Fake Money Book Summary In Hindi

इंट्रोडक्शन
एक दिन रॉबर्ट कियोसाकी रास्ते पर चल रहे थे कि तभी उनकी नज़र newspaper बेचने वाले स्टैंड पर
पड़ी जहाँ उन्हें तेज़ रफ़्तार वाली गाड़ियाँ और खूबसूरत औरतों की तस्वीरों वाली colourful मैगज़ीन नज़र
आई. रॉबर्ट उन मैगज़ीन की चमक-दमक से बड़ेइम्प्रेस हुए पर सबसे ज्यादा इम्प्रेस उन्हें जिस चीज़ ने
किया वो था टाइम मैगज़ीन का फ्रंट कवर जिस पर हेडलाइन लिखा था “How My Generation
Broke America”
यानी कैसे मेरी पीढ़ी ने अमेरिका को कंगाल कर दिया. ये उस आर्टिकल की हेडलाइन थी जो मैगज़ीन में छपी थी और ये आर्टिकल लिखा था स्टीवन ब्रिल ने. ये आर्टिकल बेबी बूमर्स जेनरेशन और एकेडमिक एलीट्स के बारे में था जो प्राईवेट स्कूल से पढ़ाई करके अब वॉल स्ट्रीट में जॉब कर रहे थे. ब्रिल खुद भी एक एकेडमिक एलीट थे. उनकी शुरूआती एजुकेशन मैसाचुसेट्स के एक अमीर प्राईवेट प्रेप स्कूल ‘डियरफील्ड एकेडमी’ में हुई थी. उसके बाद वो येल यूनिवर्सिटी और येल लॉ स्कूल में पढ़ने गए. ब्रिल अपने आर्टिकल में लिखते है “अब क्योंकि मेरी जेनरेशन वाले एलिट यूनिवर्सिटी में पढ़े है और प्रोफेशनल दुनिया में काम करते है तो मुझे लगता है कि हमारी पर्सनल सक्सेस ने सोसाईटी के लिए एक गंभीर स्थिति क्रिएट कर दी है.”

‘एलीट क्लास यानी अमीर लोगों ने नए बिज़नस शुरू करने या ज्यादा जॉब्स क्रिएट करने के बजाय, सिर्फ
अपने बारे में सोचा और अपनी जेबें भर रहे है. इसके चलते रिस्की फाईनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स जैसे डेरीवेटिव्स
और credit default swaps बनाए. ये फ़ेक यानी नकली asset अमीरों के लिए तो तुरंत प्रॉफिट
कमाने का जरिया बन गया है पर इसकी वजह से आम जनता का पैसा खतरे में है.” तो आखिर कौन है ये एकेडमिक एलीट्स जो बेबी बूमर्स जेनरेशन से हैं? इनमें से कुछ के नाम है बराक ओबामा, से हिलरी क्लिंटन, बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू. बुश और फेडरल रिजर्व बैंक के चेयरमैन बेन बर्नानके, तो क्या ये उन बुरे लोगों की कोई साज़िश है जो सीक्रेट तरीके से वर्ल्ड इकॉनमी को कंट्रोल कर रहे है ? रॉबर्ट कियोसाकी हमें इस सच से रूबरू करा की कोशिश कर रहे है. वो कहते है कि ओबामा और बाकी के हाई गवर्नमेंट ओफिशियल्स वही करते है जो उन्हें सही लगता है. वो लोग इतने इंटेलिजेंट है किउनके पास रुककर सोचने का टाइम ही नहीं है. तो नतीज़ा ये होता है कि उनके डिसीजन लाखो-करोड़ों लोगों की जिंदगी बर्बाद करके रख देते है. लोगों की जिंदगी बर्बाद करके रख देते है. इस समरी में हम तीन तरह की फ़ेक चीज़ों के बारे में डिस्कस करेंगे. ये है फ़ेक मनी, फ़ेक टीचर्स और फ़ेक एसेट्स. तो आइए एक-एक करके इन तीनों को डिस्कस करते है.

Fake Money, Fake Teacher, Fake
Assets

फ़ेक मनी का मतलब है पेपर मनी और फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट्स जैसे bonds, स्टॉक्स, म्यूच्यूअल fund
वगैरह. फ़ेक मनी की वजह से ही गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर और ज़्यादा अमीर. आप
पूछोगे कैसे? 1971 की बात है जब प्रेसिडेंट रिचर्ड निक्सन ने US डॉलर को गोल्ड के स्टैण्डर्ड से हटा दिया था और तब से डॉलर ने अपनी वैल्यू खो दी. ये बस कागज़ का एक टुकड़ा बनकर रह गया यानि इसका मतलब हुआ कि इकॉनोमिक क्राइसिस या इन्फ्लेशन मतलब महंगाई के वक्त में गवर्नमेंट जब चाहे और जितना चाहे पेपर मनी छाप सकती है. छोटे इन्वेस्टर्स जैसे एम्प्लोईज़ या प्रोफेशनल्स ज़्यादातर अपना पैसा स्टॉक्स या म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करके रखते है. उन्हें लगता है कि टाइम के साथ उनकी टन्तेजमेंट टबल या निपल होगी लेकिन कम्पाउंडिंग इंटरेस्ट का मतलब ये भी है कि आपको ब्रोकर या फंड मैनेजर की कम्पाउंडिंग फीस भी भरनी पड़ेगी.

फ़ेक टीचर्स का मतलब यहाँ उन टीचर्स से है जिनके पास उस चीज़ का कोई फर्स्ट हैण्ड experience
ही नहीं होता जो वो पढ़ा रहे है. यानि उनकी सारी टीचिंग सिर्फ थ्योरी और बुक्स तक सीमित होती है.
जैसे example के लिए रॉबर्ट कियोसाकी के एक एकाउंटिंग टीचर हुआ करते थे जिन्होंने कभी अकाउंटेंट
की जॉब नहीं की थी. वो बस थ्योरी में एकाउंट्सपढाया करते थे. जबकि ठीक इसके उल्टा रॉबर्ट के
फ्लाईट स्कूल के इंस्ट्रक्टर एक रियल टीचर थे. आप पूछोगे भला कैसे? वो इसलिए क्योंकि फ्लाइट स्कूल के इंस्ट्रक्टर वाकई में प्लेन उड़ा सकते थे कियोसाकी जब पायलट की ट्रेनिंग ले रहे थे तो फ्लाइट इंस्ट्रक्टर उनके साथ प्लेन में थे और उन्हें जरूरी फीडबैक देते जा रहे थे. तो कहने का मतलब है कि हमारे स्कूल और यूनिवर्सिटी के टीचर्स असल में फ़ेक टीचर्स है क्योंकि वो हमें पैसों के बारे में कुछ नहीं सिखाते. वो ये नहीं सिखाते कि अपना फाइनेंस कैसे मैनेज करना चाहिए या फिर फाईनेंशियल सिक्योरिटी अचीव करने के लिए क्या करना चाहिए. ठीक ऐसे ही एजुकेशन सिस्टम भी बनाया गया है. एलीट क्लास ने ये सब इसी तरह क्रिएट किया है कि अमीर सारे पैसे ले जाएँ और बेचारा गरीब गरीब ही रह जाए.

फ़ेक टीचर्स के बारे में एक और फैक्टर है स्टूडेंट लोन. US में कॉलेज ग्रेजुएट्स और प्रोफेशनल स्टूडेंट लोन
के बोझ तले दबे पड़े है और US गवर्नमेंट के लिए यही नंबर वन asset है. आप शायद यकीन नहीं करेंगे
पर US में स्टूडेंट लोन लगभग $1.2 ट्रिलियन से भी ज्यादा है, और लास्ट में हम फ़ेक एसेट्स के बारे में डिस्कस करेंगे. क्या आपको लगता है कि mortgage यानी गिरवी रखा हुआ आपका घर एक एसेट है? क्या
आपको लगता है कि आपका रिटायरमेंट फंड एक एसेट है? सबसे पहले तो आपको एसेट और लायबिलिटी के बीच का फर्क पता होना चाहिए. एसेट वो है जिसकी वजह से आपकी कमाई होती है जबकि लायबिलिटी
का मतलब है आपके पैसे खर्च होना. तो जब आप हर महीने घर के लिए रेंट देते हो तो वो आपका
लायबिलिटी हुआ. आपका रिटायरमेंट फंड भी एक लायबिलिटी है क्योंकि आप सालों-साल हर महीने
इसके लिए पैसे भरते रहते है.

एलीट क्लास ने अपने फायदे के लिए कुछ अजीब से फाईनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स बनाए है जैसे डेरीवेटिव्स,
क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप्स और मॉर्गेज बैक्ड सिक्योरीटीज़, ये सब उन्होंने पब्लिक के पैसों पर अमीर बनने के
लिए बनाए है. जब आप स्टॉक्स में इंवेस्ट करते हो या मॉर्गेज फी भरते हो तो इन्वेस्टमेंट बैंक्स आपका पैसा
यूज़ करते है और इस पैसे को वो कहाँ और कैसे यूज़ करते है उसके टेक्निकल टर्म्स आम लोगों को समझ
नहीं आती और जब डेरीवेटिव्स एक्स्प्लोड़ हो जाते है तो इकॉनोमी क्रैश हो जाती है. इस तरह अमीर का तो
कुछ नहीं बिगड़ता पर गरीबों का सारा पैसा डूब जाता कियोसाकी इस बात की तरफ इशारा करते है कि
फ्यूचर में एक बड़ा क्रैश आ सकता है. डॉव जोन्स के 125 सालों के चार्ट में 1929 के बड़े क्रैश को ग्राफ
पर एक छोटे से बम्प के रूप में दिखाया गया है यानि अगर कम्पेयर किया जाए तो बहुत कम अमाउंट में पैसा शामिल रहा था. इसके कई साल बाद एक बड़ा स्पाइक 2000 के डॉट कॉम क्रैश को दिखाता है. इससे भी बड़ा स्पाइक था 2008 का रियल एस्टेट क्रैश जिसमें $700 ट्रिलियन डेरीवेटिव्स थे. लेकिन इससे भी बुरा अभी होना बाकि है. डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज डेरिवेटिव में $ 1.2 क्वाड्रिलियन प्रोजेक्ट करता है. शंका जताई जा रही है कि ये क्वाड्रीलियन डॉलर डिजास्टर आने वाले कुछ सालों में हो सकता है. जरा सोचिए डेरीवेटिव्स या फ़ेक एसेट्स का ये कितना बड़ा अमाउंट होगा. यानि 1 के पीछे 15 जीरो. तो सोचिए उस वक्त दुनिया का क्या होगा

जब $1.2 क्वाड्रीलियन की वैल्यू वाले डेरीवेटिव्स एक्स्प्लोड़ होंगे? इसीलिए कियोसाकी यहाँ फ़ेक वर्ड यूज़ कर रहे है. फ़ेक मनी, फ़ेक टीचर्स और फ़ेक एसेट्स के बारे में अगर आप पहले से सावधान रहेंगे तो आप और आपकी फेमिली इनसे बची रहेगी. फिर आपको कोई बेवकूफ नहीं बना पाएगा और आपको पता होगा कि जिस पैसे को कमाने के लिए आपने कड़ी मेहनत की है उसे कहाँ और कैसे लगाना है.

FAKE – Fake Money, Fake
Teachers, Fake Assets- H…
Robert Kiyosaki
The World is About to Change

1971 में प्रेसिडेंट निक्सन ने जब US डॉलर को गोल्ड स्टैण्डर्ड से हटाया था उस वक्त रॉबर्ट कियोसाकी
मरीन कॉर्प्स में पायलट की जॉब करते थे. उस वक्त उनकी उम्र 25 साल थी और उन्हें काम के सिलसिले
में वियतनाम भेजा गया था. उसी दौरान रॉबर्ट को अपने पिता का ख़त मिला जिसमें लिखा था “सावधान
रहना, दुनिया बदलने वाली है.” अपने पिता का ख़त पढ़कर रॉबर्ट को बड़ी हैरानी हुई. उनके हाथ वॉल स्ट्रीट की एक कॉपी लगी जिसमें उन्होंने गोल्ड से रिलेटेड आर्टिकल ढूँढा लेकिन उन्हें कुछ ख़ास जानकारी हासिल नहीं हो पाई, उन्हें बस इतना पता चला कि गोल्ड की कीमत $40 से $60 per ounce के बीच कहीं था. कियोसाकी के एक दोस्त थे टेड. वो भी उनकी तरह ही गोल्ड के बारे में जानना चाहते थे. दोनों दोस्त मरीन पायलट थे जो कॉलेज से ग्रेजुएट होकर सीधे जॉब में लगे थे. दोनों को ही गोल्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ना तो उन्हें गोल्ड का असली प्राइस मालूम था और ना ही ये पता था कि रियल गोल्ड दिखता कैसा है.

1972 के दौरान यूएस, वियतनाम की लड़ाई हारने की कगार पर था. नॉर्थ वियतनामी आर्मी साउथ
वियतनामी आर्मी से लड़ने साउथ जा रही थी. कियोसाकी और टेड दुश्मन की लाइन के पीछे चले
गए. उन्होंने अपने प्लेन चावल के खेतों में छुपा दिए थे. उसके बाद वो लोग गाँव में गए और गोल्ड डीलर के
बारे में पूछताछ की. एक नौजवान लड़का सामने आया. गोल्ड डीलर एक बूढी औरत थी जिसके दांत पान खाने की वजह से लाल हो गए थे. वो औरत बाँस की झोपड़ी में रहती थी. बूढी उन्हें देखकर मुस्कुराई और अपना गोल्ड दिखाने लगी. गोल्ड नगेट्स छोटे-छोटे सूखी हुई किशमिश जैसे लग रहे थे और 3 इंच के डायामीटर वाले प्लास्टिक केस में रखे हुए थे. कियोसाकी ने उन्हें रौशनी में गौर देखते हुए पूछा “क्या ये सच में गोल्ड है?” टेड ने कहा ” मुझे क्या पता? मुझे लगा तुम्हें पता होगा कि गोल्ड कैसा दिखता है ?” तो कियोसाकी बोले  “मुझे लगा तुम्हें पता होगा, तभी तो हम यहाँ आए है”. कियोसाकी कन्फ्यूज़ हो गए. उनके पास ऐसा कोई तरीका नहीं था कि वो चेक कर सकें कि वो बूढी औरत उन्हें गोल्ड ही दिखा रही है या कुछ और. खैर, कियोसाकी ने बोली की शुरुआत $40 per ounce से की. लेकिन उन्हें ये पता नहीं था कि उस दिन “स्पॉट” या गोल्ड का इंटरनेशनल प्राइस $55 था.

उन्हें लगा कि उन्हें डिसकाउंट वगैरह कुछ मिल जाएगा. लेकिन बूढी औरत मुस्कुराते हुए बोली “स्पॉट तो स्पॉट है”, इससे कम कीमत में तो मैं अपना गोल्ड हरगिज़ नहीं बेचूंगी.” कियोसाकी ने सोचा कि वो औरत जरूर उन्हें बेवकूफ समझ रही होगी. उन्हें नहीं पता था कि गोल्ड का स्पॉट प्राइस पूरी दुनिया में सेम होता है. सच में कियोसाकी और टेड को गोल्ड के बारे में रत्ती भर भी पता नहीं था. अगर वो औरत उन्हें गोल्ड के नाम पर गोल्ड पेंट करके गोबर भी बेच देती तो भी उन्हें कुछ पता नहीं चलता. ये किस्सा भी कियोसाकी की उन गलतियों में से एक है जिनसे उन्होंने सबक सीखा. उनका मानना है कि हमारे असली टीचर वो नहीं होते जो हमें स्कूल या यूनिवर्सिटी में पढ़ाते है बल्कि हमारे असली टीचर वो गलतियां है जो हम लाइफ में करते है.

कियोसाकी के पूअर डैड बेहद पढ़े-लिखे इंसान थे. उन्होंने स्टैंफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढाई की थी और
एजुकेशन में पी.एच.डी की डिग्री ली थी. बाद में वो हवाई में एजुकेशन डिपार्टमेंट के हेड बने. पूअर डैड
कहते थे कि गलतियों का मतलब है इग्नोरेंस यानी अज्ञान होता है. जैसे स्कूल में एक्जाम देते वक्त हमें
में गलतियां करने से बचना चाहिए. इसके उल्टा रिच डैड का एजुकेशनल बैकग्राउंड कुछ ख़ास नहीं था, लेकिन इसके बावजूद वो एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन थे. रिच डैड का कहना था कि गलतियां ही लोगों को सीखने का मौका देते है. उन्होंने कियोसाकी से कहा था “तुम सिर्फ बुक्स पढ़कर एक वर्ल्ड क्लास golfer नहीं बन सकते. चाहे आपने कितने भी शॉट्स मिस किए हो तो भी आपको लगातार प्रैक्टिस करनी होगी. आख़िरकार आप अपनी गलतियों से सीख ही लोगे और एक एक्स्ट्राऑर्डिनरी golfer बनकर दिखा पाओगे.

कियोसाकी के पूअर डैड बेहद पढ़े-लिखे इंसान थे. उन्होंने स्टैंफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढाई की थी और
एजुकेशन में पी.एच.डी की डिग्री ली थी. बाद में वो हवाई में एजुकेशन डिपार्टमेंट के हेड बने. पूअर डैड
कहते थे कि गलतियों का मतलब है इग्नोरेंस यानी अज्ञान होता है. जैसे स्कूल में एक्जाम देते वक्त हमें
गलतियां करने से बचना चाहिए. इसके उल्टा रिच डैड का एजुकेशनल बैकग्राउंड कुछ ख़ास नहीं था, लेकिन इसके बावजूद वो एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन थे. रिच डैड का कहना था कि गलतियां ही लोगों को सीखने का मौका देते है. उन्होंने कियोसाकी से कहा था “तुम सिर्फ बुक्स पढ़कर एक वर्ल्ड क्लास golfer नहीं बन सकते. चाहे आपने कितने भी शॉट्स मिस किए हो तो भी आपको लगातार प्रैक्टिस करनी होगी. आख़िरकार
आप अपनी गलतियों से सीख ही लोगे और एक एक्स्ट्राऑर्डिनरी golfer बनकर दिखा पाओगे. अपनी गलतियों से सबक लेकर ही इंसान अमीर और सक्सेसफुल बन सकता है.”

FAKE – Fake Money, Fake
Teachers, Fake Assets- H…
Robert Kiyosaki
In God We Trust: Who Has Earned
Your Trust?

अगस्त 1971 में प्रेसिडेंट निक्सन ने अनाउंस किया कि यूएस डॉलर अब गोल्ड में कन्वर्ट नहीं किया जाएगा.
ये भी कहा कि ये फैसला तभी तक लागू होग जब तक कि इकॉनोमी रिकवर नहीं करती. जुलाई
1974 में यूएस congress ने निक्सन के खिलाफ महाअभियोग यानी अविश्वास के केस को पास किया
कि उन्होंने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है और न्याय के रास्ते में रुकावट डालने की कोशिश की है. निक्सन के ऊपर वॉटरगेट स्कैंडल में शामिल होने का मुकदमा दायर किया गया था.
अगस्त 1974 में निक्सन ने यूएस के प्रेसिडेंट की पोस्ट से इस्तीफ़ा दे दिया. इसके एक महीने बाद नए प्रेसिडेंट ने निक्सन के नाम एक माफ़ीनाम लिखा और प्रेसिडेंट की पोस्ट पर रहते हुए निक्सन पर जितने भी घोटाले और अपराध करने का आरोप था, उन सबसे उन्हें बरी कर दिया. तब से लेकर आज तक यूएस के किसी प्रेसिडेंट ने वापस यूएस डॉलर को गोल्ड का दर्जा नहीं दिया यानि जो फैसला कभी टेम्परेरी हुआ करता था, वो अब परमानेंट हो गया था. वो अब परमानेंट हो गया था.

यूएस डॉलर बिल्स यानी नोट पर ये शब्द लिखे हुए है इन गॉड वी ट्रस्ट” यानी हम भगवान पर भरोसा करते
हैं, लेकिन भला लोगों को भगवान पर भरोसा करने को क्यों बोला जा रहा है? क्या ये उस फ़ेंक मनी की
वजह से ही है जो अमीर को और अमीर और गरीब को और गरीब बना रही है या फिर उन अमीरों की
वजह से जो हमारी सोसाईटी में ये सिस्टम मेंटेन करते है? तो कहने का क्या मतलब है? गोल्ड और सिल्वर
भगवान का पैसा है और डॉलर, पीसो और बाकि करंसी गवर्नमेंट का पैसा है. बिटकॉइन, एथेरियम वगैरह लोगों का पैसा है. गोल्ड का एटोमिक नंबर 79 है और सिल्वर का एटोमिक नंबर है 47. गोल्ड और सिल्वर दो ऐसे मेटल है जो धरती पर काफी पुराने समय से पाए जाते रहे है और तब तक पाए जाते रहेंगे जब तक कि ये दुनिया खत्म नहीं हो जाती. माना जाता है कि दुनिया में सबसे पहले पेपर मनी का इस्तेमाल चाइना में हुआ था, टैंग डायनेस्टी के दौरान.

ये लगभग 618 से 907 AD के बीच की बात है. कई सदियों के बाद लगभग 17वी सदी के आस-पास यूरोप
के कुछ देशों में पेपर मनी का इस्तेमाल शुरू हुआ. लेकिन चाइना में जब एलीट क्लास ने नए-नए
monument बनाने और जंग लड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा फ़ेक मनी प्रिंट करवाना शुरू किया
तो चाईनीज़ एम्पायर गिरने की कगार पर पहुँच गया था. वहीँ दूसरी तरफ रोमन्स अभी गोल्ड और सिल्वर
कोइंस ही यूज़ कर रहे थे. फ़ेक मनी बनाने के लिए लोग कोइंस यानी सिक्कों के कोने “काट
करते थे. बाद में रोमन्स ने गोल्ड और सिल्वर कोइंस को debase करके यानी उसकी वैल्यू घटाकर और
ज्यादा फ़ेक मनी क्रिएट की. debase करने का मतलब है प्योर गोल्ड या सिल्वर में कॉपर या निकल
जैसे बेस मेटल्स की मिलावट करना.

1965 में यूएस गवर्नमेंट ने भी अपने सिल्वर कोइंस डीबेस करना स्टार्ट कर दिया. इसीलिए उनके सिल्वर
कोइंस के किनारों पर कॉपर का रंग नज़र आता है. इसी दौरान कियोसाकी ने अपने होम टाउन हवाई के
बैंक में जाकर अपने डॉलर बिल्स को डाइम्स और quarter में एक्सचेंज करने की कोशिश की.
वो जब घर गए तो उन्होंने असली चांदी के सिक्के और जिनके किनारे पर कॉपर लगा था उन सिक्कों
को छांट-छांट कर अलग किया. कियोसाकी ने डीबेस्ड सिक्के बैंक को वापस किए और उन्हें भी एक्सचेंज
करवा लिया. जल्द ही उनके पास असली चांदी के सिक्कों का ढेर हो गया.
ऐसा लगता था जैसे दुनिया के दूर-दराज़ हिस्सों में रहने वाले लोगों को हम मॉडर्न लोगों से ज्यादा गोल्ड और सिल्वर की पहचान है. आखिर हमारे नैचुरल इंस्टिंक्ट को क्या हो गया है कि हम भगवान का पैसा भी नहीं पहचान पा रहे ? हम अमीरों की बात का यकीन क्यों करे, सिर्फ इसलिए कि उन्होंने डॉलर्स पर “इन गॉड वी ट्रस्ट’ लिखवाया है? क्यों हम उनका यकीन करे जिन्हें हम जानते तक नहीं ?
जब गवर्नमेंट जितना मर्जी चाहे पेपर मनी प्रिंट करने लगती है तो उसकी वैल्यू कम होती जाती है. वर्ल्ड वॉर 1 के बाद जर्मनी में वीमर रिपब्लिक ने अपनी इकॉनोमी को ऊपर उठाने के लिए कई बिलियन फ़ेक मनी प्रिंट किए थे. एक यूएस डॉलर 4.2 Deutsche Mark के बराबर था. पेपर मनी की इतनी भरमार हो गई थी कि बच्चे सडकों पर नोटों के बंडल से खेलने लगे थे.

फ़ेडरल रिजर्व इकॉनोमिक डेटा के हिसाब से यूएस गवर्नमेंट ने 2008 के रियल एस्टेट क्रैश के बाद
ट्रिलियन डॉलर फ़ेक मनी प्रिंट करवाई थी. क्या इससे ये समझे कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है ?
आख़िरकार सारी पेपर मनी अपनी असली वैल्यू पर वापस आ जाएगी यानि जीरो तक. बात अगर पैसे की
हो तो क्या आप अभी भी “भगवान पर भरोसा” रखेंगे?

FAKE – Fake Money, Fake
Teachers, Fake Assets- H…
Robert Kiyosaki
Practical Reasons I Own Real Gold and Silver

यहाँ कुछ प्रेक्टिकल कारण है कि क्यों रॉबर्ट कियोसाकी के पास गोल्ड और सिल्वर है. उन्होंने
कभी नहीं कहा कि वो गोल्ड और सिल्वर में इन्वेस्ट या ट्रेड करते है क्योंकि किसी चीज़ का मालिक होने में
और उसे इन्वेस्ट या ट्रेड करने के बीच बहुत फ़र्क होता है. गोल्ड और सिल्वर को लेकर कियोसाकी का पहला कारण है इंश्योरेंस. वो पैसे कमाने के लिए गोल्ड या सिल्वर नहीं लेते बल्कि वो इसे अमीरों और उनकी खुद की बेवकूफी के खिलाफ एक इंश्योरेंस की तरह समझते है. सच कहें तो रॉबर्ट को अमीरों पर भरोसा ही नहीं है. बाकि अमीर सोचते हैं कि उन्हें सब कुछ पता है. उन्हें लगता है कि वो हमेशा सही होते है इसलिए वो कभी मान ही नहीं सकते कि उनसे भी गलती हो सकती है.

अमीर बड़े ही प्रोटेक्टेड दुनिया में रहते है. उनके बच्चे सेम अमीर स्कूलों या कॉलेज में पढ़ते है और
उनका सोशल सर्कल आपस में ही सीमित होता है. उन्हें लगता है कि वो दुनिया के लोगों की भलाई
कर रहे है लेकिन असल में वो आम लोगों से बहुत दूर होते है. ये अमीर बड़े-बड़े चैरिटी इवेंट्स करते है.
उन्हें आम जनता की नज़र में अच्छा दिखना होता है, अपनी एक इमेज़ मेंटेन करनी होती है इसलिए ऐसे
सोशल इवेंट्स के जरिए वो गरीबों को बचाने के नाम पर लाखों-करोड़ों की फंडिंग इकट्ठा करते हैं, लेकिन
कोई ये तो बताए कि गरीबों को इनके हाथ से कौन बचाएगा? ये अमीर पैदाईशी अमीर और बहुत एजुकेटेड होते है. उन्होंने ऐसा सिस्टम बना रखा है जो उन्हें और भी अमीर बनाता जाता है. अब उनके इस सिस्टम की
वजह से आम जनता अगर पिसती है तो पिसे उन्हें क्या फर्क पड़ता है.
जैसा कि स्टीव ब्रिल ने अपने आर्टिकल में लिखा है, एलीट्स की पहुँच कानून से भी ऊपर है. वो अपने
लिए बेस्ट लॉयर्स हायर कर सकते है जो उन्हीं के साथ अमीर स्कूलों में पढ़े होते है यानि अमीर आदमी अगर गरीब की जिंदगी से खिलवाड़ भी करे तो उसे कोई सज़ा नहीं होगी क्योंकि कानून उसकी मुट्टी में है. आप जानते है अमीर गरीबों की जिंदगी से कैसे खेलते है? फाईनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स क्रिएट करके जैसे डेरीवेटिव्स, क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप्स और मॉर्गेज बैक्ड सिक्योरीटीज़.

कियोसाकी का कारण नंबर 2 है कि गोल्ड और सिल्वर में जीरो रिस्क है. गोल्ड और सिल्वर के
प्राइस इसीलिए ऊपर-नीचे होते है क्योंकि पेपर मनी ऊपर-नीचे होता है. जब आप किसी स्टॉक में इन्वेस्ट
करते हो तो आप ROI यानि इन्वेस्टमेंट पर return की उम्मीद करते हो क्योंकि आप अपने पैसे के साथ
रिस्क ले रहे हो. लेकिन कियोसाकी कभी भी अपना गोल्ड या सिल्वर ट्रेड नहीं करते. वो बस उसे खरीदते
है और दूर देशों के प्राइवेट बैंक में जमा करके रख देते है. जैसे वॉरेन बफेट हमेशा के लिए अपने स्टॉक्स होल्ड करके रखते है कियोसाकी भी अपने गोल्ड और सिल्वर को हमेशा के लिए होल्ड करके रखते है.
आप शायद यकीन ना करे पर असल में बैंक्स रिस्की होते है. कियोसाकी भी पहले अपने बिजनेस कैपिटल
के लिए शोर्ट टर्म कैश बैंक में जमा किया करते थे. लेकिन वो अपनी लॉन्ग टर्म वेल्थ कभी बैंक में जमा
नहीं करवाते.

बैंक्स असल में चाहते है कि लोग उनसे लोन ले और क्रेडिट कार्ड यूज़ करे. सेविंग करने वालों से उन्हें कोई
कमाई नहीं होती. असल में बैंक की असली कमाई borrowers यानि उधार लेने वालों से होती है. 2008 के रियल एस्टेट क्रैश में यही तो हुआ था. सबप्राइम borrowers या गरीब और मिडल क्लास अमेरिकंस घर खरीदने के लिए बैंक से पैसा उधार लिया था जो वो असल में अफोर्ड नहीं कर सकते थे. बैंक ने उन्हें ख़ुशी-ख़ुशी लोन दे दिया था और इन्वेस्टमेंट बैंक्स को मॉर्गेज बेच दिया था. फिर इन्वेस्टमेंट बैंक्स ने इन हजारों सबप्राइम loans को पैकेज़ करके उन पर मॉर्गेज backed सिक्योरिटी का लेबल लगा दिया. उन्होंने इन MBS को गवर्नमेंट, पेंशन प्लान, इन्वेस्टमेंट फंड्स और बाकि भोले-भाले लोगों को बेच दिया था.
हर किसी को सिक्योरिटी की फीलिंग देने के लिए अमीरों ने इंश्योरेंस policy या क्रेडिट कार्ड स्वैप्स
खरीद लिए. वो इसलिए अमीर होते गए क्योंकि वो हर जगह से फीस कलेक्ट करते है. और फिर जब इन सबप्राइम borrowers लोन नहीं चुका पाए तो सब कुछ डूब गया. इस चक्कर में लाखों अमेरिकंस ने अपना घर-बार, नौकरी, जमा- पूँजी और अपना फ्यूचर खो दिया. अभी कुछ ही सालों पहले तक US गवर्नमेंट कर्जे में डूबी हुई थी और टैक्सपेयर्स अभी तक अपनी जेब से बैंकर्स के बोनस भर रहे है.

लेकिन इतना सब होने के बावजूद किसी को कोई सज़ा नहीं मिली. अमीर और ज्यादा अमीर होता जा रहा
है, रियल एस्टेट ब्रोकर्स, मॉर्गेज ब्रोकर्स, इन्वेस्टमेंट बैंकर्स और वॉल स्ट्रीट के एलीट्स, ये वो लोग है जो
इतना सब कुछ करने के बाद भी पकड़े नहीं गए और सारा पैसा भी हडप गए. अब ये डेरीवेटिव्स आखिर क्या चीज़ है? हम इसे एक example से समझने की कोशिश करेंगे. मान लो आपके पास एक संतरा है. आप जब इस संतरे का आधा हिस्सा निचोड़ोगे तो जूस निकलेगा. असल में ये जूस ही इस संतरे का डेरीवेटिव है और जब इस जूस से पानी अलग करने के बाद जो बचेगा वो है concentrated संतरे का जूस यानि संतरे का
एक और डेरीवेटिव. मॉर्गेज बैक्ड सिक्योरिटी और क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप्स पब्लिक के पैसे से बनाए गए डेरीवेटिव है. जब लोग अपने होम लोन का पैसा नहीं चुका पाते हैं तब अमीर बहुत पैसा कमाता है. पहले भी यही होता था और आज भी यही हो रहा है. कहीं कुछ नहीं बदला. जिन अमीरों की वजह से 2008 का क्रैश हुआ था वो आज भी उसी तरह फाईनेंशियल डेरीवेटिव्स बनाते जा रहे है.

क्या आपको लगता है कि आपकी सेविंग बैंक में सेफ है? यूएस गवर्नमेंट FDIC या Federal Deposit Insurance Corporation के ज़रिए बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरंस कमाती है. FDIC $250,000 तक का इंश्योरेंस देती है. मान लो अगर बैंक कभी दिवालिया हो जाए तो आपका पैसा तब भी बचा रहेगा लेकिन उसी सूरत में जब वो अमाउंट $250,000 के बराबर या उससे कम हो. अगर आपकी सेविंग्स $1 मिलियन है तो बैंक इसका सिर्फ एक चौथाई की लौटा पाएगा. कियोसाकी बैंक या गवर्नमेंट पर भरोसा नहीं करते इसलिए वो अपना गोल्ड और सिल्वर प्राइवेट गार्ड की निगरानी में प्राइवेट तिजोरी में रखना पसंद करते है. एक बार कियोसाकी सिंगापुर के एक प्राइवेट वॉल्ट यानी तिजोरी में गए जहाँ उन्होंने देखा कि मेन एअरपोर्ट के साथ-साथ प्राइवेट रनवे पर एक प्राइवेट जेट उतरा. दो हथियारबंद गार्ड्स जेट के पास गए और प्लेन के अंदर से लॉक हुए स्टील के बॉक्स निकाले.

उन्होंने कुछ पेपर्स साईंन किए और उन बॉक्स को प्राइवेट वॉल्ट में लेकर गए और वो जेट अपना इंजिन
बंद किए बगैर ही जैसे आया था वैसे ही वापस उड़ गया. आपका घर एक asset है फाइनारायल प्लानस अपने क्लाइंट्स को कहते है “आपका रिटायरमेंट फंड एक asset है”. अब आप ही सोचो क्या ये वाकई में सच है?

चलो एक सिंपल डायग्राम की मदद से इस कीचड़ के पानी को साफ़ करते है, फिर आपको पता चल जाएगा
कि आपका पैसा असल में कहाँ जा रहा है. इमेजिन करो दो रेक्टेंगल है. जो एक के ऊपर एक है. इनमें से
पहला वाला रेक्टेंगल एक portrait ओरिएंटेशन है. ये दो हिस्सों में बंटा है. इसके ऊपर वाले पार्ट में
इनकम है और नीचे वाले पार्ट में एक्स्पेंसेस. जो दूसरा रेक्टेंगल है वो एक लैंडस्केप ओरिएंटेशन है.
ये भी दो हिस्सों में बंटा है. इसका लेफ्ट साइड एसेट्स के लिए है और राईट साइड liabilities के लिए. अब
पहला रेक्टेंगल आपका इनकम स्टेटमेंट है और दूसरा रेक्टेंगल आपका बैलेंस शीट.
तो अब हम कैश फ्लो देखेंगे. जो टैक्स आपकी इनकम से कटता है वो आपका एक्स्पेंस हो गया. ये
पहले रेक्टेंगल के नीचे वाले पार्ट में आएगा. आपका रिटायरमेंट फंड या 401 (k ) जो US में asset के
रूप में लिस्टेड है. ये दूसरे रेक्टेंगल के लेफ्ट साइड में आता है. आपका घर जो लोन पर है वो लायबिलिटी पढाई पर कोई कंट्रोल ही नहीं है. वो भी कियोसाकी के टीचर की तरह एक गवर्नमेंट एम्प्लोई थे. इसलिए उनकी तरह ही हम में से ज़्यादातर लोग नहीं जानते कि इनकम और एक्सपेंस के बीच क्या फर्क होता है. asset और लायबिलिटी किसे कहते है या कैश और फ्लो क्या होता है. हम में से ज्यादातर लोगों का फाईनेंशियल आईक्यू ना के बराबर होता है. लेकिन आप इस चैप्टर में एक सिंपल टूल के बारे में सीखोगे जो आपकी लाइफ बचाने में मदद कर सकता है.

Asset वो होता है जो आपको कमाई करके देता है और लायबिलिटी उसे कहते है जिस पर आपके पैसे
खर्च होते है. 2008 के क्रैश में ना जाने कितने लोगों का घर-बार चला गया क्योंकि उन्हें लगता था कि उनका घर एक asset है. लेकिन सच तो ये है कि उनका घर एक लायबिलिटी था क्योंकि घर की वजह से पैसा उनकी पॉकेट से बाहर जा रहा था. रियल एस्टेट ब्रोकर्स घर खरीदने वालों से कहते है “आपका घर एक asset है”. फाईनेंशियल प्लानर्स अपने क्लाइंट्स को कहते है 


आप गवर्नमेंट को टैक्स देते हो. आपका रिटायरमेंट फंड वॉल स्ट्रीट को जाता है और आपके घर का लोन
बैंक को जाता है. कुल मिलाकर आपका सारा पैसा एक एसेट तो है पर आपके लिए नहीं बल्कि गवर्नमेंट, वॉल स्ट्रीट और बैंक्स के लिए है. और इसी बीच अमीर यानि एलीट्स का बहुत अलग इनकम स्टेटमेंट और बैलेंस शीट होता है. टैक्स और डेट उनके एसेट है. वो अपना पैसा वापस इंवेस्ट करते है और बदले में और पैसा कमाते है. 4 ऐसे बड़े कारण है कि क्यों ज्यादातर लोग अमीर नहीं होते –
पहला, बच्चों को ये सिखाया जाता है कि गलती करना उन्हें स्टुपिड बनाता है. स्टूडेंट्स को स्कूल में
गलती करने से रोका जाता है लेकिन असली ज़िंदगी में गलतियां अमीरों को और अमीर बना रही है.
एंटप्रेन्योर्स और इन्वेस्टर्स अपनी गलतियों से ही सीखते है.
दूसरा, स्टूडेंट्स को बताया जाता है कि चीटिंग करना बुरी बात है. वो एक्जाम के दौरान अपने क्लासमेट्स की हेल्प नहीं ले सकते. लेकिन असली जिंदगी में चीटिंग का मतलब है हेल्प माँगना बिजनेस और इन्वेस्टिंग टीम्स बनाकर ही की जाती है. अमीर लोग सक्सेसफुल होने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाते है और साथ मिलकर काम करते है जबकि एवरेज इंसान अकेला काम करता है. एक एइम्पोई जो इन्वेस्ट करना चाहता है, हो सकता है कि उसके पास कोई फाईनेंशियल एडवाईजर या स्टॉक ब्रोकर हो जो उसे एडवाईस दे सके. लेकिन असल में ये एडवाईज कोई फाईनेंशियल एजुकेशन नहीं होती है बल्कि एक सेल्स पिच होती है.

तीसरा, डेट या लोन अमीरों को अमीर बनाती है. आपको डेट से छुटकारा पाना होगा. बैंकर्स लोगों को
लोन लेने के लिए कहते है क्योंकि इससे उनकी कमाई होती है. आप कार लोन, क्रेडिट कार्ड लोन या होम लोन के तौर पर अच्छा-ख़ासा इंटरेस्ट पे करते हैं. आपका यही उधार जो आपके सिर पर बोझ है वही अमीरों के लिए एक एसेट और पैसे कमाने का जरिया बन जाता है.
चौथा, ये एक सच्चाई है कि अमीर आदमी कभी टैक्स पेयर नहीं होता. इस बुक का ये आईडिया सबसे ज्यादा चौंकाने वाली पार्ट है लेकिन क्या आपने कभी रॉबर्ट कियोसाकी की रिच डैड पूअर डैड पढ़ी है? उसमें एक कांसेप्ट है जिसे Cashflow Quadrant कहते है.

 एक पेपर पर एक क्रॉस इमेजिन करो. इसका हर सेक्शन चार तरह के लोगों को दिखाता है. ये है
एम्प्लोई, सेल्फ एम्प्लोएड, बिजनेस ओनर और इंवेस्टर. एम्प्लोई 40% टैक्स देते है. सेल्फ एम्प्लोएड
प्रोफेशनल्स जैसे कि डेंटिस्ट वगैरह 60% टैक्स देते है. वहीँ बिजनेस ओनर्स करीब 20% टैक्स भरते है और
इन्वेस्टर्स 0% टैक्स पे करते है. पूरी दुनिया में टैक्स लॉ लगभग सेम ही है. बिजनेस ओनर्स और इन्वेस्टर्स कम टैक्स भरते है क्योंकि वो वही करते है जो गवर्नमेंट करवाना चाहती है. गवर्नमेंट बिजनेस और इन्वेस्टर्स को टैक्स इंसेंटिव देते है. जैसे example के लिए अगर आप एक एम्प्लोई है तो आपको कोई टैक्स ब्रेक नहीं मिलेगा, लेकिन अगर आपका अपना बिजनेस है जो Amazon की तरह हज़ारों जॉब्स प्रोवाइड करता है तो शहर आपको बिग टैक्स ब्रेक्स ऑफर करेगी. वो चाहेंगी कि आप उनके शहर में भी अपना बिजनेस शुरू करें क्योंकि आप उन्हें अपोर्च्यूनिटीज़ दे रहे है. यही वजह है कि गवर्नमेंट आपको ऑफिस खोलने के एवज़ में टैक्स में छूट देती तो देखा आपने, ये उतना कॉम्प्लीकेटेड भी नहीं है. नहीं है ना? आपको ये सारे कॉन्सेप्ट समझने के लिए स्टॉक ब्रोकर बनने की जरूरत नहीं है, रियल फाइनेंसियल एजुकेशन सिम्पल है. अमीर बस इसे थोडा कॉम्प्लीकेटेड बना देते है, वो पानी को इतना मैला कर देते है ताकि वो बेशुमार मछलियाँ पकड़ सके.

लाखों लोग जॉब करने के लिए पढाई करते है, टैक्स पे करते है, घर खरीदते है, स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते है और इस तरह से अमीर सारा पैसा अपनी जेबों में भर लेते है. तो अगर आपको इस एम्प्लोई और सेल्फ एम्प्लोएड वाले हिस्से से बाहर निकलना है तो आपको गलतियां करने के लिए तैयार रहना होगा, अपने एक्सपीरिएंस से सीखो और याद रखो कि बिजनेस एक टीम वर्क है

आप ऐसे लोगों के साथ टीम बना सकते हो जिनके विज़न आपसे मिलते हों. उन एंटप्रेन्योर्स के बारे में सोचो जिन्होंने आज की सबसे सक्सेसफुल कंपनियाँ खड़ी की हैं. उनमें से कुछ के नाम है बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स, हेनरी फोर्ड, वॉल्ट डिज़्नी, रिचर्ड ब्रैंसन इन सबमें एक बात कॉमन है, इन्होने अपनी पढाई पूरी नहीं की, लेकिन इसके बावजूद इनके पास ऐसी असली फाईनेंशियल एजुकेशन थी जिसके दम पर इन्होने इतना बड़ा बिजनेस एम्पायर खड़ा कर दिया.

FAKE – Fake Money, Fake
Teachers, Fake Assets- H…
Robert Kiyosaki
Retirement Funds

1974 में रॉबर्ट कियोसाकी मरीन कॉर्स से डिसचार्ज हुए, उन्होंने पूरे नौ साल मिलिट्री में सर्विस की थी.
लेकिन पूअर डैड कियोसाकी के डिसीजन से खुश नहीं थे. उनका सपना था कि उनका बेटा मरीन कॉर्स में
अगले दो दशक तक जॉब करे और रिटायरमेंट के बाद एक आरामदायक जिंदगी बिताए. कियोसाकी की फेमिली में दोनों साइड में ऐसे रिश्तेदार थे जो सालों-साल गवर्नमेंट जॉब करने के बाद बड़े
आराम से रिटायरमेंट की जिंदगी जी रहे थे कियोसाकी के दो अंकल थे जो उनकी माँ के साइड्स से थे, हवाई
में फायर डिपार्टमेंट में जॉब करते थे. वो लोग 20 साल तक जॉब करने के बाद अब पेंशन लेते थे. उनके
अंकल जो अभी 40 के ही थे, रिटायर होने के बाद भी उन्हें काम करने की जरूरत नहीं थी. वो अपने खाली
टाइम में या तो फिशिंग करते या golf खेलने चले जाते थे. लेकिन जैसा कि हमने पहले भी बताया है कि प्रेसिडेंट निक्सन ने US डॉलर से गोल्ड का वैल्यू हटा दिया सैन डियागो शहर के पास अपने एक्टिव और रिटायर्ड एम्प्लोईज़ को देने के लिए $6.25 बिलियन पैसे कम पड़ रहे है. न्यू जर्सी स्टेट के पास $90 बिलियन वैल्यू के अनफंडेड पेंशन पड़े है. यूएस की सोशल सिक्योरिटी एंड मेडिकेयर में ट्रिलियन डॉलर की अनफंडेड liabilities है.

यहाँ तक कि यूरोप में भी यही हाल है. यूके के पास ट्रिलियन पाउंड्स की अनफंडेड पेंशन है. स्पेन में
सोशल सिक्योरिटी रिज़र्व फंड को काफी बड़ी संख्या में गवर्नमेंट बांड्स में इन्वेस्ट किया गया था जिसका
return है नेगेटिव 0.19%. ये एक बहुत बड़ी चूक थी. इटली भी एक ऐसा एक्टिव टाइम bomb बन
चुका है जो किसी भी वक्त फट सकता है, तब तो सिचुएशन को कंट्रोल करना और भी मुश्किल हो
जाएगा और दुनिया की सारी फाईनेंशियल मार्केट्स पर इसका सीधा असर पड़ेगा. जुलाई 27, 2018 में रायटर्स (Reuters) में एक आर्टिकल छपा था जिसमें एक फैक्टरी वर्कर roberta डेल के बारे में बताया गया था. roberta 46 सालों से एक ही कंपनी में काम करती आ रही थी. ये एक फेमिली बिजनेस था जिसका नाम था Spangler Candy Company जो ओहायो में था. यहाँ roberta लॉलीपॉप और कैंडी बनाने का काम करती थी और उसे अपना काम बेहद पसंद था.

लेकिन रिटायरमेंट के बाद उसे कोई पेंशन नहीं मिलने वाली थी. सेंट्रल स्टेट्स पेंशन फंड जो उसकी कंपनी
ने 1972 में ज्वाइन की थी, 10 सालों में बंद होने वाली थी. ये पेंशन फंड एक मल्टी-एम्प्लोयर फंड था
यानि इसके अंडर कई कंपनियाँ साथ मिलकर अपने एम्प्लोईज़ का रिटायरमेंट प्लान फंड करती थी. सेंट्रल
स्टेट्स 400,000 एम्प्लोईज का रिटायरमेंट फंड कवर करता था जो रिटायर हो चुके थे या roberta
की तरह एक्टिव वर्कर थे. लेकिन फाईनली जब ये सारा सिस्टम दिवालिया होने की कगार पर पहुँचा तो
400,000 लोगों की गाढ़ी मेहनत की कमाई डूब गई. Roberta को उम्र भर यही लगा कि रिटायरमेंट
के बाद उसे जो पेंशन मिलेगी उससे वो आराम की जिंदगी गुजारेगी. ये पैसा ही उसकी सारी जमा-पूँजी
थी, लेकिन उसे क्या पता था कि उसके साथ बहुत बड़ा धोखा होने वाला है.

ओहायो में congress कमीटी की तहकीकात के दौरान ये खुलासा हुआ कि करीब 1400
मल्टी-एम्प्लोयर ऐसे पेंशन प्लान है जो 10 मिलियन से ज्यादा रिटायर्ड लोगों को कवर करते है. हालाँकि इनमें से 200 पेंशन प्लान सेंट्रल स्टेट की तरह बुरी तरह से अंडरफंडेड थे. ये सब 2000 और 2008 के स्टॉक
मार्केट क्रैश का नतीजा था. ऊपर से एक और मुसीबत ये थी कि पेंशन बेनेफिट गारंटी corporation यानि PBCC जो इन मल्टी-एम्प्लोयर पेंशन्स प्लान को इंश्योरेंस देती थी, वो भी आने वाले एक दशक के अंदर बंद होने वाली थी. PBCC एक गवर्नमेंट एजेंसी है जो स्ट्रगलिंग पेंशन प्लान को बैकअप देने का काम करती है. लेकिन अब जबकि ये खुद ही दिवालिया होने की कगार पर है, शेयर बाजार में क्रैश के कारण यह अगले कुछ सालों में दिवालिया भी हो जाएगा. Roberta 65 साल की विधवा औरत थी. उसके पति
भी पहले उसी कंपनी में काम किया करते थे जिसमें वो करती है. roberta के रिटायरमेंट में कुछ साल ही
बाकि थे जिसके बाद उसे $1,200 का पेंशन चेक और $1,400 की सोशल सिक्योरिटी मिलनी थी. लेकिन
अब जबकि पेंशन फंड बंद होने जा रही थी और यूएस की सोशल सिक्योरीटी अंडरफंडेड थी तो roberta को शायद को कुछ ना मिलने की उम्मीद थी. हो सकता है कि उसे कुछ भी ना मिले ना पेंशन ना सोशल सिक्योरीटी का पैसा.

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Robert Kiyosaki
Conclusion

तो इस समरी में सबसे पहले आपने फ़ेक मनी, फ़ेंक टीचर्स और फेड एसेट्स के बारे में जाना. पेपर मनी
फ़ेक मनी है क्योंकि इसे आप गोल्ड में कन्वर्ट नहीं कर सकते. अगर कोई मुसीबत आई तो गवर्नमेंट और
नोट छाप देगी. यहाँ तक कि हमारे टीचर्स और स्कूल भी फ़ेक है क्योंकि ये हमें फाईनेंशियल एजुकेशन
के बारे में कुछ नहीं सिखाते. अमीर लोगों ने हमारा एजुकेशन सिस्टम कुछ इस तरह बनाया है कि उनके
सिवा कोई और अमीर बन ही नहीं सकता. आपका घर गिरवी है, आपके स्टॉक्स, म्यूच्यूअल फंड्स, बैंक बेलेंस और रिटायरमेंट फंड सब कुछ फ़ेक एसेट्स है. स्टॉक मार्केट अगर कभी क्रैश हो गया तो ये सब एक झटके में उड़ सकता है.
दूसरी चीज़ आपने समझी कि गोल्ड और सिल्वर भगवान् का पैसा है. डॉलर और बाकि करंसी गवर्नमेंट
का पैसा है. आपने ये भी जाना कि चाईनीज़ elite क्लास ने monuments बनाने और जंग लड़ने
के लिए पेपर मनी प्रिंट करते थे. रोमन एलीट्स अपने गोल्ड और सिल्वर कोइंस में कॉपर और निकल की
मिलावट कर उसकी वैल्य को कम कर देते थे यएस गवर्नमेंट ने 2008 के क्रैश के बाद ट्रिलियन यानी खरबों नकली पेपर मनी प्रिंट करवाए थे. इससे ये सवाल दिमाग में आता है कि आखिर अमेरिकन्स को क्यों कहा गया कि “भगवान पर भरोसा करो”?

तीसरा आपने जाना कि क्यों कियोसाकी गोल्ड और सिल्वर जमा करके रखते है क्योंकि ये उनके मुताबिक़
एलीट्स की बेवकूफियों के खिलाफ एक इंश्योरेंस की तरह है. चाहे कैसा भी स्टॉक मार्केट क्रैश हो,
उनके गोल्ड या सिल्वर पर आंच तक नहीं आएगी क्योंकि कियोसाकी अपने गोल्ड या सिल्वर को ट्रेड या
इन्वेस्ट नहीं करते. साथ ही आपने डेरीवेटिव्स के बारे में समझा जैसे मॉर्गेज बैक्ड सिक्योरिटी और क्रेडिट
डिफ़ॉल्ट स्वैप्स. इन्वेस्टमेंट बैंक ये डेरीवेटिव्स क्रिएट करते है और फिर उन्हें गवर्नमेंट और पेंशन फंड्स को
बेच देते है और जब ये डेरीवेटिव्स एक्स्प्लोड हो जाते है तो गरीब और मिडल क्लास का सबसे ज्यादा नुकसान होता है.
चौथा, आपने ऐसे सिंपल टूल्स के बारे में जाना जो आपके जीवन को बचाने का काम करेंगे. ये है इनकम
स्टेटमेंट और बैलेंस शीट. एक rectangle इनकम स्टेटमेंट के लिए.इसका टॉप पार्ट इनकम और नीचे का हिस्सा एक्स्पेंसेस है. दूसरा rectangle बैलेंस शीट के लिए है, जिसके लेफ्ट साइड में एसेट्स और राईट साइड में liabilities है. इस diagram को पेपर पर draw करने के बाद भरो और तब आपको अपनी फाईनेंशियल सिचुएशन साफ़-साफ़ नज़र आएगी.

याद रहे एसेट्स आपको पैसा कमाकर देता है जबकि liabilities आपकी जेब ख़ाली करता है.
आपने ये भी समझा कि सक्सेसफुल लोग अपनी गलतियों से सीखते है और टीम में काम करते है. इसमें
कोई शर्म की बात नहीं है अगर आपसे गलती हुई है तो और ना ही दूसरों से मदद मांगना गलत बात है.
बड़े-बड़े बिजनेसमैन हमेशा ऐसी पार्टनरशिप करते है जिसमें उनका फायदा हो.
बिजनेस ओनर्स और इन्वेस्टर्स एम्प्लोईज़ और प्रोफेशनल्स के मुकाबले कम टैक्स पे करते है.
गवर्नमेंट कंपनियों को इसीलिए टैक्स ब्रेक देती है ताकि वो शहर में या स्टेट में और ब्रांच खोल सके. वो
इसलिए क्योंकि एंटप्रेन्योर या इन्वेस्टर लोगों को वो अपोर्च्यूनीटीज़ प्रोवाइड करते है जो गवर्नमेंट नहीं
कर पाती.

और लास्ट में आपने रिटायरमेंट फंड्स के बारे में जाना. अमेरिकन्स को ERISA और 401 (k)प्रोग्राम
के ज़रिए जबरदस्ती इन्वेस्टर बनने पर मजबूर किया जा रहा है. लेकिन उन्हें नहीं पता कि उनका पैसा
फंसने वाला है. कई पेंशन फंड्स अनफंडेड है. यूएस में सोशल सिक्योरिटी और मेडिकेयर में कई ट्रिलियन
डॉलर की अनफंडेड liabilities पड़ी है. इस मुसीबत की जड़ है 2000 का dot com क्रैश और
2008 का रियल एस्टेट क्रैश, जिसके बाद लाखों लोगों का घर – बार बिक गया और वो गरीबी की
जिंदगी जीने पर मजबूर हो गए. अब जब आपके पास सारी information है तो अब
आपका क्या प्लान है? खुद को एजुकेट करो अपनी , एक्स्पेंसेस, एसेट्स और liabilities के बारे
में और जानकारी हासिल करो. अपनी इनकम और बैलेंस शीट updated रखो. इनकम, जो चीज़ समझ ना आए उसमें कभी इन्वेस्ट मत करो. ब्रोकर्स और फाईनेंशियल एडवाईजर्स की बातों में कभी मत आना. उन्हें आपके पैसे से ज्यादा अपनी फीस की फ़िक्र होती है.

  • जो चीज़ समझ ना आए उसमें कभी इन्वेस्ट मत करो. ब्रोकर्स और फाईनेंशियल एडवाईजर्स की बातों में कभी मत आना. उन्हें आपके पैसे से ज्यादा अपनी फीस की फ़िक्र होती है. अगर आप एम्प्लोई या सेल्फ employed प्रोफेशन्ल हो तो एक एंटप्रेन्योर या इन्वेस्टर बनना आपका गोल होना चाहिए. खुद का बिजनेस होने का मतलब है कि आप सिर्फ पेचेक के भरोसे नहीं होते और ना ही आपको रिटायरमेंट फंड के लिए पे करने की जरूरत होती है. साथ ही गवर्नमेंट आपको टैक्स ब्रेक भी देती है और एक एंटप्रेन्योर बनकर आपका अपने पैसे के ऊपर पूरा कण्ट्रोल होता है. इस बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा किताबें पढो. सीखो कि कैसे आप स्मार्ट इन्वेस्टमेंट कर सकते हो. अपना एम्प्लोई वाला माइंडसेट चेंज करके एंटप्रेन्योर वाला माइंडसेट बनाओ. जिंदगी बहुत छोटी है इसलिए हम उम्मीद करते है कि आप जिन लोगों से प्यार करते हैं, उनके साथ आराम से रिटायरमेंट का मज़ा ले पाएँगे.

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