल स्ट्रीट जर्नल में पढ़ी है? प्लीज़, ऐसे बात मत करो जैसे तुम ad एजेंसी में काम करते हो, जो कहना चाहते हो, मुझे सीधे-सीधे समझाओ” तो स्टीव जॉब्स अपनी प्रेजेंटेशन कुछ इस तरह बनाया करते थे. सबसे पहले वो एजेंडा सामने रखते, फिर फैक्ट्स और टॉपिक पर बात करते. उसके बाद वो हर टॉपिक को समराईज़ करते हुए अगले टॉपिक पर बढ़ते, फिर अपनी बात खत्म करते हुए वो प्रेजेंटेशन के सबसे A उन्हें अपनी कंपनी में एक कैजुअल माहौल चाहिए था जहाँ अगर उनका मन करे तो वो नंगे पाँव ऑफिस आ जाए. स्टीव जॉब्स को जब मीटिंग में कुछ प्रेजेंट करना होता था तो ना तो उनके पास कोई स्लाइड शो होते थे ना ही कोई स्क्रिप्ट और ना ही कोई फॉर्मल स्ट्रेटेजी. वो बस प्रोडक्ट के बारे में डिस्कस करते कि उस प्रोडक्ट में क्या खूबी है वगैरह-वगैरह. अगर उन्हें कुछ क्लियर करना होता तो सीधा व्हाईटबोर्ड पर लिख देते थे. कुल मिलाकर स्टीव जॉब्स अपने एम्प्लोईज़ के साथ स्ट्रेटफॉरवर्ड और सिंपल तरीके से इंटरएक्ट करना पसंद करते थे. एक बार एक ऐसी ही मीटिंग में केन ने डिसाइड किया कि उन्हें पहले अपनी स्ट्रेटेजी पर एक रीकैप कर लेना चाहिए.. उन्होंने अभी 3 सेंटेंस ही बोले थे कि स्टीव जॉब्स ने उन्हें बीच में टोक दिया. स्टीव केन से बोले” क्या तुम मुझे अब वो सारी खबरे सुनाने वाले हो जो आज सुबह तुमने वाल स्ट्रीट जर्नल में पढ़ी है? प्लीज़, ऐसे बात मत करो जैसे तुम ad एजेंसी में काम करते हो, जो कहना चाहते हो, मुझे सीधे-सीधे समझाओ” तो स्टीव जॉब्स अपनी प्रेजेंटेशन कुछ इस तरह बनाया करते थे. सबसे पहले वो एजेंडा सामने रखते, फिर फैक्ट्स और टॉपिक पर बात करते. उसके बाद वो हर टॉपिक को समराईज़ करते हुए अगले टॉपिक पर बढ़ते, फिर अपनी बात खत्म करते हुए वो प्रेजेंटेशन के सबसे बस प्रोडक्ट के बारे में डिस्कस करते कि उस प्रोडक्ट में क्या खूबी है वगैरह-वगैरह. अगर उन्हें कुछ क्लियर करना होता तो सीधा व्हाईटबोर्ड पर लिख देते थे. कुल मिलाकर स्टीव जॉब्स अपने एम्प्लोईज़ के साथ स्ट्रेटफॉरवर्ड और सिंपल तरीके से इंटरएक्ट करना पसंद करते थे. . एक बार एक ऐसी ही मीटिंग में केन ने डिसाइड किया कि उन्हें पहले अपनी स्ट्रेटेजी पर एक रीकैप कर लेना चाहिए.. उन्होंने अभी 3 सेंटेंस ही बोले थे कि स्टीव जॉब्स ने उन्हें बीच में टोक दिया. स्टीव केन से बोले” क्या तुम मुझे अब वो सारी खबरे सुनाने वाले हो जो आज सुबह तुमने वाल स्ट्रीट जर्नल में पढ़ी है? प्लीज़, ऐसे बात मत करो जैसे तुम ad एजेंसी में काम करते हो, जो कहना चाहते हो, मुझे सीधे-सीधे समझाओ” तो स्टीव जॉब्स अपनी प्रेजेंटेशन कुछ इस तरह बनाया करते थे. सबसे पहले वो एजेंडा सामने रखते, फिर फैक्ट्स और टॉपिक पर बात करते. उसके बाद वो हर टॉपिक को समराईज़ करते हुए अगले टॉपिक पर बढ़ते, फिर अपनी बात खत्म करते हुए वो प्रेजेंटेशन के सबसे इम्पोर्टेट पॉइंट्स दोहराते और जो भी मैसेज उन्हें देना होता, उसे वो कई बार रिपीट करते थे ताकि वो बात ऑडियंस के दिमाग में छप जाये. MAP Insanely Simple: The Obsession That Drives A… Ken Segall Conclusion इस समरी में आपने Apple के कोर एलेमेंट्स ऑफ़ सिंपलीसिटी के बारे में पढ़ा जो है: पहला है: थिंक ब्रूटल. ये बहुत जरूरी है कि आप स्ट्रेटफॉरवर्ड और फ्रैंक वे में अपनी ओपीनियन रखे. ऑनेस्ट फीडबैक से टीम को प्रोग्रेस करने में हेल्प मिलती है. दूसरा है, थिंक small : अपनी मीटिंग्स में सिर्फ उन्हें ही इनवाईट करो जिनकी जरूरत हो. अगर बॉडी काउंट small होगी और उसमे सिर्फ स्मार्ट लोग होंगे तो टीम की प्रोडक्टीविटी में इजाफा होगा. तीसरा है थिंक मिनिमल. सिंपल आंसर ही बेस्ट आंसर है. अपने सिंपल स्क्वायर बिजनेस प्लान की वजह से ही स्टीव जॉब्स Apple को बैंकरप्ट होने से बचा पाए. इसलिए हमेशा सबसे बेसिक आईडिया पर काम करने की कोशिश करो. ये सोचो कि आपका पर्पज क्या है? आप क्या अचीव करना चाहते हो? ये सवाल आपको NexT स्टेप उठाने में बड़े हेल्पफुल साबित होंगे. चौथी बात: कैजअल सोचो. आप कैजअल हो तो small होगी और उसमे सिर्फ स्मार्ट लोग होंगे तो टीम की प्रोडक्टीविटी में इजाफा होगा. तीसरा है थिंक मिनिमल. सिंपल आंसर ही बेस्ट आंसर है. अपने सिंपल स्क्वायर बिजनेस प्लान की वजह से ही स्टीव जॉब्स Apple को बैंकरप्ट होने से बचा पाए. इसलिए हमेशा सबसे बेसिक आईडिया पर काम करने की कोशिश करो. ये सोचो कि आपका पर्पज क्या है? आप क्या अचीव करना चाहते हो? ये सवाल आपको NexT स्टेप उठाने में बड़े हेल्पफुल साबित होंगे. चौथी बात: कैजुअल सोचो. आप कैजुअल हो तो इसका ये मतलब नहीं कि जो आपकी बात में दम नहीं है. इन्फोर्मेल, सिंपल और स्ट्रेटफॉरवर्ड होकर हम चीजों को और बेहतर और आसान तरीके से समझ सकते है. कैजुअल वे में आईडिया को फ्लो करने दो और आपकी बातचीत एकदम क्लियर और ऑनेस्ट होनी चाहिए. तो आप भी अपनी टीम, बिजनेस या ऑर्गेनाईजेशन में कोर एलिमेंट ऑफ़ सिंपलीसिटी अप्लाई कर सकते हो. तो चलिये, Apple और स्टीव जॉब्स के इन प्रिंसिपल्स को फॉलो कीजिये और सक्सेस की राह में आगे बढ़ते रहिये. और आज से इंसेन्ली सिंपल बनना स्टार्ट कर दीजिये.

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