Business Adventures
John Brooks
परिचय Introduction
क्या आप जानते है ज़ेरॉक्स (Xerox) कम्पनी कैसे
शुरू हुई थी? कैसे स्टोक में प्राइस अप एंड डाउन होते
है? इनसाइडर ट्रेडिंग क्या चीज़ है? 1950 के टाइम
में फोर्ड मोटर्स फ्लॉप हो गयी थी, ये बात क्या आपको
मालूम है? क्या आपको जेर्नल इलेक्ट्रिक के स्कैम के
बारे में पता है? अगर आप ये सब नहीं जानते थे तो इस
बुक से जान जायेंगे. इसके ऑथर जॉन ब्रुक्स काफी
लम्बे टाइम से एक न्यू यॉर्कर कंट्रीब्यूटर रहे है जिन्होंने
बिजनेस और फाइनेंस में कई सारी बुक्स लिखी है. ये
बुक सबसे पहले 1969 में पब्लिश हुई थी. बिल गेट्स
ने कहा था कि जितनी भी बुक्स उन्होंने आज तक पढ़ी
है उनमें बिजनेस एडवेंचर्स अब तक की बेस्ट बुक है.
ज़िरोक्स (Xerox)
ज़िरोक्स इतनी स्कैसफुल हुई कि कॉपी करने का
दूसरा नाम ही ज़िरोक्स बन गया था. ज़ेरोक्स ने 19 वी
सेंचुरी के बिजनेस ट्रेंड को पूरी तरह अप्लाई किया था.
एक फेमिली ने इस कंपनी को शुरू किया था, ये एक
स्माल इन्वेस्टमेंट था, स्टार्टिंग में काफी मुश्किलें फेस
की, कंपनी का नाम क्लासिकल ग्रीक टाइप रखा गया,
और फिर कंपनी ने मार्किट में धूम मचा दी. लेकिन
और फिर कंपनी ने मार्किट में धूम मचा दी. लेकिन
जो चीज ज़िरोक्स को औरो से हटकर बनाती है वो है
उसकी कमिटमेंट, उसकी कोर्पोरेट रिसपोंसेबिलिटी.
1880 में अगर किसी लॉयर या बिजनेसमेन को किसी
डोक्यूमेंट की कॉपीज चाहिए होती थी तो उसका क्लर्क
हाथ से लिखकर कई सारी कॉपीज तैयार करता था.
फिर 1950 में टाइपराइटर्स और कार्बोन पेपर आया.
ऑफिस एम्प्लोयीज़ कार्बन पेपर रख के कॉपी कर लेते
थे या टाइप राइटर से कॉपीज तैयार कर लेते थे.
वैसे 1950 में तीन कॉपी मशीन मार्किट में रिलीज़ हुई
थी, थर्मो-फैक्स, ऑटोस्टेट और कोडक’स वेरीफैक्स.
लेकिन इन सबमें कोई ना कोई प्रॉब्लम थी. जैसे
कोडक’स वेरीफैक्स डम्प कॉपीज निकालता था जिसे
यूज़ करने से पहले ड्राई करना पड़ता था. और इसमें
एक स्पेशल पेपर ही यूज़ होता था जो कंपनी ही सप्लाई
करती थी. फिर ज़िरोक्स कारपोरेशन ने कॉपी मशीन
की दुनिया में एक ब्रेकथू किया, अपने टाइम की सबसे
बढ़िया और रिलाएबल कॉपी मशीन बनाकर. ये मशीन
जीरोग्राफी के प्रोसेस से परमानेंट, गुड क्वालिटी की
ड्राई कॉपीज प्रोड्यूस करती थी और वो भी ऑर्डिनरी
पेपर यूज़ करके.1966 में ज़िरोक्स कारपोरेशन की
सेल्स 500 मिलियन डॉलर तक पहुँच गयी थी.
ज़िरोक्स कोर्प का नाम पहले हैलॉइड कम्पनी थी. इसे
रोचेस्टर, न्यू यॉर्क (Rochester, New York) में
1906 में कंपनी की शुरुवात हुई थी. 1906 में हैलॉइड
सिर्फ फोटोग्राफिक पेपर बनाती थी. रोचेस्टर की बाकी
और फिर कंपनी ने मार्किट में धूम मचा दी. लेकिन
जो चीज ज़िरोक्स को औरो से हटकर बनाती है वो है
उसकी कमिटमेंट, उसकी कोर्पोरेट रिसपोंसेबिलिटी.
1880 में अगर किसी लॉयर या बिजनेसमेन को किसी
डोक्यूमेंट की कॉपीज चाहिए होती थी तो उसका क्लर्क
हाथ से लिखकर कई सारी कॉपीज तैयार करता था.
फिर 1950 में टाइपराइटर्स और कार्बोन पेपर आया.
ऑफिस एम्प्लोयीज़ कार्बन पेपर रख के कॉपी कर लेते
थे या टाइप राइटर से कॉपीज तैयार कर लेते थे.
वैसे 1950 में तीन कॉपी मशीन मार्किट में रिलीज़ हुई
थी, थर्मो-फैक्स, ऑटोस्टेट और कोडक’स वेरीफैक्स.
लेकिन इन सबमें कोई ना कोई प्रॉब्लम थी. जैसे
कोडक’स वेरीफैक्स डम्प कॉपीज निकालता था जिसे
यूज़ करने से पहले ड्राई करना पड़ता था. और इसमें
एक स्पेशल पेपर ही यूज़ होता था जो कंपनी ही सप्लाई
करती थी. फिर ज़िरोक्स कारपोरेशन ने कॉपी मशीन
की दुनिया में एक ब्रेकथू किया, अपने टाइम की सबसे
बढ़िया और रिलाएबल कॉपी मशीन बनाकर. ये मशीन
जीरोग्राफी के प्रोसेस से परमानेंट, गुड क्वालिटी की
ड्राई कॉपीज प्रोड्यूस करती थी और वो भी ऑर्डिनरी
पेपर यूज़ करके.1966 में ज़िरोक्स कारपोरेशन की
सेल्स 500 मिलियन डॉलर तक पहुँच गयी थी.
ज़िरोक्स कोर्प का नाम पहले हैलॉइड कम्पनी थी. इसे
रोचेस्टर, न्यू यॉर्क (Rochester, New York) में
1906 में कंपनी की शुरुवात हुई थी. 1906 में हैलॉइड
सिर्फ फोटोग्राफिक पेपर बनाती थी. रोचेस्टर की बाकी
सिर्फ फोटोग्राफिक पेपर बनाती थी. रोचेस्टर की बाकी
दूसरी कंपनीज की तरह हैलॉइड भी ईस्टमेन कोडक
(Eastman Kodak) की बदौलत चल रही थी.
लेकिन हैलॉइड कंपनी डिप्रेशन का टाइम सर्वाइव कर
चुकी थी. वर्ल्ड वॉर || के बाद कॉम्पटीशन काफी बड
गया था और लेबर कोस्ट भी. हैलॉइड (Haloid)
अब कुछ नए प्रोडक्ट बनाना चाहता था. क्वीन्स का
रहने वाला 32 साल का इन्वेंटर चेस्टर कार्लसन किसी
इलेक्ट्रोनिक कंपनी के पेटेंट डिपार्टमेंट में काम करता
था. चेस्टर अपने खाली टाइम में एक ऑफिस कॉपी
मशीन बनाने की कोशिश कर रहा था, 1938 में जाकर
वो सक्सेसफुल हुआ. इस मशीन को यूज़ करने पर
काफी स्मोक और बदबू आती थी लेकिन ये एक पेपर
से दुसरे पर “10-22-38 Astoria” टेक्स्ट कॉपी कर
लेता था. चेस्टर इस प्रोसेस को इलेक्ट्रोग्राफी बोलता
था जिसमे लाईट, हीट और इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज यूज़
होता था. चेस्टर अपने इस इन्वेंशन को पूरे पांच साल
तक लेके घूमा. जितनी भी ऑफिस इक्यूपमेंट बनाने
वाली कंपनीज थी, वो सबके पास गया. फाइनली
1944 में वो बटेल मेमोरियल इंस्टीटयूट (Battelle
Memorial Institute.) को कन्विंस करने में
कामयाब हो गया. चेस्टर अपने इनवेंशन के बदले
रॉयलटीज लेकर एक पोसिबल सेल या लाइसेंस देने के
लिए रेडी हो गया था.
A८
जोसफ विल्सन, हैलॉइड कंपनी के प्रेजिडेंट ने इस
कॉपी मशीन की पोटेंशियल देखि. हैलॉइड ने चेस्टर
कार्लसन के काम का फुल पेटेंट राईट ले लिया. कंपनी
ने मशीन के डेवलप प्रोजेक्ट का भी कवर ले लिया
था. इस कॉपी मशीन को डेवलप करने में हैलॉइड को
10 साल से ज्यादा लगे. और इस पर कंपनी ने 75
मिलियन डॉलर्स खर्च किये. फंडिंग के लिए विल्सन
और बाकी कंपनी एक्जीक्यूटिव्स ने कोम्पेंसेशंन के तौर
पर स्टोक लगा दिए थे. कुछ ने अपनी पर्सनल सेविंग्स
लगाई और कुछ ने अपना घर भी गिरवी रख दिया था.
1958 में हैलॉइड कंपनी ने अपना नाम चेंज करके In
1958, हैलॉइड ज़िरोक्स (Haloid Xerox.) रखा. ये
नाम एक तरह से ईस्टमेन’स कोडक की नकल जैसी थी
लेकिन ज़िरोक्स ट्रेडमार्क भी सेम वे में काफी पोपुलर
हुआ.
कॉपी मशीन की रिलीज़ से पहले कंपनी में काफी टेंशन
और नर्वसनेस थी लेकिन 1960 में आखिर ज़िरोक्स
चल पड़ी. ज़िरोक्स कॉपी मशीन काफी बड़ी सक्सेस
स्टोरी बनी, कंपनी के स्टोक प्राइस आसमान छू रहे
थे और जो भी इस कंपनी में इन्वेस्ट करता मालामाल
हो जाता था. 1967 में हैलॉइड ज़िरोक्स ज़िरोक्स
कॉर्पोरशन बन गया. कंपनी को वर्ड”ज़िरोक्स” के
राइट्स लेने पड़े क्योंकि अब ये वर्ड कॉमन लेंगुएज में
काफी यूज़ होने लगा था. इसका इन्वेंटर चेस्टर कार्लसन
फोर्चुन लिस्ट ऑफ़ रिचेस्ट पीपल में 66वे नम्बर
पर आ गया था. कंपनी के एक्जीक्यूटिव्स ने कम्पनी
पर आ गया था. कंपनी के एक्जीक्यूटिव्स ने कम्पनी
में अपना जो कुछ लगाया था वो उन्हें हज़ार गुना
वापस मिल गया था.. ज़िरोक्स की सक्सेस में सबसे
बड़ा रोल था उनके पर्पज का, जिसे एक्जीक्यूटिव्स”
ज़िरोक्स स्पीरिट” बोलते थे. क्योंकि कंपनी अपने
कस्टमर्स, एम्प्लोयीज़ और स्टोक होल्डर्स के लिए
अपनी रिसपोंसेबिलिटी समझती थी. लेकिन उससे भी
बढकर ज़िरोक्स के अंदर एक सोशल रिसपोंसेबिलिटी
की फीलिंग थी. 1965 से लेकर 1966 तक ज़िरोक्स
ने डिफरेंट चेरेटीज और यूनिवरसिटीज में ऑलमोस्ट
4मिलियन डॉलर्स डोनेट किये थे..
जोसफ विल्सन एक बड़े हम्बल और सॉफ्ट स्पोकन
इंसान है जो कम्पनी चलाने के साथ-साथ कम्यूनिटी
सर्विस में भी यकीन रखते है. कभी-कभी स्टोक होल्डर्स
कम्प्लेंट करते थे कि कंपनी उनका पैसा चेरिटीज में दे
रही है. यही नहीं ज़िरोक्स को अक्सर क्रीटीसाइज़ भी
किया जाता था क्योंकि ये सोशल इश्यूज पर स्टैंड लेती
रही है. लेकिन जोसफ विल्सन कहते है” यूनिवरसिटी
एजुकेशन, नीग्रो एम्प्लोयमेंट, और सिविल राइटर्स
जैसे इश्यूज हमारे अपने इश्यूज है, मुझे उम्मीद है कि
हम ऐसे ही हमेशा हिम्मत दिखाते रहेंगे उन इश्यूज पर
अपने पॉइंट ऑफ़ व्यू रखने के लिए जो हमे ठीक लगते
है, फिर चाहे लोग क्रीटीसाइज़ क्यों ना करे”
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John Brooks
अ रिजनेबल अमाउंट ऑफ़ टाइम (A
Reasonable Amount of Time)
इनसाइडर्स एट टेक्सास गल्फ सल्फर (Insiders
at Texas Gulf Sulphur)
टेक्सस गल्फ सल्फर स्कैम (The Texas
Gulf Sulphur scam ) इनसाइडर ट्रेडिंग
का एक क्लासिक केस है. एक बड़ी मिनरल
डिपोजिट(mineral deposit) की डिस्कवरी
होने के कंपनी एक्जीक्यूटिव्स ने टेक्सस के गल्फ के
स्टॉक खरीदने शुरू कर दिए. यही नहीं उन्होंने अपने
फ्रेंड्स और फेमिली मेम्बेर्स को भी इसमें पैसा इन्वेस्ट
करने को बोला. एस.ई.सी. (S.E.C.) के इस पर केस
फ़ाइल करने के बाद ये मामला काफी कंट्रोवरशियल
(controversial) हो गया था.
टैकसस गल्फ न्यू यॉर्क बेस्ड एक कंपनी है, सल्फर के
मार्किट वैल्यू कम होने की वजह से कंपनी बाकी दुसरे
मिनरल सोर्स की तलाश में थी. फिर ओंटारियो, कैनेडा
में कंपनी को एक माइनिंग ग्राउंड की ओनरशिप मिली
और उसने वहां पर डिगिंग शुरू करवा दी. किड-55
(The Kidd-55) वहां का एक पोपुलर माइनिंग
एरिया है, जहाँ गोल्ड का काफी बड़ा भण्डार माना
जाता है. रिचर्ड क्लेटन (Richard Clayton,)
और अगर किसी जगह में थोडा सा भी मिनरल
डिपोजिट मिले तो हाई चांसेस है कि जमीन के अंदर
और भी मिलेगा. फिर सवाल आता है कि उस जगह
पर कितना मिनरल डिपोजिट हो सकता है. तो टैक्सस
गल्फ इंजीनियर्स ने फर्स्ट होल से कई सारे होल्स के
पैटर्न्स बनाए. इन होल्स ने अर्थ को डिफरेंट एंगल्स पर
हिट किया जिससे वेंस की चौड़ाई भर गयी. जब ये सब
चल रहा था तो सुपीरियर्स आलरेडी अपने मूव प्लान
कर रहे थे. इंट्रेस्टिंग बात है कि 12 नवंबर को फोगार्टी ने
टैक्सास गल्फ स्टॉक के 300 शेयर्स खरीद लिए. उसने
कुछ दिनों बाद फिर इसमें 1400 और एड कर दिए.
क्लेटोन(Clayton) ने भी 15 तारीख को 200 शेयर्स
खरीदे और मोलीसन ने भी 100 शेयर लिए. होल्य्क
(Holyk) की वाइफ ने भी 29 तारिख को 50 शेयर
खरीद लिए और 10 तारीख को बाकी के और 100
शेयर ले लिए. स्प्रिंग का सीजन आया लेकिन टैक्सास
गल्फ की ड्रिलिंग एक्टिविटी अभी भी चालू थी. टीम को
लग रहा था कि फर्स्ट वाला होल ज्यादा डीप नहीं है.
थर्ड और फोर्थ होल्स से जिंक, कॉपर और सिल्वर का
काफी बड़ा मिनरल डिपोजिट दिख रहा था.
इस पॉइंट पे कैनेडीयन माइनिंग सर्कल्स को इस
डिस्कवरी के बारे में कुछ शक होने लगा था. कैनेडीयन
न्यूज़ पेपर्स ने टैक्सास गल्फ एक्टिविटी के बारे में
रिपोर्ट्स छापनी शुरू कर दी. टोरंटो डेली स्टार ने लिखा
कि” “द मेजिक वर्ड ओं एवरी स्ट्रीट कार्नर एंड इन
एवरी बार्बर शॉप इज” टैक्सास गल्फ”.ये न्यूज़ जल्दी
एवरी बार्बर शॉप इज” टैक्सास गल्फ”.ये न्यूज़
जल्दी
ही वव्हाईट हाउस तक पहुँच गए. अप्रैल 10 की बात है
प्रेजिडेंट स्टीफंस बहुत कंसर्नड(concerned) हो गए
थे. उन्होंने अपने भरोसेमंद एसोशिएटस की काउंसिल
बुलाई. थॉमस लामोंट (Thomas Lamont )
टैक्सास गल्फ के सीनियर बोर्ड मेंबर और जे.पी. मॉर्गन
के पार्टनर थे. लामोंट ने प्रेजिडेंट को बताया कि जब
तक ये फ्रेंज़ी कैनेडीयन प्रेस में है “यू माईट बी एबल
लिव विथ देम”. लेकिन लामोंट रोंग प्रूव हुए. नेक्स्ट
मोर्निंग टाइम्स एंड द हेराल्ड ट्रीब्यून में टैक्सास गल्फ
की स्टोरीज़ छपी थी. हेराल्ड ने तो ये न्यूज़ फ्रंट पेज
पे कुछ इस तरह प्रिंट की थी” द बिगेस्ट ओर स्ट्राइक
सिंस गोल्ड वाज़ डिसकवर्ड मोर देन 60 इयर्स एगो
इन कैनेडा” (“the biggest ore strike since
gold was discovered more than 60
years ago in Canada”). और वाल स्ट्रीट में
टैक्सस गल्फ स्टोक के प्राइस काफी हाई जा रहे थे.
टैक्सास गल्फ हेडक्वाटर्स में ऑफिसर्स ने एक प्रेस
रिलीज़ रखी. इस प्रेस रिलीज़ में प्रेजिडेंट स्टीफन भी
प्रजेंट थे, और टैक्सास गल्फ के नम्बर 2 मेन फोगार्टी
भी.
कंपनी सेक्रेट्री डेविड क्रावफोर्ड (David
Crawford) ने लिखा”टेक्सास गल्फ कम्पनी के
हाथ जिंक, कॉपर और सिल्वर का एक बड़ा भंडार
लगा है..सात ड्रिल होल्स बना लिए गए है ओर बॉडी
(The ore body ) एट लिस्ट 800 फीट लम्बी,
ad A८
लगा है..सात ड्रिल होल्स बना लिए गए है ओर बॉडी
(The ore body ) एट लिस्ट 800 फीट लम्बी,
300 फीट चौड़ाई वाली और 800 फीट से ज्यादा
डीप है. ये एक मेजर डिस्कवरी है. प्रीलीमाइनरी डेटा
(preliminary data) से पता चलता है कि जमीन
के अंदर कम से कम 25 मिलियन टन से ज्यादा
ओर (ore) है. और उसी दिन न्यू यॉर्क में कंपनी
इंजीनियर क्लेटोंन (Clayton) और सेक्रेटरी क्राफोर्ड
(Crawford) अपने ब्रोकर्स को कॉल करके टैक्सास
गल्फ स्टॉक्स खरीदने को बोल रहे थे.
क्लेटोन (Clayton ) ने 200 शेयर्स खरीदे जबकि
क्राफोर्ड (Crawford) ने 300 का आर्डर दिया. उसी
शाम क्राफोर्ड ने दुबारा अपने ब्रोकर को कॉल किया
और अपना आर्डर डबल कर दिया. टैक्सास गल्फ
ट्रायल अप्रैल 1964 में शुरू हुआ. एसईसी(S.E.C.)
यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमिशन ने एक स्ट्रोंग
केस बनाकर कोर्ट में अपील की. ट्रायल्स और हियरिंग
का एक लंबा सिलसिला चला और फाइनली 1968
में एस.ई.सी. केस जीत गयी. कंपनी के ज्यादातर
एक्जीक्यूटिव गिल्टी पाए गए. टैक्सास गल्फ स्कैम
कॉर्पोरेट वर्ल्ड में एक बड़ा लेसन बन चूका था. आज
इनसाइडर ट्रेडिंग एक बड़ा सिरियस क्राइम माना जाता
और बाकी कंपनीज के साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक
इक्यूपमेंट्स (electronic equipment.)के प्राइस
बड़ा देता था.
कुछ प्रोडक्ट 4 मिलियन डॉलर तक ओवर प्राइस्ड थे.
ये स्कैम 1956 से 1959 तक चलता रहा. तीन सालो
तक एक्जीक्यूटिव टैक्स पेयर्स के पैसे पर मौज करते
रहे. ये भी पता लगा कि एक्जीक्यूटिव अपनी सीक्रेट
मीटिंग्स में कंपनीज के लिए कोड नम्बर्स यूज़ करते
थे. ये लोग पब्लिक बूथ्स और अपने घरो से एक दुसरे
को फोन कॉल करते थे ताकि पकड़े जाने का कोई
चांस ना रहे. लेकिन एक एम्प्लोयी ने सबको एक्सपोज़
कर दिया और स्टेट विटनेस बनने को तैयार हो गया.
एंटीट्रस्ट डिविजन ऑफ़ जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस केस
की इन्वेस्टीगेशन की. और गिल्टी प्रूव होने पर जी.ई.
को हाफ अ मिलियन डॉलर का हाईएस्ट फाइन अमाउंट
भरना पड़ा.
कंपनी के ]] एक्जीक्यूटिव्स पर चार्ज लगा और
उनमे से 3 को जेल की सजा मिली. इसमें सबसे
बड़ी कंट्रोवर्सी ये थी कि जी. ई. और वेस्टीन्गहाउस
(Westinghouse)के सारे हायर पोजीशन वाले
एक्जीक्यूटिव्स साफ़ बचकर निकल गए. दोनों कंपनीज
के प्रेजिडेंट और चेयरमेन ने क्लेम किया कि उन्हें तो
इस बारे में कुछ पता ही नहीं था. लेकिन जज गाने
(Judge Ganey) ने कहा “वन वुड बी मोस्ट
और बाकी कंपनीज के साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक
इक्यूपमेंट्स (electronic equipment.)के प्राइस
बड़ा देता था.
कुछ प्रोडक्ट 4 मिलियन डॉलर तक ओवर प्राइस्ड थे.
ये स्कैम 1956 से 1959 तक चलता रहा. तीन सालो
तक एक्जीक्यूटिव टैक्स पेयर्स के पैसे पर मौज करते
रहे. ये भी पता लगा कि एक्जीक्यूटिव अपनी सीक्रेट
मीटिंग्स में कंपनीज के लिए कोड नम्बर्स यूज़ करते
थे. ये लोग पब्लिक बूथ्स और अपने घरो से एक दुसरे
को फोन कॉल करते थे ताकि पकड़े जाने का कोई
चांस ना रहे. लेकिन एक एम्प्लोयी ने सबको एक्सपोज़
कर दिया और स्टेट विटनेस बनने को तैयार हो गया.
एंटीट्रस्ट डिविजन ऑफ़ जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस केस
की इन्वेस्टीगेशन की. और गिल्टी प्रूव होने पर जी.ई.
को हाफ अ मिलियन डॉलर का हाईएस्ट फाइन अमाउंट
भरना पड़ा.
कंपनी के ]] एक्जीक्यूटिव्स पर चार्ज लगा और
उनमे से 3 को जेल की सजा मिली. इसमें सबसे
बड़ी कंट्रोवर्सी ये थी कि जी. ई. और वेस्टीन्गहाउस
(Westinghouse)के सारे हायर पोजीशन वाले
एक्जीक्यूटिव्स साफ़ बचकर निकल गए. दोनों कंपनीज
के प्रेजिडेंट और चेयरमेन ने क्लेम किया कि उन्हें तो
इस बारे में कुछ पता ही नहीं था. लेकिन जज गाने
(Judge Ganey) ने कहा “वन वुड बी मोस्ट
कंपनी के 17 एक्जीक्यूटिव्स पर चार्ज लगा और
उनमे से 3 को जेल की सजा मिली. इसमें सबसे
बड़ी कंट्रोवर्सी ये थी कि जी. ई. और वेस्टीन्गहाउस
(Westinghouse)के सारे हायर पोजीशन वाले
एक्जीक्यूटिव्स साफ़ बचकर निकल गए. दोनों कंपनीज
के प्रेजिडेंट और चेयरमेन ने क्लेम किया कि उन्हें तो
इस बारे में कुछ पता ही नहीं था. लेकिन जज गाने
(Judge Ganey) ने कहा “वन वुड बी मोस्ट
नाइव् टू बिलीव देट दीज़ वायोलेशन्स ऑफ़ द लॉ आर
कम्प्लीटली अननॉन टू देम….आई एम् कन्सिड देट
द स्टाफ्स वर टॉर्न बिटवीन कांशस एंड रीवार्ड्स ऑफ़
प्रोमोशन, कम्फर्टबल सिक्योरिटी एंड लार्ज सेलेरीज़
(One would be most naïve to believe
that these violations of the law are
completely unknown to them…. I am
convinced that the staffs were torn
between conscience and rewards of
promotion, comfortable security, and
large salaries.”)
बेचारे कांविक्टेड एक्जीक्यूटिव्स ने फाइन भरा और
जेल की सजा काटी. जी.ई. का बिजनेस पहले जैसा
चलता रहा. जो नुकसान होना था हो गया लेकिन आम
जनता से एक्स्ट्रा लिया गया पैसा कभी वापस नही
किया गया.
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John Brooks
द फ्लक्चुएशन (The Fluctuation)
द लिटिल क्रैश इन 1962 (The Little crash in
1962)
वाल स्ट्रीट का एक बड़ा फेमस किस्सा है लेजेंडरी
फाउन्डर जे.पी. मॉर्गन और एक यंग ब्रोकर का. तो
हुआ ये कि वो यंग ब्रोकर जे.पी. मॉर्गन के पास पूछने
आया था कि स्टॉक मार्किट में अब आगे क्या होगा जिस
पर मॉर्गन ने जवाब दिया कि “इट विल फ्लक्चुएट”
और जैसा उन्होंने कहा था वही हुआ/. स्टॉक मार्किट
में रेट तब से अप डाउन चल रहे थे जब से 16]] में
वर्ल्ड का फर्स्ट स्टॉक एक्सचेंज बना था. मई, 1962
में न्यू यॉर्क के स्टोक एक्सचेंज में एक हिस्टोरीकल
फ्ल्क्चुएशन हुई जब 3 दिन तक मार्किट क्रेश रही.
हिस्टोरियन जोसफ डे ला वेगा (Joseph de la
Vega) का मानना था कि “ट्रेडर्स आर वैरी क्लेवर इन
इन्वेंटिंग रीजन्स” ( “very clever in inventing
reasons”) जिसकी वजह से स्टोक प्राइसेस में
अचानक से तेज़ी-मंदी आता है. ये लोग न्यूज़ में ग्राफ्स,
एनालिसिस और एक्सप्लेनेशन पहले ही दे देते है
लेकिन स्टॉक मार्किट कैसा रहेगा ये बहुत कुछ इन्वेस्टर्स
के मूड पर भी डिपेंड करता है. 1962 का क्रैश 28
मई, मंडे शुरू हुआ था जब डो जोंस(Dow Jones)
ने रिपोर्ट दी थी कि मेजर इंडस्ट्रियल स्टॉक्स घटेंगे. और
१२, १७ शु”Bा पाषा जासDuvv UIII
ने रिपोर्ट दी थी कि मेजर इंडस्ट्रियल स्टॉक्स घटेंगे. और
लंच टाइम तक माँस हिस्टीरिया (mass hysteria)
फैलने लगा था.
उन दिनों एनवाईएससी (NYSE) में स्टॉक प्राइस शो
करने के लिए बड़े-बड़े मोनिटर्स नहीं हुआ करते थे
इसके बजाये टिकेट्स या प्रिंट टेप्स यूज़ की जाती थी.
लेकिन इन मशीन्स में एक प्रोब्लम थी कि ये रेपिड
फ्ल्क्चूएशन को अपडेट नहीं कर पाती थी. सुबह ]]
बजे टेप की रिपोर्ट्स पूरे 30 मिनट्स लेट थी. इस डिले
(delay)की वजह थी कि अचानक से इन्वेस्टर्स की
सेलिंग एक्टिविटी तेज़ हो गयी थी. टाइम्स स्कवायर के
मेरिल लिंच (Merrill Lynch office) में लोगो की
भीड़ जुटने लगी थी अपने स्टॉक्स लिकविडेट कराने
के लिए. बैंक की सेंट्रल लोकेशन की वजह से हमेशा
यहाँ स्माल टाइम सिक्योरिटी ट्रेडर्स और इंडीविजुअल
इन्वेस्टर्स स्टॉक में अपना पैसा लगाने आते थे. और 30
मिनट की देरी काफी मैटर करती थी. दोपहर के 2 बजे
तक टेप आलरेडी 1 घंटा पीछे था. और इस डेमेज को
ठीक करने का कोई तरीका नहीं था. ब्रोकर्स कस्टमर्स
के कॉल लेने में बीजी थे, उन्होंने लोगो से शांति बनाये
रखने और अपने स्टोक्स अपने पास रखने की अपील
की.
लेकिन उनमे से बहुत से लोग बात मानने को तैयार ही
नहीं थे. रिओ डे जनेइरो (Rio de Janeiro) से एक
१२, १७ शु”Bा पाषा जासDuvv UIII
ने रिपोर्ट दी थी कि मेजर इंडस्ट्रियल स्टॉक्स घटेंगे. और
लंच टाइम तक माँस हिस्टीरिया (mass hysteria)
फैलने लगा था.
उन दिनों एनवाईएससी (NYSE) में स्टॉक प्राइस शो
करने के लिए बड़े-बड़े मोनिटर्स नहीं हुआ करते थे
इसके बजाये टिकेट्स या प्रिंट टेप्स यूज़ की जाती थी.
लेकिन इन मशीन्स में एक प्रोब्लम थी कि ये रेपिड
फ्ल्क्चूएशन को अपडेट नहीं कर पाती थी. सुबह ]]
बजे टेप की रिपोर्ट्स पूरे 30 मिनट्स लेट थी. इस डिले
(delay)की वजह थी कि अचानक से इन्वेस्टर्स की
सेलिंग एक्टिविटी तेज़ हो गयी थी. टाइम्स स्कवायर के
मेरिल लिंच (Merrill Lynch office) में लोगो की
भीड़ जुटने लगी थी अपने स्टॉक्स लिकविडेट कराने
के लिए. बैंक की सेंट्रल लोकेशन की वजह से हमेशा
यहाँ स्माल टाइम सिक्योरिटी ट्रेडर्स और इंडीविजुअल
इन्वेस्टर्स स्टॉक में अपना पैसा लगाने आते थे. और 30
मिनट की देरी काफी मैटर करती थी. दोपहर के 2 बजे
तक टेप आलरेडी 1 घंटा पीछे था. और इस डेमेज को
ठीक करने का कोई तरीका नहीं था. ब्रोकर्स कस्टमर्स
के कॉल लेने में बीजी थे, उन्होंने लोगो से शांति बनाये
रखने और अपने स्टोक्स अपने पास रखने की अपील
की.
लेकिन उनमे से बहुत से लोग बात मानने को तैयार ही
नहीं थे. रिओ डे जनेइरो (Rio de Janeiro) से एक
लेकिन उनमे से बहुत से लोग बात मानने को तैयार ही
नहीं थे. रिओ डे जनेइरो (Rio de Janeiro) से एक
कस्टमर ने टेलीग्राफ भेजा” प्लीज़ सेल एवरीथिंग इन
माई अकाउंट” और मेरिल लिंच के पास कोई चॉइस
नहीं थी तो यही किया गया. टेप डिले होने की वजह
से ब्रोकर्स सिर्फ इतना ही बता सकते थे कि कस्टमर्स
को सेलिंग से कितना मिलेगा. मेरिल लिंच (Merrill
Lynch,) में लोग एक दुसरे पर चिल्ला रहे थे,उनको
ट्रेड की रिपोर्ट डिटेल्स चाहिए थी. ये सिम्पली एक
आल स्टोक डेकलाइनिंग रेपिडली ओन एनोरमस
वोल्यूम (all stocks declining rapidly on
enormous volume.) का केस था. सेलर्स में
डर और एंजाईटी का माहौल था. ब्लू चिप स्टॉक्स
की डिक्लाइन से मार्किट डाउन होती जा रही थी.
AT&T,IBM और स्टैंडर्ड आयल स्टॉक के प्राइस नीचे
गिर रहे थे जिससे इन्वेस्टर्स में अजीब सा पैनिक फैल
गया था. सिचुएशन कण्ट्रोल में रखने के लिए ब्रोकर्स
अपनी पूरी कोशिश कर रहे थे. एक ब्रोकर याद करता
है” मुझे इतना याद है कि मै बड़ा एग्जॉस्टेड फील कर
रहा था, जिस दिन कोई क्राइसिस होता है, उस दिन
ऑफिस के करीब 10-12 मील चक्कर यूं ही लग जाते
है. 3.30 पर जब क्लोजिंग बेल बजी तो ऑफिस में
सब लोग चीयर करने लगे. हम लोग मार्किट डाउन
होने से चीयर नहीं कर रहे थे बल्कि डे ओवर हो गया
था इसलिए कर रहे थे” उस दिन 20 मिलियन डॉलर्स
तक के स्टॉक का नुक्सान हुआ था. एनवाईएससी क्रेश
(NYSE crash) का इफ्केट मिलान, ब्रुसेल्स लन्दन
NYSE crash) का इफ्केट मिलान, ब्रुसेल्स लन्दन
और जुरिख (Zurich) तक पहुच गया था.
और ये स्ट्रोम म्यूचुअल फंड्स ने शांत किया. म्यूचअल
फंड्स के इन्वेस्टर्स अपने स्टॉक्स इतनी इज़ीली
लिक्वीडेट नहीं कर सकते थे. रुल के हिसाब से उन्हें
पहले कुछ स्टॉक्स बेचने पड़ते है. मंडे
आफ्टरनून
में
स्टॉक प्राइसेस आल टाइम लो थे लेकिन ट्यूजडे तक
सिचुएशन कुछ बैटर होने लगीऔर थर्सडे आते-आते
फ्ल्क्चूएशन साइकल स्टॉप हो गया. वैसे डो जोंस
(Dow Jones)का एवरेज 9.40 पॉइंट्स (9.40
points) था लेकिन मंडे मोर्निंग तक प्राइस थोड़े से
हायर हो गए थे.फाइनली म्यूचवल फंड्स ने ही मार्किट
को स्टेबलाइज किया क्योंकि ऐसे इन्वेस्टमेंट कंजरवेटिव
टाइप माने जाते है. म्यूचवल फंड्स ओनर्स को अपने
शेयर्स बेचने पड़े लेकिन उन्होंने भी हाईट ऑफ़ क्रेश के
चक्कर में और ज्यादा शेयर्स खरीद लिए थे. डेमोक्रेट्स
और रीप्लिकन ने कुछ और लॉ निकाले ताकि शेयर
मार्किट रेगुलेट रखी जा सके हालाँकि स्टॉक एक्सचेंज
में इस तरह के क्रेश को टाला नहीं जा सकता. इस
बारे में हिस्टोरियन डे ला वेगा का कहना था, “इट इज
फूलिश टू थिंक देट यू केन विथड्रा फ्रॉम द एक्सचेंज
आफ्टर यू हैव टेस्टेड द स्वीटनेस ऑफ़ द हनी”
Business Adventures
John Brooks
द फेट ऑफ़ द एड्सेल (The Fate of the
Edsel)
अ काशनरिटेल (ACautionary Tale)
1957 में फोर्ड मोटर्स ने एड्सेल कार निकाली थी
लेकिन ये एक मेजर फ्लॉप साबित हुई. टाइम्स मैगजीन
ने इस बारे में कहा “द एड्सेल वाज़ अ क्लासिक
केस ऑफ़ द रोंग कार फॉर द रोंग मार्किट एट द रोंग
टाइम” (The Edsel was a classic case of
the wrong car for the wrong market
at the wrong time.”) 1955 का टाइम
ऑटोमोबाईल का साल था. यू.एस. जेर्नल मोटर्स ने
7 मिलियन से ज्यादा कारे बेची थी जिसका कॉमन
स्टोक $325 के करीब था. फोर्ड एक न्यू मीडियम
क्रियेट करना चाहता था प्राइसड मॉडल – priced
model.
उन दिनों अमेरिकन कार लॉन्ग, वाइड और लो होती
थी जिनके इंजिन बड़े पॉवरफुल थे, इनमे कुछ गैजेट्स
भी होते थे और क्रोम कलर का एक्स्टीरियर था. फोर्ड
ने अपनी गाडी एड्सेल के प्रोमोशन के लिए बहुत
प्रोमोशन और एडवरटीजमेंट किया क्योंकि उन्हें पूरा
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प्रोमोशन और एडवरटीजमेंट किया क्योंकि उन्हें पूरा
यकीन था कि उनकी ये न्यू कार मार्किट में धूम मचा
देगी.
उम्मीद की जा रही थी कि रिलीज़ के फर्स्ट इयर में
ही 200,000 यूनिट्स तक बिक जाएगी. लेकिन
ऐसा कुछ नहीं हुआ. दो साल बाद 109,466 एड्सेल
गाड़ियाँ की बिक पाई थी. और उन्हें भी ज़्यादातर फोर्ड
के एक्जीक्यूटिव, डीलर्स और सेल्समेन ने ही खरीदा
था. कम्पनी को एड्सेल से करीब $350 मिलियन का
घाटा हुआ था, फोर्ड ने कार की प्रोडक्शन रुकवा दी
थी. लेकिन ये सब हुआ कैसे? इतनी बड़ी कम्पनी ऐसे
मिस्टेक भला कैसे कर सकती थी? 1948 में फोर्ड के
पास बस एक ही मीडियम प्राइस वाली कार थी जो थी
मरकरी. लो इनकम वाले शेवरलोटस, (Chevrolets,
प्लायमाउथ (Plymouths और फोर्ड्स खरीदते थे.
लेकिन उनकी एनुअल इनकम $5000 होते ही ये
लोग मीडियम प्राइस गाडी ले लेते थे. जिनके पास लो
प्राइस फोर्ड्स थी वो मीडियम प्राइस वाली मरकरी नहीं
खरीदते थे. इसके बदले लोग अपनी फोर्ड्स कार के
एक्सचेंज में जेर्नल मोटर्स की गाड़ियाँ जैसे पॉन्टिएक
(Pontiac) या बुइच्क (Buick) खरीदते थे. इस
बारे में फॉर्मर वाईस प्रेजिडेंट का कहना था कि” वी हैव
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बारे में फॉर्मर वाईस प्रेजिडेंट का कहना था कि” वी हैव
बीन ग्रोइंग कस्टमर्स फॉर जेर्नल मोटर्स” (We have
been growing customers for General
Motors.”
एड्सेल का नाम और डिजाईन उस टाइम के पोपुलर
और कन्वेंशनल फैशन के हिसाब से बनना था लेकिन
इसके बजाये एड्सेल का नाम हेनरी फोर्ड के इकलौते
बेटे के नाम पर रखा गया था. और उस टाइम के कार
डिजाईन के बदले फोर्ड ने एक एक्सपेरीमेंट किया था.
रॉय ब्राउन (Roy Brown), एड्सेल की डिजाईन
के इन-चार्ज ने कहा” हमारा गोल था कि हम एक
ऐसी कार बनाये जो इतनी यूनिक हो कि 19 दूसरी
डिजाईन की कारो के बीच अलग से नज़र आये”.
जिस दिन एड्सेल की रीलीज़ थी, इसके डिविज़न
मैनेजर रिचर्ड क्रफ्वे (Richard Krafve) ने कहा
कि एड्सेल का डिजाईन औरो से हट के है” और
बाहर से देखने पर गाडी फ्रंट, रियर और साइड से
एकदम पहचानी जा सकती थी. और इसका इंटीरियर
“द एपिटोम ऑफ़ पुश बटन एरा” था. एड्सेल अच्छी
चल सकती थी अगर इसे कुछ साल बाद रीलिज़ किया
जाता जब छोटी और लेस पॉवरफुल कॉम्पैक्ट कार
टेंड में आई. टाइम्स मैगजीन के हिसाब से एडसेल एक
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जाता जब छोटी और लेस पॉवरफुल कॉम्पैक्ट कार
ट्रेंड में आई. टाइम्स मैगजीन के हिसाब से एड्सेल एक
परफेक्ट एक्जाम्पल था” द लिमिटेशन ऑफ़ मार्किट
रिसर्च, विथ इट्स डेप्थ इंटरव्यूज़ एंड मोटीवेशनल
मम्बो जम्बो” (“the limitations of market
research, with its ‘depth interviews’
and ‘motivational mumbo-jumbo.”)
कुल मिलाकर एड्सेल डिजाईनर्स ने एक ऐसा प्रोडक्ट
बनाया था जो उन्हें चाहिए था ना कि पब्लिक को.
और उपर से इनमे से कई गाड़ियाँ तो डिफेक्टिव भी
थी. एक आदमी हडसन रिवर के पास एक बार में
गया, उसने डबल शॉट का ऑर्डर दिया ही था कि बाहर
खड़ी उसकी ब्रांड न्यू एड्सेल की डेश बोर्ड में आग
लग गयी. और भी बहुत सारे लोगो ने गाड़ी की कंप्लेंट
की थी जैसे आयल लीक्स, स्टिकिंग हूड्स, फौल्टी
एक्सेसरीज, इन्फीरियर शीट मेटल और घटिया पेंट.
लेकिन एड्सेल के फेल होने से कम्पनी बहुत ज्यादा
फर्क नही पड़ा क्योंकि इसके बाकी मॉडल्स फाल्कन,
कॉमेट और मस्टंग वगैरह का मार्किट में अच्छा रिव्यू
था. फोर्ड ने जल्दी ही अपने सारे नुकसान की भरपाई
कर ली हालाँकि कम्पनी के स्टॉक प्राइस ड्राप हो गए
थे लेकिन दो साल बाद सब ठीक हो गया. एड्सेल
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थे लेकिन दो साल बाद सब ठीक हो गया. एड्सेल
के एक्जीक्यूटिव और क्रियेटर्स तो कंपनी में बने रहे,
लेकिन बाकी के व्हाईट कालर वर्कर्स 1957 से लेकर
1958 तक लगातार निकाले जाते रहे. कई और लोगो
को भी काफी नुकसान हुआ, कई डीलर्स बैंकरप्ट हो
गए थे.
कनक्ल्यूजन (Conclusion)
इस बुक समरी में हमने आपको 1962 के फ्ल्क्चूएशन
(fluctuation ) और स्टोक मार्किट क्रेश के बारे
में बताया. ट्रेडर्स की बाइंग एंड सेलिंग एक्तिविटी से
मार्किट में फ्ल्क्चूएशंस (Fluctuations ) क्रिएट
होती है. स्टोक मार्किट में क्रेश को अवॉयड करना
लगभग इम्पोसिबल है क्योंकि जब तक स्टोक मार्किट
में रिस्क टेकर्स और गैम्बलर्स है, ये सब चलता रहेगा.
लेकिन पब्लिक इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करने के लिए
गवर्नमेंट रेगुलेशन भी इम्पोर्टेट है. आपने फोर्ड मोटर्स
और उनके फेल्ड प्रोडक्ट एड्सेल के बारे में जाना,
किसी भी बिजनेस में ये बात समझना ज़रूरी है कि वही
प्रोडक्ट बनाओ जो मार्किट चाहती है, एंटप्रेन्योर्स अपनी
मर्जी का कुछ भी कस्टमर्स पर नहीं थोप सकते है.
आपने यहाँ टैक्सास गल्फ सल्फर के इनसाइडर
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लगभग इम्पोसिबल है क्योंकि जब तक स्टोक मार्किट
में रिस्क टेकर्स और गैम्बलर्स है, ये सब चलता रहेगा.
लेकिन पब्लिक इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करने के लिए
गवर्नमेंट रेगुलेशन भी इम्पोर्टेट है. आपने फोर्ड मोटर्स
और उनके फेल्ड प्रोडक्ट एड्सेल के बारे में जाना,
किसी भी बिजनेस में ये बात समझना ज़रूरी है कि वही
प्रोडक्ट बनाओ जो मार्किट चाहती है, एंटप्रेन्योर्स अपनी
मर्जी का कुछ भी कस्टमर्स पर नहीं थोप सकते है.
आपने यहाँ टैक्सास गल्फ सल्फर के इनसाइडर
ट्रेडिंग स्कैम के बारे में भी जाना. आपको हमने जेर्नल
इलेक्ट्रिक के ओवर प्राइस स्कैम के बारे में भी बताया.
इनसाइडर ट्रेडिंग और प्राइस फिक्सिंग दोनों ही
सिरियस कॉर्पोरेट क्राइम है. फाइनली आपको हमने
ज़िरोक्स की सक्सेस स्टोरी बताई. एक विनिंग प्रोडक्ट
से ज्यादा ज़िरोक्स को सक्सेस में उनकी सेन्स ऑफ़
सोशल रिस्पोंसेबिलिटी का हाथ है. ज़िरोक्स का एक
पर्पज है जो उनके प्रॉफिट सेन्स और इंडीविजुअल
इंटरेस्ट से बड़ा है और यही वजह है कि कंपनी की
लॉन्ग टर्म सक्सेस जर्नी आज भी कंटीन्यू है.
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Business Adventures John Brooks Books In Hindi Summary
- Post author:armayankyadav
- Post published:January 22, 2022
- Post category:Self Help Books
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