How I Raised Myself from
Failure to Success in Selli…
Frank Bettger
इंट्रोडक्शन
आप लोगों को कैसे मनाते हैं? क्या ऐसा कोई तरीका है जिससे आप जो भी बेचे, लोग उसके लिए हमेशा “हाँ”
ही कहें ? आपको शायद यकीन न हो, लेकिन आपमें ऐसा ही हुनर मौजूद होता हैं. बाकी हर चीज की तरह,
बेचने का प्रैक्टिस किया जा सकता हैं. इस बुक में, आप जानेंगे कि सही नज़रिया रखना क्यों ज़रूरी हैं. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आपका जोश आपको कितनी दूर तक ले जा सकता हैं. आप अपने कस्टमर्स से बात करने के अलग-अलग तरीके भी सीखेंगे. बेचने का मतलब सिर्फ किसी को कुछ खरीदने
के लिए राजी करना नहीं हैं. ये अपने सोच और विचार, अपने आईडियास का लेन-देन भी हैं, जो एक दिलचस्प बात हैं. बेचना उतना मुश्किल नहीं हैं जितना आप सोचते हैं. दुनिया के सबसे बड़े सेल्समैन में से एक के टिप्स सुनकर अपने सफ़र की शुरुवात कीजिए. वो आईडिया जिसने मुझे सेल्स में दोबारा आने में
मदद की ऑथर फ्रैंक बैट्जर शुरू में सेल्समैन नहीं थे. वो एक बेसबॉल प्लेयर थे. वो एक टीम से दूसरे टीम में जाते रहे क्योंकि उनका मैनेजर उन्हें पसंद नहीं करता था. लेकिन इसका क्या कारण था? ऐसा इसलिए था क्योंकि फ्रैंक आलसी थे. वो मैदान में ऐसे घूमते थे जैसे वो एक बड़े खिलाड़ी हों जो कि वो नहीं थे. फ्रैंक अभी भी अपना करियर बना रहे थे.
फ्रैंक अपने बचाव में ये कहते हैं कि वो अपनी घबराहट को छिपाने की कोशिश में मैदान में ऐसे घूमते थे. वो
तब तक ऐसा करते थे जब तक उन्हें कॉन्फिडेंस नहीं मिलता था. उनके मैनेजर का कमेंट कि वो आलसी हैं,
इसने उन पर गहरा असर किया था. इसलिए, उन्होंने कॉन्फिडेंट होने की एक्टिंग शुरू कर दी. फिर, फ्रैंक ने
हर गेम में अपना बेस्ट परफॉरमेंस दिया. उनकी परफॉरमेंस को लोगों ने नोटिस किया. उनके टीम
के साथी उनके जोश से काफी इम्प्रेस्स हुए थे. इसकी वजह से फ्रैंक और उनकी टीम लगातार मैच जीतते
रहे. उनके बारे में लोकल न्यूज़ पेपर में भी लिखा गया था. फ्रैंक को अब कुछ भी नहीं रोक सकता था. ऐसा
इसलिए हो पाया था क्योंकि अब, फ्रैंक अपने हर मैच में 100 % देते थे. हालाँकि, एक हाथ की चोट ने फ्रैंक के बेसबॉल करियर को खत्म कर दिया था. वो परेशान तो हुए थे, लेकिन फ्रैंक ने कुछ नया करने की कोशिश करने का फैसला किया. फिर उन्होंने लाइफ इंश्योरेंस बेचना शुरू किया. शुरू में, उन्हें वही पुरानी प्रॉब्लम हुई. फ्रैंक बेचने के मामले में बहुत ज़्यादा एक्ससाइटेड नहीं थे.
कई लोगों ने उन्हें ठुकरा दिया था. इसने फ्रैंक को निराश किया. दस महीने तक वे इस बात से परेशान रहे थे. वो एक भी इंश्योरेंस पैकेज बेचने में नाकाम हुए थे. लेकिन फ्रैंक ने खुद का हौंसला बढ़ाने का फैसला किया. इसके लिए उन्होंने खुद पर ज़ोर लगाया. और, बेसबॉल की ही तरह, वो इसमें भी कामयाब हुए. उनके जोश और हौसले ने उन्हें कामयाबी दी थी. सिर्फ दो महीनों में, फ्रैंक ने 50,000 डॉलर का लाइफ इंश्योरेंस बेचा था. इससे फ्रैंक जोश और कॉन्फिडेंस से भर गए. लेकिन जल्दी ही वे अपना रास्ता भटक गए थे.
इन दिनों फ्रैंक के चेहरे पर परेशानी साफ़ झलकती थी कि आखिर वे कहाँ गलत थे. उन्हें इस सवाल का जवाब अपने पुराने रिकॉर्ड में मिला. फ्रैंक ने अपने द्वारा किए गए कॉल का रिकॉर्ड रखना शुरू कर दिया. एक साल में, उन्होंने 1,849 कॉल किए. उन्होंने देखा कि जिन कॉल्स में वो इंश्योरेंस बेच पाए थे, वो आम तौर पर किसी के साथ उनका पहला कॉल होता था. सेल के लिए फ्रैंक की तीसरी कॉल सिर्फ 7% कामयाब हुई थी. इससे वो कन्फ्यूज्ड थे. उन्हें तीन या उससे ज़्यादा बार किसी के साथ बात करने की ज़रूरत ही क्यों पड़ी ? उन्होंने ऐसे लोगों के साथ बड़ी मुश्किल से सेल्स की थी. लेकिन उन्हें एक अहसास हुआ. फ्रैंक को
ज़ोरों-शोरों से कस्टमर ढूंढ़ने थे. कस्टमर उनके दरवाजे पर दस्तक देकर खुद नहीं आने वाले थे. भले ही वे धीरे-धीरे कस्टमर बना रहे थे, लेकिन इसके लिए फ्रैंक को कॉल करने की ज़रूरत पड़ती थी. लेकिन अगर उन्होंने कोशिश ही नहीं की, तो वो बेचेंगे कैसे?
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मैंने सेल्समैनशिप के सबसे ज़रूरी राज़ कैसे सीखे फ्रैंक जॉन स्कॉट एंड कंपनी के सामने खड़े थे. ये
कहना कम होगा कि वो बहुत नर्वस थे. ये कंपनी एक जानी मानी ग्रोसरी डिस्ट्रीब्यूटर थी. इसके सीईओ को
लाइफ इंश्योरेंस बेचने की कोशिश करने वाले फ्रैंक पहले सेल्समैन नहीं थे. लेकिन फ्रैंक इस बात से डरे
नहीं. उन्होंने सोचा कि अगर वो कोशिश नहीं करेंगे तो बेचेंगे कैसे ? ये कोई हैरानी की बात नहीं थी कि कंपनी के मालिक जॉन स्कॉट तब बिजी थे. जॉन से बात करने के लिए फ्रैंक को थोड़ी देर इंतजार करना पड़ा. शुरुवात से ही, फ्रैंक को ठुकरा दिया गया, क्योंकि जॉन स्कॉट के पास पहले से ही इंश्योरेंस था. उन्होंने सालों पहले ही पेमेंट कर दी थी. उनके फैमिली के पास भी इंश्योरेंस कवर पहले से ही था. लेकिन इस बात ने फ्रैंक को कोशिश करने से नहीं रोका. उन्होंने जॉन से काम के अलग उनके इंटरेस्ट के बारे में पूछा. क्या जॉन किसी चैरिटी को सपोर्ट करते थे ? अगर हाँ, तो जॉन के गुज़र जाने के बाद चैरिटी का क्या होगा ? उनके चैरिटी सबसे ज़्यादा उनके दान पर ही चलते थे. फ्रैंक को समझ आ गई थी कि उन्होंने अपनी
बातों से जॉन का ध्यान अपनी ओर खिंचा था. जॉन ने फ्रैंक को अपनी बात को डिटेल में समझाने के लिए कहा.
फ्रैंक ने अपनी कंपनी की इंश्योरेंस प्लान के बारे में बात की. उसके मुताबिक जब जॉन इस दुनिया से चले
जाएंगे, तब भी जॉन की अलग-अलग चैरिटी को हर महीने चेक मिलती रहेगी. यही नहीं, जॉन को पांच
साल बाद 5,000 डॉलर भी मिलेंगे. इसके लिए बस जॉन को इंश्योरेंस प्लान के लिए एडवांस पेमेंट करना
होगा. फ्रैंक ने जॉन को इंश्योरेंस की कीमत बताई. कीमत सुनकर जॉन हैंरान हुए. वो कभी भी उतनी बड़ी
पेमेंट नहीं करेंगे. लेकिन फ्रैंक अपनी जगह कायम रहे. उन्होंने उन चैरिटी के बारे में ज़्यादा बात की जो जॉन के लिए बहुत मायने रखते थे. फ्रैंक ने बड़े जोश से उन चैरिटी के बारे में सवाल पूछे. जॉन की बातों को फ्रैंक ने ध्यान से सुना. आखिर में, फ्रैंक अपने चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ घर लौटे. जॉन स्कॉट के इंश्योरेंस का 8,000 डॉलर का चेक फ्रैंक के हाथ में था. फ्रैंक की कंपनी इससे बहुत impress हुई. उन्होंने फ्रैंक को बधाई दी और उनसे टिप्स भी मांगे. सेल्स इतनी बड़ी थी कि फ्रैंक को एक कन्वेंशन में बोलने के लिए इन्वाइट किया गया. दूसरे नौजवान सेल्समैन ये जानने के लिए बेचैन थे कि उन्होंने आखिर ये कैसे
किया. कन्वेंशन के दौरान, फ्रैंक ने एक बात सीखी. एक सेल्समैन के तौर पर ये बात अपने पूरे करियर में उनके साथ रहा.
इंसान हमेशा कुछ न कुछ चाहता हैं. आपकी चाहत आपको बेहतर बनने के लिए इंस्पायर करती इस
बात का फायदा आप अपने सेल्स को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं. आपका कस्टमर क्या चाहता हैं ? बेशक,
कस्टमर बहुत से चीजें चाहते हैं. बहुत कुछ ऐसा भी होता हैं जो आप कस्टमर को नहीं दे पाते हैं. उन्हें तब
तक अपनी बातें कहने दें जब तक आप अपना सेल्स कर नहीं लेते और उनकी इच्छा को भी पूरी नहीं कर
लेते. फ्रैंक ने जॉन के साथ यही किया था. फ्रैंक ने सवाल पूछे. उन्होंने देखा कि जॉन समाज सेवा में भाग लेते थे. इसलिए, उन्होंने जॉन के चैरिटी पर फोकस दिया. फ्रैंक जिस कंपनी के लिए काम कर रहे थे, उनके पास अलग-अलग इंश्योरेंस प्लान थे. फ्रैंक ने एक ऐसा प्लान बताया जो जॉन के चैरिटी का ख़याल रख सकती थी. मान लीजिए फ्रैंक को जॉन के बारे में कुछ पता नहीं होता. फिर तो फ्रैंक दूसरे नाकाम इंश्योरेंस एजेंट जैसे होते. अपने कस्टमर को जानना आपको एक कामयाब सेल्स दे सकता हैं. तब से, फ्रैंक ने इसे अपने काम का एक ज़रूरी हिस्सा बना लिया.
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सवाल पूछने से मेरे सेल्स इंटरव्यू कैसे असरदार हुए फ्रैंक अपने करियर में अच्छा कर रहे थे. उनका जोश
हर कस्टमर के साथ 100% रहता था. वे अपने कॉल को रिकॉर्ड करते थे. वो अपने गोल्स को पाते रहे,
लेकिन फिर भी मुश्किल गोल को पाने के लिए खुद पर जोर देते रहे. फ्रैंक, एक सपने जैसी जिंदगी जी पाए थे. लेकिन, ज़ाहिर हैं, ये आसान नहीं था. जब भी फ्रैंक कोई इंश्योरेंस बेचने की कोशिश करते, कई लोग फ़ौरन उनको ठुकरा देते थे. हालांकि, फ्रैंक ने इससे निकलने के लिए भी एक रास्ता ढूंढ लिया था. वो कस्टमर्स से सवाल पूछते रहते और खरीदने के लिए मजबूर नहीं करते. इसके बजाय, फ्रैंक बस सवाल-जवाब करते. ये कहीं ज़्यादा असरदार स्ट्रेटेजी थी. जब आप किसी शख्स की बातों से राज़ी नहीं होते हैं,
तो वो शायद आपकी बातों को कभी नहीं सुनेंगे. सुनने के बजाय वो शख्स खुद को साबित करने में बिजी हो
जाएगा कि वो कितना सही हैं. और, सेल्स के दौरान आप बिल्कुल ऐसा नहीं चाहेंगे. दूसरे शख्स की राय को मानने के लिए आप क्या कर सकते हैं ? ये कहिए कि उनकी बातें सही हैं. आप नहीं चाहते कि आपका कस्टमर ये सोचे कि आप सबकुछ जानते हैं. ऐसा करने से उनमें हीन भावना आएगी, उन्हें इन्फीरियर एहसास होगा. ऐसे वक्त के लिए, फ्रैंक ने Socrates के तरीके का इस्तेमाल करने का फैसला किया. ये फेमस Socrates द्वारा बनाए गए सवाल थे. ये तरीका हैं आईडियाज़ का लेन-देन करना क्योंकि कोई भी हमेशा बिल्कुल सही नहीं हो सकता हैं.
आपका कस्टमर आपसे सीखता हैं. आप अपने कस्टमर से सीखते हैं. एक दूसरे के साथ आईडिया
शेयर करें. कस्टमर की बातों से भी राज़ी होना ज़रूरी हैं. फिर, अपनी राय भी कस्टमर के सामने रखिए. इसे
एक बातचीत की शक्ल दीजिए. दूसरा टिप जो फ्रैंक ने सीखा वो था मिला-जुला राय बनाना. एग्जाम्पल के लिए, आप अपने कस्टमर के बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं. इसके लिए आप कह सकते हैं, “क्या आपको लगता नहीं कि हमें एक-दूसरे को ज़्यादा जानना चाहिए ?” ये आपके कस्टमर को encourage करेगा, क्योंकि उन्हें लगेगा जैसे उनकी राय मायने रखती है. सवाल पूछने में कभी मत झिझकिए. इन सवालों से
आप ये पता लगा पाएंगे कि कस्टमर चाहता क्या हैं.
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मैंने कैसे जाना कि एक आदमी को खरीदारी क्यों करनी चाहिए, इसके पीछे का कारण क्या है. न्यूयॉर्क में एक मशहूर कहानी घटी थी जिसे फ्रैंक हमेशा याद करते थे. एक नाइट क्लब में, एक आदमी किसी को भी अपने पेट में मारने के लिए कहता था. जो भी उसे हराएगा वो चैंपियन माना जाएगा. हर कोई इसे
आजमाना चाहता था. लेकिन कोई भी इस आदमी को हराने के काबिल नहीं था. एक दिन, स्वीडन का एक
बड़ा आदमी नाइट क्लब में आया. इस बंदे को समझ नहीं आया कि वो क्या करें. नाइट क्लब में सभी लोग इशारा करने लगे. वो समझ गया और उस आदमी के सामने गया. लेकिन उसके पेट में मारने के बजाय, उसने उस आदमी के जबड़े पर मारा. इससे वो फ़ौरन नीचे गिर गया और हार गया. इसी कहानी को किसी सामान को बेचने में भी काम में लाया जा सकता हैं. आपको सिर्फ main मुद्दे पर अपना ध्यान देना चाहिए. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वो स्वीडन के आदमी ने कहाँ चोट किया था. उसने जो भी किया उसका नतीजा तो वही निकला जैसा वो चाहता था. वो आखिर उसे हराने में कामयाब हुआ था और बस यही बात मायने रखती थी.
फ्रैंक हमेशा से सेल्स में अच्छे नहीं थे. काफी बार, कस्टमर कहते हैं कि वे कोई इंश्योरेंस प्लान नहीं चाहते.
फ्रैंक चाहते तो वैसे लोगों के साथ पूरे दिन बहस कर सकते थे. वो लोगों के हर बात को मानने से इंकार कर
सकते थे. लेकिन वो टाइम की बर्बादी होती. इसलिए इसके बजाय, फ्रैंक मैन मुद्दे पर अपना फोकस रखते हैं.
ठीक उस आदमी की तरह, कौन सा कदम सामने वाले को काबू में कर सकता हैं, सिर्फ उसपर अपना फोकस रखते हैं. कस्टमर के इंकार का मैन कारण क्या हैं, ये पता करते हैं. जैसा कि हम पहले ही बात कर चुके हैं, अपने कस्टमर को जानना बहुत ज़रूरी हैं. कस्टमर को खुद ही अपने बारे में बताने दें. अक्सर कस्टमर खुद ही उन वजहों की लिस्ट बनाकर आपको दे देगा जिनके कारण वो आपसे कुछ नहीं खरीद रहा हैं. लोग प्रेडिक्टेबल होते हैं. आपको पता हो जाता हैं कि वे क्या करने वाले हैं. जो बातें उन्हें परेशान कर रहे
हैं, लोग अक्सर इन बातों को दोहराते रहते हैं. ऐसे में, बाकी कोई और बात मायने नहीं रखते. आपको यहीं से
important मुद्दे, main प्रॉब्लम को ढूंढ़ना हैं. एक बार जब आप इसे समझ लें, तो इसे हाथ से जाने मत
दीजिए. सॉक्रेटिक तरीके को अप्लाई कीजिए. कस्टमर सवाल पूछते रहें. अपने कस्टमर की बात पर हामी
भरते रहे, मानते रहे और टाले नहीं. लेकिन आराम से अपनी राय भी रखते रहे. बातचीत को अच्छा रखिए. जैसे ही दोनों बातचीत करेंगे, लोगों को खुद ही अक्सर एहसास हो जाता हैं कि वे गलत थे. और, वे सिर्फ बहाना बना रहे थे. इस वक्त तक, कस्टमर खुद को समझा लेते हैं. लाइफ इंश्योरेंस क्यों नहीं खरीदते? आखिर किस बात का इंतज़ार था? फ्रैंक इतने अच्छे थे कि वो काफी दफा कुछ बेचते ही नहीं थे. इसके बजाय, कस्टमर पहले से ही उनसे खरीदने को तैयार हो जाते थे.
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लोगों के अंदर के ऐतराज़ को कैसे खोजूं खुद को बेहतर बनाने के लिए फ्रैंक डेटा पर डिपेंड
करते थे. कस्टमर ने उनके इंश्योरेंस प्लान को ठुकराने के लिए जो भी बहाने दिए, कारण दिए, फ्रैंक ने उन सब को लिख लिया था. जब सारे बहानों को इकट्ठा किया, फ्रैंक को हैरानी हुई. उनमें से जो अहम कारण निकला, असल में, वो सही कारण था ही नहीं. फ्रैंक ने देखा कि ये कारण 62% सामने आया था. लोग एक सेल्समैन से झूठ बोलते ही क्यों हैं ? दिग्गज अमेरिकी फाइनेंसर जे.पी मॉर्गन ने इस का सही जवाब दिया था. उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए लोगों के पास हमेशा दो कारण होते हैं. पहला, इसलिए क्योंकि उन्हें वो काम अच्छा लगता हैं और, दूसरा कारण ही असली कारण होता है. असल में, लोग शुरू में एक सेल्समैन से झूठ बोलते हैं ताकि उनका बहाना सही लगे. उन्हें लगता हैं कि इससे सेल्समैन वही रुक जाएगा और आगे बेचने की कोशिश नहीं करेगा. लेकिन इस फील्ड के फ्रैंक जैसे एक्सपर्ट जानते हैं कि सेल्समैन को गहराई में जाना होगा. “क्यों ?” पूछने के अलावा, फ्रैंक ने “इसके अलावा” का
यूज़ भी करने की बात की. आपको हैरानी होगी कि ये कितने असरदार हैं. फ्रैंक हमेशा अपने कस्टमर्स के साथ अपनी मीटिंग में इसका इस्तेमाल करते थे. फ्रैंक ने एक बार एक कारपेट बनाने वाली कंपनी पर इन जादुई शब्दों का इस्तेमाल किया. इस कंपनी के दो मालिक थे और वे शुरू में फ्रैंक के ऑफर को लेकर हिचक रहे थे. मालिकों का नाम बॉब और रॉबर्ट था. फ्रैंक की बात सुनकर रॉबर्ट को तुरंत भरोसा हो गया था. उन्होंने कहा कि बिज़नस के लिए insurance ज़रूरी होता हैं. हालांकि बॉब ने फ्रैंक को ठुकरा दिया था.
अगले दिन, फ्रैंक ने बॉब से अकेले मिलने के लिए कहा. बिना हिचकिचाहट फ्रैंक ने बॉब से इसका कारण पूछा. बॉब ने जवाब दिया कि उनकी कंपनी पैसे खो रही थी. वे बिज़नस इंश्योरेंस खरीदने का रिस्क नहीं उठा सकते थे. यही उनका पहला कारण था. ये कारण सही लग रहा हैं, हैं ना ? कारण तो ठीक था. लेकिन फ्रैंक ने बात को और आगे बढ़ाया. उन्होंने बॉब पर “इसके अलावा” टेक्निक का इस्तेमाल किया. और फिर, बॉब ने फ्रैंक को असली कारण बताया कि उन्होंने इंश्योरेंस को आखिर क्यों ठुकराया था. जैसा कि हम
बात कर चुके हैं, लोग आपको कई बहाने देंगे. आपको इन बहानों को समझना होगा और इनमें से असल या
ज़रूरी मुद्दे का पता लगाना होगा. असली वजह उनके बेटे थे. बॉब के दोनों बेटे कारपेट कंपनी में काम कर रहे थे. हालात अच्छे नहीं थे. कंपनी को घाटा हो रहा था. बॉब का बजट भी टाइट था. वो खुद, insurance प्लान का खर्च नहीं उठा सकते थे. अगर उनमें से किसी का भी एक्सीडेंट हो जाता तो कंपनी बंद हो जाती. वे ऐसा होने नहीं दे सकते थे. फ्रैंक ने महसूस किया कि यही वो ख़ास मुद्दा था जिसकी वो तलाश कर रहे थे. बॉब के लिए इंश्युरन्स एक्स्ट्रा खर्च था. इसके अलावा, बॉब को चिंता थी कि वो बहुत जल्द मर जाएंगे. उनके बिना उनके बेटे का क्या होगा ? इसलिए, फ्रैंक ने बॉब के साथ डिस्कशन किया. उन्होंने बॉब को बताया कि उनकी चिंताएँ जायज थीं. और वे एक साथ मिलकर insurance प्लान पर काम कर सकते थे. सबसे ज़रूरी बात, इसने बॉब और उसके बेटों के लाइफ को सिक्योरिटी दी . फ्रैंक 3,000 डॉलर के चेक के साथ वहां से निकले.
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कॉन्फिडेंस के लिए सबसे बड़ी सीख
भरोसा तब बनता हैं जब किसी को आप में कॉन्फिडेंस हो. एक सेलर होने के नाते, आपको अपने कस्टमर का भरोसा जीतना होगा. फ्रैंक ने सब कुछ कार्ल कॉलिंग्स से सीखा था. कॉलिंग्स उनकी कंपनी के सबसे
कामयाब सेल्समैन में से एक थे. मेहनती फ्रैंक ने कॉलिंग्स को बड़ी बारीकी से देखा था. कॉलिंग्स के कस्टमर उन पर भरोसा क्यों करते थे ? वो हमेशा कॉन्फिडेंस से भरे हुए आखिर कैसे रहते थे ? एक बार, एक आदमी जो फ्रैंक का कस्टमर बन सकता था, उसने महीने के आखिर में फ्रैंक से प्लान खरीदने
पर सोचने की बात की थी. लेकिन फ्रैंक नर्वस थे. उन्हें इस कमीशन की बहुत जरूरत थी. फ्रैंक बहुत घबरा
गए थे और उन्होंने कॉलिंग्स से मदद मांगी. कॉलिंग्स ने उन्हें कुछ सुझाव दिए और उसे मानकर
फ्रैंक ने आसानी से प्लान बेचीं. फ्रैंक बहुत खुश हुए लेकिन एक प्रॉब्लम थी. फ्रैंक ने कस्टमर को जो
इंश्योरेंस प्लान दी, उसमें कुछ बदलाव हुए थे. ये फ्रैंक और कस्टमर के बीच हुई एग्रीमेंट के हिसाब से नहीं
था. फ्रैंक डर गए. कस्टमर को कुछ भी बदलाव पसंद नहीं आते. फ्रैंक को लग रहा था कि कस्टमर इस प्लान को पूरी तरह से रद्द कर देगा. फ्रैंक ने कॉलिंग्स से पूछा कि क्या उन्हें कस्टमर के साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए.
आखिर, जब तक फ्रैंक और कॉलिंग्स इसे कस्टमर को नहीं बताते, उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं चलेगा.
इसलिए, उन्होंने कस्टमर को इसके अंतर के बारे में बताया. ऐसा करते हुए कॉलिंग्स ने कस्टमर से अपनी
नज़रें नहीं चुराई. उन्होंने बताया कि ये नया प्लान वो नहीं था जो कस्टमर चाहता था लेकिन कॉलिंग्स का
मानना था कि अभी का प्लान कस्टमर को ज़्यादा सिक्योरिटी देगा. और इसलिए, कस्टमर ने भी इस नए
प्लान के लिए हामी भर दी. फ्रैंक हैरान और इम्प्रेस हुए. कस्टमर को कॉलिंग्स पर पूरा भरोसा था. कॉलिंग्स ने पक्का किया कि उनके कस्टमर जानें कि वे उन पर भरोसा कर सकते हैं. उन्होंने कस्टमर को सिक्योर महसूस कराया. उनके दिल में सिर्फ कस्टमर का भलाई ही था. कॉलिंग्स पर भरोसा न करना मुश्किल ही था. कस्टमर को दिख जाता था कि वो एक ईमानदार आदमी थे. और यही था जो दूसरे सेल्समैन भी उनसे सीख सकते थे.
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नाकाम होने से मत डरिए!
एक दिग्गज बेसबॉल खिलाड़ी बेब रूथ के बारे में बात करते हैं. वो एक अच्छे खिलाड़ी थे और उनका स्माइल
दिलों को भा जाता था. अपने टैलेंट और शोहरत के बावजूद, बेब रूथ बहुत सिंपल शख्स थे. एक गेम
में, उनके कॉम्पिटिटर आगे चल रहे थे. बेब आगे बड़े, दर्शकों के तरफ देखकर मुस्कुराए और अपने बैट को
घुमाने की प्रैक्टिस की. भीड़ पागल हो रही थी. जैसे ही दूसरी टीम ने बॉल को पिच किया, बेब हंस पड़े. अफ़सोस कि उनका बैट बॉल से नहीं लगा. वो पहला स्ट्राइक था. दूसरी पिच के लिए भी बेब लकी नहीं निकले. वो दूसरा स्ट्राइक था. सब लोग चिल्ला रहे थे. तीसरी स्ट्राइक के लिए बेब बॉल को हिट करने में कामयाब हुए थे. उनका स्विंग इतना पावरफुल था कि ये बॉल ग्राउंड के ऊपर से गायब हो गया था. एक इंटरव्यू के दौरान, बेब से उनकी बैटिंग के बारे में पूछा गया था. उन्होंने कहा कि उन्हें बस स्विंग ही करते
रहना पड़ता हैं बेब को नाकाम होने की परवाह नहीं थी. उन्होंने कहा कि अगर वो अपना बैट घुमाते रहे, तो उनके पास बॉल को मारने के चांस ज़्यादा होंगे. ये एक आसान और क्लियर एक्सप्लनेशन लगता हैं. लेकिन क्या आपने कभी इसे अपने लाइफ में आजमाया हैं ? इसमें कोई शक नहीं कि आपने इसे आजमाया नहीं होगा. आप शायद कहेंगे, “मैं नाकाम हो जाऊंगा.” लेकिन नाकामी ने बेब को एक महान खिलाड़ी बनने से नहीं रोका. जी हां, बेब को उनके 714 होम रन के लिए जाना जाता हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो 1,330 बार नाकाम रहे थे ? बेब को पता था कि सफलता पाने के लिए उन्हें नाकाम होने की जरूरत हैं. यहाँ एक और टिप है. दूसरे लोग क्या सोचते हैं, इस बारे में बहुत ज्यादा परवाह मत कीजिए. आपकी जीत से उनका कुछ लेना-देना नहीं होता. वे आपकी नाकामी पर आपमें दोष निकालेंगे. लोगों की राय आपके लिए कभी मायने नहीं रखने चाहिए. तो, आगे बढ़ते रहिए. अपनी नाकामी को अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए. कामयाबी और नाकामी साथ-साथ चलती हैं. चाहे कुछ भी हो जाए, नाकामी के आगे मत झुकिए. हर एक नाकामी आपको कामयाब होने के एक कदम और नज़दीक ले जाएगी. बहादुर होने का मतलब डर की कमी होना नहीं हैं. बहादुर होने का मतलब हैं डर के साथ-साथ अपने लक्ष्य का पीछा भी करना.
कन्क्लूज़न
तो आपने इस समरी के ज़रिए सेलिंग यानी बेचने के आर्ट के बारे में सीखा. कोई भी सही हुनर के सेट के
साथ पैदा नहीं होता हैं. अच्छे से अच्छा सेल्समैन सिर्फ प्रैक्टिस से ही बेस्ट बनते हैं. आपने सीखा कि आपके प्रोफेशन के लिए आपका जोश आपको काफी ऊंचाई तक ले जा सकता हैं. भले ही आपको महसूस न हो, फिर भी आपको जोश दिखाना चाहिए. इससे आप जल्द ही अपने प्रोफेशन से प्यार करने लगेंगे. आपने सीखा कि अपने कस्टमर के बारे में सीखना सबसे बड़ी ज़रूरत हैं. वे क्या चाहते हैं इसका पता लगाइए. फिर, उन्हें अपना सबसे बेस्ट सोल्यूशन दीजिए. आपने “क्यों?” और “इसके अलावा ” टेक्निक के पावर के बारे में सीखा. हो सकता हैं कस्टमर्स आपको ठुकराएं. इसके लिए कस्टमर्स आपको अच्छा बहाना देंगे लेकिन अक्सर ये झूठे बहाने होते हैं. कस्टमर्स को सवाल करते रहिए. और, आखिर में वे बता ही देते हैं कि वे क्यों हिचकिचा रहे थे. इसे आप अपने फायदे के लिए यूज़ कर सकते हैं. आपने सीखा कि कॉन्फिडेंस ही सबसे ज़रूरी होता हैं. अपने कस्टमर को तरीके से संभालने के लिए खुद पर भरोसा रखिए. आपने सीखा कि नाकाम होने में कोई गलत बात नहीं हैं. आपकी गलतियाँ आपको कामयाबी की ओर ले जाएंगी. आपके सामने जो भी मौके आएँ, उसे हासिल कीजिए. क्या पता, ये आपको अपने मंज़िल तक पहुंचा दें. कामयाबी का रास्ता मुश्किल होता हैं. लेकिन हमेशा याद रखिए कि आपकी सारी कोशिशें बेकार नहीं जाएगी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको कितना टाइम लगेगा. बस, कभी कोशिश करना बंद मत कीजिए.